Friday, December 19, 2008

पुरुषों से ज्यादा साथी रखती हैं युवतियां


ब्रिटेन में हुए एक सर्वेक्षण में पता चला है कि पुरुषों की तुलना में युवतियां अधिक लोगों से शारीरिक संबंध बनाती हैं।शोधकर्ताओं ने अध्ययन के बाद कहा है कि इस मामले में महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक स्वच्छंद होती हैं और औसतन 21 साल आयु की युवतियां नौ पुरुषों से संबंध रखती है, वहीं युवक केवल सात महिलाओं से।हालांकि यह सर्वेक्षण केवल दो हजार लोगों से बातचीत के आधार पर किया गया है।

डेली टेलीग्राफ की खबर के अनुसार सर्वेक्षण से नतीजा निकाला गया है कि युवतियां दो बार धोखा दे सकती हैं और 70 प्रतिशत से अधिक युवतियां केवल एक रात के संबंध बनाती हैं।

सर्वेक्षण के अनुसार चार में से एक युवती दस से अधिक लोगों के साथ संबंध बना चुकी होती है जबकि पुरुषों में केवल पांच में से एक ऐसा करता है।

इस सर्वेक्षण का एक रोचक पहलू यह भी है कि यौन मामलों को लेकर केवल कुछ ही महिलाएं आज भी परंपरागत नजरिया रखती हैं। केवल एक प्रतिशत युवतियों ने कहा कि वे शादी के बाद ही यौन संबंध बनाने में यकीन रखती हैं। साथ ही अधिकतर युवतियां केवल 16 साल की उम्र में कौमार्य खो देती हैं।

Monday, December 1, 2008

सरकारी डोली चढ़ दुल्हनें चलीं पिया घर


सरकार और प्रशासन का यह संवेदनशील चेहरा है। वहीं आमलोगों की सदाशयता और परमार्थ करने के भाव का प्रकटीकरण भी। जिला प्रशासन ने उत्तर रक्षा गृह की एक दर्जन युवतियों को सरकारी डोली पर बिठा पिया के घर भेजा। नई जिंदगी की शुरूआत करने के लिए आवश्यक सामान भी प्रदान किए गए।

रविवार को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में वैदिक मंत्रोच्चार, मंगल गीतों एवं बैंड बाजे की धुन के बीच शहीद खुदीराम बोस स्टेडियम में प्रशासन की ओर से विवाह मंडप सजा। मंडप में उत्तर रक्षा गृह की एक दर्जन लड़कियों के जीवन की डोर बंधी। मौके पर आशीर्वाद देने शहर उमड़ पड़ा। उपहारों की बौछार हो गई। हर जोड़े को अपनी गृहस्थी बसाने को लगभग हर जरूरी सामान उपलब्ध हो गया।

डीएम विपिन कुमार, डीएसपी नगर निर्मला कुमारी तो पहुंची हीं, समाज कल्याण विभाग के राज्य बाल संरक्षण इकाई के उप निदेशक रविनंदन सहाय एवं सहायक उप निदेशक अनीता कुमारी कार्यक्रम समापन तक मौजूद रहे।इस अनूठे वैवाहिक कार्यक्रम के बाद सभी जोड़ों ने बाबा गरीबनाथ मंदिर में पूजा अर्चना की और फिर सरकारी डोली से ससुराल गई।

Sunday, November 30, 2008

परेशानी का सबब हो सकता है संभोग


लंदन। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाईलामा का कहना है कि संभोग लोगों को संतुष्टि प्रदान करता है, लेकिन वह अल्पकालिक है एवं अक्सर विभिन्न समस्याओं की ओर धकेल सकता है।दलाईलामा के अनुसार दांपत्य जीवन कई उतार चढ़ाव पैदा करता है जिसके विपरीत ब्रह्मचर्य न केवल जीवन को बेहतर बनाता है बल्कि ज्यादा आजादी भी देता है।

दैनिक टेलीग्राफ ने दलाईलामा के हवाले से कहा कि संभोग का दबाव व संभोग की इच्छा वास्तविकता में मेरे हिसाब से क्षणिक सुखानुभूति है और अक्सर जटिलताओं की ओर अग्रसर करता है।

नाईजीरिया की राजधानी लागोस से तिब्बती आध्यात्मिक नेता के हवाले से अखबार ने लिखा है कि स्वाभाविक तौर पर मनुष्य होने के नाते यौन इच्छा पैदा होती है। लेकिन तब आप मानव विवेक का इस्तेमाल कर जान सकते हैं कि वे संबंध हमेशा समस्याओं से भरे होते हैं।

उन्होंने कहा कि सबसे अधिक हैरानी की बात यह है कि इस तरह के दांपत्य संबंधों के कारण आप में आत्महत्या करने या किसी की हत्या कर देने की प्रवृति जागृत हो सकती है।

Wednesday, November 26, 2008

समुद्र तट पर सेक्स पड़ा महंगा


दुबई के एक समुद्र तट [बीच] पर सार्वजनिक रूप से यौनानंद उठाने के जुर्म में सजा प्राप्त ब्रिटिश युगल पर अदालत को आखिर रहम आ गया तथा जुर्माना लेकर उसे स्वदेश भेजने की अनुमति दे दी।

मीडिया रिपोर्टो के अनुसार ब्रिटिश मीडिया कंपनी में एक्जीक्यूटिव 37 वर्षीय मिशेल पाल्मर और 34 वर्षीय विन्स एकर्स अक्टूबर में दुबई घूमने आए थे। एक दिन शहर के एक चहल पहल वाले बीच पर शराब के नशे में वे बहक गए तथा वहीं पर रति क्रीड़ा में लीन हो गए।

इस पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। अदालत ने उन्हें अवैध यौन संबंध कायम करने, अश्लीलता फैलाने और शराब पीने के आरोप में एक हजार दिरहम का जुर्माना और तीन माह कैद की सजा सुनाई। इस दौरान जमानत पर बाहर रहे।

बाद में उन्होंने अपीलीय अदालत में गुहार लगाई। तब अपीलीय अदालत ने उन पर रहम दिखाते हुए जुर्माना अदा करके रिहा करने का आदेश दिया।इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बहुत सुर्खियां मिली थी। जुर्माना अदा करके इस प्रेमी युगल को स्वदेश भेज दिया जाएगा।

Sunday, November 23, 2008

हैप्पी आवर्स पर लगी नजर


शराबखानों और रेस्तरांओं में शराबखोरी पर नियंत्रण के लिए ब्रिटेन हैप्पी आवर्स में मिलने वाली छूट पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है।

स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाले लोगों ने चेतावनी दी है कि युवाओं में यकृत से संबंधित मौतों में वृद्धि भविष्य की महामारी का संकेत है।स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि आने वाले सप्ताह में एक बार स्वतंत्र पालिसी रिव्यू प्रकाशित हो जाए उसके बाद हैप्पी आवर्स के तहत शराब पीने की अवधि में छूट पर प्रतिबंध लगाना है या नहीं उसके संबंध में स्वास्थ्य अधिकारी निर्णय लेंगे।

प्रतिबंध का यह प्रस्ताव उन कई प्रस्तावों में से एक है जो विशेषकर किशोरों और युवाओं में हाल के वर्षो में शराब पीने प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए सुझाए गए हैं। नए जनचेतना अभियान के तहत सरकार की एक करोड़ पचास लाख डालर खर्च करने की योजना है।

सरकार अल्पवयस्कों की शराब की आदत के लिए बने कानूनों के प्रत्यावर्तन में सुधार करना चाहती है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले एक समूह ने कहा है कि कुछ युवाओं में लीवर की क्षति के लक्षण दिख रहे हैं जो सामान्य तौर पर बुजुर्गो में देखे जाते थे।

Friday, November 21, 2008

आंखों में गरीबी का दर्द है पर मुस्कुराहट नहीं


आस्कर पुरस्कार की दौड़ में शामिल वृत चित्र 'स्माइल पिंकी' की नायिका पिंकी की आंखों में गरीबी का दर्द है और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट नहीं झलकती व गरीबी से लाचार मां-बाप को सूझ नहीं रहा कि उसका इलाज कैसे कराएं।

प्रसिद्ध वृत चित्र निर्मात्री मेगन माइलन के वृत चित्र 'स्माइल पिंकी' की नायिका पिंकी ही है। उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर के अहरौरा इलाके के रामपुर दबही गांव के निवासी राजेन्द्र सोनकर के घर पिंकी का जन्म हुआ और अब वह गांव के ही एक सरकारी स्कूल में कक्षा दो की छात्रा है। एक साल पहले तक कटे होठ और शरीर तथा चेहरे की विचित्र बनावट के चलते पिंकी गांव में हंसी का पात्र थी। वह ना चल पाती थी और न बोल पाती थी।

संयोगवश मेगन माइलन की नजर पिंकी पर पड़ी और उन्होंने उसके पात्र को केंद्र में रखकर एक वृत चित्र बनाया जिसका नाम है 'स्माइल पिंकी' तीस मिनट की इस फिल्म में वह मुख्य पात्र है।पिंकी पिछले पंद्रह दिन से बीमार है तथा उसे तेज बुखार आ रहा है। मजदूरी करने वाला उसका बाप यह समझ नहीं पा रहा है कि रोज मिलने वाली मजदूरी से सात लोगों के परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करे या दुनिया भर में चर्चित हो गई बेटी का इलाज कराए। पिंकी के चार भाई भी हैं जो कम उम्र के हैं तथा रोटी के लिए अपने बाप पर ही आश्रित हैं।

'स्माइल पिंकी' को ग्रामीण परिवेश और पहाड़ी लोकेशन पर फिल्माया गया है जिसमें पिंकी के पिता ने एक लोकगीत भी गाया है। मेगन ने पिंकी का सफल आपरेशन कराकर न केवल उसे मुस्कुराने का हक दिया बल्कि उसे बोलना भी सिखाया। इन दिनों पिंकी बीमार है। वृत चित्र के मुख्य पात्र के पास विदेशों से मिले उपहार के ढेर तो हैं लेकिन उसके मां बाप के पास इलाज का पैसा नहीं है। वह दवा के अभाव में तकलीफ सहने को मजबूर है।

'स्माइल पिंकी' दुनिया के उन आठ वृत चित्र में शामिल है जिसे आस्कर के लिए नामित किया गया है। तीन से पांच फिल्मों की अंतिम सूची आगामी 12 जनवरी को जारी होगी। स्माइल पिंकी का प्रीमियर पिछले जून में अमेरिका में हो चुका है और इसे खूब वाहवाही मिली है। मेगन माइलन के एक और वृत चित्र 'द लास्ट ब्याय आफ सूडान' को आस्कर में पुरस्कार मिल चुका है।

वो आंखों से जलाता है मोमबत्ती


अगर कोई आपसे कहे कि वह आंखों से मोमबत्ती जला सकता है तो निश्चित ही आप इसे मजाक मानेंगे। लेकिन, चीनी मार्शल आर्ट 'कुंगफू' का एक दीवाना वाकई ऐसा करता है।

चीन का यह शख्स अपनी आंखों से मोमबत्ती जलाता है। इस दौरान वह एक खास चश्मा पहनता है और एक बार में बारह मोमबत्ती तक जला लेता है। चीन के काईफेंग में रहने वाले 35 वर्षीय लिंग चुंगजिआंग यह कमाल अपनी आंखों से फूंक मारकर एक पाइप के जरिए करते हैं।

आठ साल की उम्र से अपने दादा के साथ कुंगफू का अभ्यास कर रहे लिन को अचानक एक दिन पता चला कि वह अपनी नाक बंद कर आंखों के जरिए हवा बाहर निकाल सकते हैं। 'चाइना न्यूज नेटवर्क' में बताया गया है कि लिन इसके अलावा और भी कई हैरतअंगेज कारनामे करते हैं।

Thursday, November 20, 2008

सेक्स के शौकीनों के लिए राजनैतिक पार्टी


क्या सेक्स आपको राजनीति के ऊंचे पायदान पर चढ़ा सकता है। यदि आपका जवाब नहीं हैं तो आस्ट्रेलिया इसकी एक मिसाल है जहां सेक्स को गंभीरता से लेने वालों के लिए एक राजनीतिक पार्टी बनाई गई है।

बृहस्पतिवार को द आस्ट्रेलियन सेक्स पार्टी स्थापित की गई। इसका स्लोगन है हम सेक्स को लेकर गंभीर हैं। इस पार्टी ने उन 40 लाख लोगों को अपना लक्ष्य बनाया है जो पोर्नोग्राफी को लेकर काफी संजीदा हैं। इनका विश्वास है इसकी मदद से स्टेट और फेडरल संसद में सीटों को जीतने में अंतर आएगा। इस पार्टी की नीतियों में राष्ट्रीय यौन शिक्षा पाठ्यक्रम, सेंसरशिप को समाप्त करना, सरकार के प्रस्तावित इंटरनेट फिल्टर को हटाना और लोगों को शादी करने में मदद करना शामिल है।


पार्टी की संयोजक फियोना पट्टन ने मीडिया में आई रिपोर्ट में कहा कि पांच साल में आस्ट्रेलियाई सेक्स उद्योग को इंटरनेट फिल्टर के कारण बाजार से बाहर कर सकता है। राष्ट्रीय यौन शिक्षा पाठ्यक्रम पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सेक्स के बारे में बच्चों में जागरूकता लाना बेहद जरूरी है। हम चाहेंगे कि यौन शिक्षा को लागू किया जाए।

Friday, November 14, 2008

...जहां कार्यस्थल पर ही बनता है यौन संबंध


बीस फीसदी ब्रिटिश नागरिक कार्यस्थल पर यौन संबंध बनाने से गुरेज नहीं करते। एक सर्वे से खुलासा हुआ है कि हर पांच में से एक ब्रिटिश कार्यस्थल पर सेक्स करता है। इनमें से एक चौथाई पुरुष धन कमाने के लिए जबकि दस फीसदी महिलाएं कैरियर को रफ्तार देने के लिए ऐसा करती हैं। 'द आब्जर्वर' अखबार द्वारा कराए गए इस सर्वे में पाया गया कि करीब 49 फीसदी ब्रिटिश नागरिकों ने कैरियर में एक दफा इस तरह के संबंध बनाए।

सर्वे के मुताबिक हर पांच में से एक ब्रिटिशवासी एक शादी की बात पर यकीन नहीं करता। एक हजार नौकरीपेशा लोगों पर किए गए इस सर्वे के अनुसार समलैंगिकता जैसे मुद्दों पर ब्रिटिश नागरिक रूढि़वादी बने रहे।

45 प्रतिशत लोगों का कहना था कि समलैंगिक शादी की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए जबकि हर चार में से एक ब्रिटिश का कहना था कि समलैंगिक संबंधों को अवैध घोषित किया जाना चाहिए। सर्वे में यह तथ्य भी सामने आया कि 25 से 44 वर्ष की उम्र के लोगों ने एक बार ऐसे संबंध बनाए।

Sunday, October 26, 2008

वर्चुअल पति की हत्या में महिला को जेल


विकसित देशों के लोगों की जिंदगी में टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर की दखल बढ़ती जा रही है। साथ ही इसके दुष्प्रभाव भी सामने आने लगे हैं। जापान की एक 43 वर्षीय महिला को वर्चुअल गेम में तलाक मिलने पर इतना गुस्सा आया कि उसने अपने आनलाइन पति [डिजिटल गेम का कैरेक्टर] की हत्या कर दी।

अब आनलाइन पति की शिकायत पर महिला को जेल हो गई है। हालांकि असल जिंदगी में उसने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है। महिला को पांच साल की जेल या पांच हजार डालर जुर्माने की सजा हो सकती है।

दरअसल जापानियों में मेपल स्टोरी, सेकंड लाइफ जैसे वर्चुअल गेम्स का जबरदस्त क्रेज हैं। इसमें खिलाड़ी खुद के प्रतिनिधि के रूप में एक काल्पनिक चरित्र क्रिएट करता है। खिलाड़ी का यह डिजिटल अवतार साथी खिलाड़ी से रिश्ते बनाता है और डिजिटल दुश्मनों व अन्य बाधाओं से लड़ता है।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि महिला ने अपने आनलाइन पति का पासवर्ड चुरा लिया और उसके इलेक्ट्रानिक डाटा में भी फेरबदल की। महिला को अपनी आफिस की एक साथी से आनलाइन पति के लाग इन की जानकारी मिली थी।

वहीं अपनी सफाई में महिला का कहना है कि गेम के दौरान बिना चेतावनी के तलाक मिलने पर मुझे गुस्सा आ गया। महिला को उसके आनलाइन पति द्वारा अपने डिजिटल अवतार की हत्या की शिकायत दर्ज कराने के बाद गिरफ्तार किया गया है।

इस साल अगस्त में एक महिला ने अपने ब्वाय फ्रेंड का ही अपहरण कर लिया था। उससे वह सेकंड लाइफ गेम के दौरान मिली थी।

Saturday, October 25, 2008

कंडोम पर कोहराम व चुंबन पर चुप्पी क्यों!


इंदौर के एक डाक्टर ने कंडोम को एड्स से बचाव के लिए कथित तौर पर ब्रह्मास्त्र की तरह बताने वाले सरकारी प्रचार अभियानों का कड़ा विरोध करते हुए फौरन इन पर रोक लगाने की मांग की है।

डाक्टर का आरोप है कि एचआईवी संक्रमण की दूसरी वजहों पर जागरूकता फैलाने की ओर भारत सरकार का ध्यान अपेक्षाकृत कम है जिनमें कुछ अनुसंधानों के मुताबिक इसकी वजहों में लंबा चुंबन भी शामिल है। इंदौर के डा. मनोहर भंडारी ने बताया कि वह अपने वकील के जरिए इस सिलसिले में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन नाको को कानूनी नोटिस भी भेज चुके हैं।

26 सितंबर को भेजे गए नोटिस में जोर देकर दावा किया गया है कि लंबे चुंबन से भी एड्स फैल सकता है। शहर के एक चिकित्सा महाविद्यालय में नौकरी करने वाले डा. भंडारी ने आरोप लगाया कि सरकार और उससे जुड़ी विभिन्न एजेंसियां उक्त वैज्ञानिक तथ्य को छिपाने की कोशिश कर रही है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

नोटिस में कहा गया है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, डाक्टरों और नर्र्सो के लिए सरकारी एजेंसियों की ओर से एड्स पर प्रकाशित प्रशिक्षण मॉड्यूल में चुंबन और एड्स के संबंधों पर अलग-अलग बातें सामने आती हैं।

डा. भंडारी ने कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए प्रकाशित प्रशिक्षण माड्यूल में उल्लेख किया गया है कि चुंबन या आलिंगन से एड्स नहीं फैलता। डा. भंडारी ने नर्सो के लिए जारी प्रशिक्षण माड्यूल में चुंबन के संदर्भ को बेहद उलझा हुआ बताया।

उन्होंने उक्त माड्यूल के हवाले से कहा कि साधारण चूमने से भी एड्स संक्रमण नहीं होता ज्यादातर वैज्ञानिकों का मानना है कि अधिक समय तक लिए गए चुंबन से एचआईवी संक्रमण संभव है क्योंकि इसमें रक्त ज्यादा देर तक परस्पर संपर्क में रहता है। साधारणत: इसकी आशंका कम ही रहती है।

नोटिस के मुताबिक डाक्टरों के लिए प्रकाशित प्रशिक्षण माड्यूल में सूखे चुम्बन जैसे आकस्मिक संपर्क को एड्स के मामले में सुरक्षित बताया गया है।

बहरहाल डा। भंडारी की मानें तो इस विषय पर किए गए कुछ अनुसंधान कहते हैं कि मसूडे़ क्षतिग्रस्त हो अथवा मुंह में कोई घाव या छाला हो तो एड्स संक्रमित शख्स को लंबे समय तक चूमने से यह बीमारी साथी में भी घर कर सकती है। एड्स से बचाव के लिए सरकार द्वारा केवल कंडोम का प्रचार आम जनता को गुमराह कर रहा है।

डा। भंडारी के वकील सुरेश नारायण सक्सेना ने नोटिस में सरकार को चेतावनी भरे लफ्जों में कहा है कि वह एचआईवी संक्रमण की दूसरी वजहों पर भी आम जन के लिए जोरदार जागरूकता अभियान चलाए। वरना उनके मुवक्किल विधि के मुताबिक अगला कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

इस बीच एड्स के साथ जी रहे लोगों के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन ने कहा कि यह दावा सरासर गलत है कि कंडोम को सरकार हौवा बनाकर पेश कर रही है। मध्यप्रदेश नेटवर्क आफ पीपुल लिविंग विद एचआईवी पाजीटिव के मनोज वर्मा ने कहा कि देश में एड्स संक्रमण के ज्यादातर मामले असुरक्षित यौन संबंधों के चलते सामने आते हैं।

उन्होंने जोर देकर कहा कि कंडोम न केवल एड्स के खतरे से बचाता है बल्कि कई गुप्त रोगों और अवांछित गर्भ से भी रक्षा करता है। लिहाजा कंडोम का जोरदार प्रचार प्रसार किया जा रहा है तो इसमें आखिर क्या बुराई है।

Friday, October 24, 2008

शादी में 'बेस्ट मैन' बना कुत्ता


एक ब्रिटिश जोड़े ने हाल ही में जब शादी रचाई तो उनके 'बेस्ट मैन' की भूमिका पालतू कुत्ते 'एड' ने निभाई। ईसाई धर्म में आमतौर पर शादी में बेस्ट मैन की भूमिका वर या वधू के भाई-बहिन या जिगरी दोस्त निभाते हैं।

माना जाता है कि शादी में बेस्ट मैन बने युवक-युवतियों की भी जल्द शादी हो जाती है। लेकिन, हैरिएट और एंड्रयू एथे की इस शादी में कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला। इस शादी में एड के साथ हमबग और गाउलश नाम के पालतू कुत्ते भी शरीक हुए। ये तीनों शादी में बाकायदा शानदार लिबास पहनकर शरीक हुए। शादी में इनके शरीक होने के पीछे दिलचस्प वजह है।

दरअसल, इन कुत्तों की वजह से ही हेरियट और एंड्रयू पहली दफा मिले थे। अगस्त 2007 में डोरसेट के मुडफोर्ड बीच पर अपने पालतू कुत्तों के साथ सैर करते वक्त ही एंड्रयू और हेरियट की नजरें लड़ी थीं। इसके बाद तो उनकी मुलाकातों का सिलसिला चल निकला।

इसके पांच माह बाद जनवरी 2008 में जब दोनों छुट्टियां बिताने दुबई गए तब एंड्रयू ने हेरियट को शादी के लिए प्रपोज कर दिया।

Thursday, October 23, 2008

पेरिस हिल्टन का जिराफ डांस


मशहूर अमेरिकी अभिनेत्री व माडल पेरिस हिल्टन हमेशा किसी न किसी वजह से सुर्खियों में बनी रहती हैं। हिल्टन अब अपने 'जिराफ डांस' को लेकर चर्चा में हैं।

एक वेबसाइट में प्रकाशित उनकी तस्वीरों के हवाले से कहा जा रहा है कि हिल्टन जिराफ सरीखा डांस करती हैं। वेबसाइट के मुताबिक क्लबों में डांस करते वक्त उनकी जो तस्वीरें खींची गई हैं, उनमें हिल्टन को खास अंदाज में देखा जा सकता है। इनमें वह किसी जिराफ की तरह नाचती नजर आती हैं।

डांस करते वक्त हिल्टन कुछ खास मुद्राएं बनाती हैं, जो जिराफ जैसी होती हैं। डांस करते वक्त हिल्टन कभी-कभी किसी जिराफ की तरह एकदम सतर्क खड़ी हो जाती हैं। उनका एक हाथ बिल्कुल जिराफ की लंबी गर्दन की तरह सिर से ऊपर चला जाता है।

Monday, October 20, 2008

प्यार एक बीमारी व सेक्स इसका इलाज


सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन है सच। प्यार एक बीमारी है। और इसका इलाज सेक्स है। ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी की डाक्टर लेसेल डासन ने अपने शोध के बाद यह नतीजा निकाला है।


डासन के मुताबिक यह बीमारी अक्सर अमीर गरीब के बीच प्रेम संबंधों और उसकी विफलता के कारण होती है। दबा प्यार और उसे पाने की चाहत के चलते इंसान को गुस्सा, फ्रस्टेशन और यहां तक कि मानसिक रोग भी हो सकते हैं। अभी तक इसे संगीत, बेहतर खान-पान और मानसिक व्यायामों से ठीक करने की कोशिश की जाती थी। लेकिन डासन के मुताबिक लव सिकनेस से उबरने का एकमात्र उपाय सेक्स है।


उन्होंने इलाज के तौर पर मरीज को संगीत में ध्यान लगाने की सलाह भी दी। डासन ने कहा कि लव सिक से पीडि़त लोगों को व्यस्त रहना चाहिए और हो सके तो दोस्तों से दर्द बांट लेना चाहिए। लेकिन इस बीमारी से छुटकारा पाने का सबसे बेहतर तरीका सेक्स है। सेक्स से प्यार करने वालों के शरीर से नुकसानदायक तत्व बाहर निकल जाते हैं। यही नुकसानदायक तत्व बीमारी की वजह बनते हैं।

Sunday, October 19, 2008

बंदर को मिला बाडी गार्ड


चर्चित नेता या अभिनेता के साथ हमेशा लगे रहने वाले बाडी गार्ड तो आपने जरूर देखे होंगे। लेकिन, क्या आपने किसी जानवर के बाडी गार्ड के बारे में सुना है? चीन के एक चिडि़याघर में अनाथ बंदर के बच्चे की रक्षा के लिए अधिकारियों ने उसे एक कुत्ता बतौर बाडी गार्ड उपलब्ध कराया है।

चीन के जियाओजू शहर में स्थित चिडि़याघर के कर्मियों का कहना है कि इस छोटे अनाथ बंदर को अन्य बंदर बहुत परेशान करते थे। कई बार तो उन्हें बंदर की जान बचाने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा। 'चाइना न्यूज नेटवर्क' में चिडि़याघर के प्रवक्ता के हवाले से कहा गया है, 'हमने बंदर के पिंजरे में एक कुत्ते को इस उम्मीद के साथ रखा कि वह इस अनाथ की रक्षा करेगा।

सेई हू नाम का यह कुत्ता अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहा है। जैसे ही कोई बंदर को तंग करता है, वह उसे डराकर भगा देता है। बंदर भी काफी चालाक है, खतरे की भनक लगते ही वह झट से कुत्ते की पीठ पर चढ़ जाता है।' जब से यह कुत्ता बंदर का बाडी गार्ड बना है अन्य बंदर हताश हैं। कई बार उन्होंने बंदर को परेशान करने की कोशिश की लेकिन सेई हू की वजह से हर बार में नाकाम रहे।

Saturday, October 18, 2008

डांस में माहिर कामकाजी रोबोट


दक्षिण कोरियाई शोधकर्ताओं ने एक ऐसा रोबोट विकसित किया है जो नाच सकता है। यही नहीं, काम-काज ठीक से नहीं होने पर यह रोबोट भावुक भी हो जाता है।

माहरू नाम का यह रोबोट डांस करते वक्त वक्त बाकायदा अपनी भौहें व होंठ हिलाता है और आंखें भी नचाता है। नाचते समय यह तरह-तरह के मुंह बनाकर अपने भाव भी व्यक्त करता है और उन भाव से मिलती-जुलती दो तरह की गंध भी छोड़ता है। माहरू चलते वक्त अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को स्वतंत्रतापूर्वक हिला सकता है।

इस रोबोट को कोरिया इंस्टीट्यूट आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी के शोधकर्ताओं के एक दल ने विकसित किया है। इस दल के प्रमुख शोधकर्ता यू बम जेई का कहना है कि माहरू से घरेलू कामकाज में मानवीय रोबोट के व्यावसायिक इस्तेमाल के रास्ते खुलेंगे।

उन्होंने बताया कि डांस करने में माहिर माहरू उसमें लगे एडवांस मोशन कैप्चर सिस्टम के जरिए विभिन्न इंसानी हरकतें करने में सक्षम है। माहरू अपने हाथों के जरिए रास्ते में पड़ी चीजों को हटा सकता है। यू ने बताया कि उनकी टीम ने एक सेंसर युक्त 'माहरू-एम' रोबोट भी विकसित किया है जो विभिन्न चेहरों और वस्तुओं में भेद कर सकता है।

Friday, October 17, 2008

अब घोड़े का अल्कोहल टेस्ट


रोमानिया की यातायात पुलिस ने हाल में एक घोड़े का अल्कोहल टेस्ट कराया। एक बग्घी में जुते इस घोड़े ने सड़क किनारे बेंच पर बैठे एक आदमी को टक्कर मार दी थी। टेस्ट में पता चला कि टक्कर के वक्त घोड़ा शराब के नशे में टुन्न था।

गोर्ज काउंटी में हुई इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी ने पुलिस को बताया कि बग्घीचालक के लाख प्रयासों के बावजूद घोड़ा बेकाबू होकर भाग रहा था। 56 वर्षीय बग्घीचालक आयन ड्रेगन ने पुलिस को बताया कि वह एक पशु मेले से घोड़ा खरीदकर घर लौट रहा था कि यह हादसा हो गया।

पुलिस को शक है कि शायद घोड़े को बेचने से पहले उसे मजबूत व स्वस्थ दिखाने के लिए ही शराब पिलाई गई होगी। इलाके के मुख्य पशु चिकित्सक आयन इलुता ने कहा कि जब पुलिस ने उनसे घोड़े का अल्कोहल टेस्ट करने को कहा तो वह हैरान रह गए।

उन्होंने कहा कि इससे पहले किसी ने उनसे ऐसी गुजारिश नहीं की थी। वैसे इस रोचक घटना का दुखद पहलू यह है कि घोड़े ने घर के बाहर बेंच पर बैठे जिस 86 वर्षीय व्यक्ति को टक्कर मारी थी, गंभीर चोटें आने के कारण उसकी मौत हो गई।

Thursday, October 16, 2008

अब किराए पर लें पति की सेवाएं


'क्या आप घर के काम में हाथ नहीं बंटाने वाले अपने पति से परेशान हैं? तो, सब कुछ भूलकर हमारे पास आइए'। दरअसल, यह विज्ञापन एक ऐसी कंपनी की बेवसाइट का है, जो किराए के पति उपलब्ध कराती है।

जी हां, अर्जेटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में एक कंपनी महिलाओं को 15.50 डालर [करीब 760 रुपये] प्रति घंटे के हिसाब से किराए के पति उपलब्ध करा रही है। कंपनी का कहना है कि जो महिला अपने घर के काम में रुचि नहीं लेने वाले पति से परेशान है, वह किराए के पति की सेवाएं ले सकती है।

इस कंपनी का नाम भी बड़ा ही दिलचस्प 'हसबेंड फार रेंट' रखा गया है। कंपनी का दावा है कि यह सुविधा अकेली, तलाकशुदा और विधवा महिलाओं के लिए बहुत काम की है। कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले किराए के पति बिजली, लकड़ी सहित घर के सभी कामों में पारंगत हैं।

कंपनी के मालिक डेनियल अलोंसो ने बताया कि उन्हें यह अजीबोगरीब आइडिया उस दिन आया जब उनकी पड़ोसन ने अलोंसो की पत्नी से अपना पति किराए पर लेने का मजाक किया।

56 वर्षीय अलोंसो का दावा है कि उनकी कंपनी के पास अभी दो हजार ग्राहक हैं। अलोंसो ने कहा कि सस्ते में घर के काम निपट जाने के कारण महिलाओं को यह सुविधा खूब पसंद आ रही है।

Tuesday, October 14, 2008

पाकिस्तानी दुल्हनिया हो गई हिंदुस्तानी


कहते हैं-'जोडि़यां आसमान में बनती हैं।' फिर वीजा की क्या बिसात जो आड़े आ जाए। दूल्हा पाकिस्तान नहीं जा सका तो दुल्हन ही बारात लेकर हिंदुस्तान आ गई। पेशावर की अनीता सोमवार को अमृतसर के पवन के साथ सात फेरे लेगी।

अमृतसर पहुंचने के बाद अनीता ने बताया-मैं बारहवीं पास कर ली है। हिंदी फिल्में बहुत अच्छी लगती हैं। मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी शादी अमृतसर में होगी। अमृतसर के बारे में पिता जी से सुना था। अब देख लिया, बहुत अच्छा लगा।

अनीता के पिता इंद्र प्रकाश ने बताया कि अमृतसर में उनके रिश्तेदार रहते हैं। लेकिन यहां आने के लिए उन्हें वीजा जल्दी नहीं मिल पाता। उन्होंने बताया कि बेटी अनीता की शादी अमृतसर के पवन से तय की। लेकिन दूल्हे को वीजा नहीं मिल सका। काफी मशक्कत के बाद उन्हें और कुछ रिश्तेदारों को अमृतसर आने के लिए 45 दिन का वीजा मिल सका है।

इंद्र प्रकाश ने बताया कि अनीता के वीजा की अवधि बढ़ाने के लिए अर्जी दे दी गई है। उम्मीद है कि कामयाबी मिल जाएगी। पवन और उसके घर वाले भी प्रार्थना कर रहे हैं कि वीजा बढ़ जाए। इंद्र प्रकाश का कहना है कि दोनों देशों की सरकारों को वीजा देने की प्रक्रिया को सरल करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वे पाकिस्तान से प्यार लेकर आए हैं। ऊपर वाले से यही प्रार्थना है कि दोनों देशों में अमन-शांति बनी रहे। दूल्हे के पिता ध्यानंचद का कहना है कि मीडिया की मदद से शायद उनकी बहू का वीजा बढ़ाने के लिए दोनों देशों की सरकारों से मंजूरी मिल जाए।

अमृतसर के खंडवाला में स्थित पिशौरी नगर में भारत विभाजन के बाद पेशावर से आए हिंदू परिवारों को रहने के लिए जगह दी गई थी। पूरे मुहल्ले में हिंदू परिवार ही रहते हैं। यहां के लोग अब भी पेशावरी बोली ही बोलते हैं। इनको पंजाबी भी आती है, लेकिन आपसी बातचीत में ये लोग पेशावरी बोली का ही प्रयोग करते हैं। इनके रिश्तेदार अब भी पाकिस्तान में हैं। लेकिन वीजा आसानी से नहीं मिलने के कारण मुलाकातें नहीं हो पाती।

मुहल्ला निवासी ध्यान चंद का कहना है कि हिंदू त्योहार हो या मुस्लिम सभी को यहां पर लोग मिलजुल कर मनाते हैं।

पाकिस्तान से बारात लेकर आई दुल्हन अनीता सोमवार को अमृतसर के पवन की हो गई। यहां दोस्तों-रिश्तेदारों की मौजूदगी में वैदिक विधि-विधान के साथ दोनों ने सात फेरे लिए। हाथों में मेहंदी, कलाई में सुहाग का चूड़ा और चेहरे पर शर्मीली मुस्कान के साथ जब दुल्हन अनीता ने मैरिज पैलेस में कदम रखा तो मानो पूरा पेशावर उतर आया हो।

अनीता और पवन ने एक-दूसरे के गले में माला पहना कर अपनी जिंदगी की नई पारी शुरू की। पेशावरी पोशाक पहने अधिकांश बाराती समारोह में चार चांद लगा रहे थे। दूल्हे पक्ष के लोगों ने भी बारातियों की खूब खातिरदारी की। पाकिस्तान से आए बलवंत राम, जय गोपाल, रचना कुमारी और दुल्हन के परिजनों खुशी झलक रही थी। लेकिन उनकी जुबां पर यह सवाल भी था कि क्या दुल्हन को वीजा के 45 दिन बीतने के बाद भी भारत में रहने के लिए इजाजत मिल पाएगी?

शादी के बाद पत्रकारों से बातचीत में दुल्हन अनीता ने कहा कि उसने तो पाकिस्तान से आकर पर अपनी जिंदगी की नई पारी की शुरू कर ली है, लेकिन भारत और पाकिस्तान की सरकारों से गुजारिश है कि वह शादी करने वालों के लिए वीजा प्रणाली सरल करें।

दूल्हे के पिता ध्यानचंद ने कहा कि उसने शादी के लिए तो हामी भर दी, लेकिन उन्हें पेशावर जाने के लिए वीजा नहीं मिल पाया। दूल्हे की बहन परवीन और नीना उसकी भाभी के वीजा की तिथि बढ़ाने की मांग की है।

Monday, October 13, 2008

आइसलैंड बिक रहा है बोलो खरीदोगे!


बर्फीली वादियां और दिल को छू लेने वाले दृश्य। शायद ही कोई होगा जो आइसलैंड नहीं जाना चाहेगा। उत्तर अटलांटिक महासागर का यह छोटा सा द्विपीय देश खराब वित्तीय स्थिति के चलते अब आनलाइन आक्शन हाउस ईबे पर नीलाम हो रहा है।

आइसलैंड अपने दिवालिया हुए बैंकों को उबारने के लिए रूस से 5.49 अरब डालर [करीब 2.69 खरब रुपये] का ऋण तो ले ही रहा है। अब उसने कई अन्य चीजें भी ईबे पर नीलामी के लिए रखी हैं। कह सकते हैं कि उसने खुद को ही नीलामी के लिए रख दिया है। 99 पेंस से शुरू हुई यह नीलामी शुक्रवार तक 1.72 करोड़ डालर [करीब 84.75 करोड़ रुपये] पर पहुंच गई थी। ईबे पर दी गई सूचना के अनुसार मशहूर गायक ब्योर्क नीलामी के लिए उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन, इसमें कुल 84 चीजें रखी गई हैं और इस नीलामी में अब तक 26 लोग शामिल हो चुके हैं।

ईबे पर इसके लिए दिलचस्प तरीके से प्रचार किया गया। नोटिस में कहा गया कि विजेता बोलीकर्ता को आइसलैंड में रहने लायक वातावरण तो मिलेगा ही साथ ही वह यहां के खास घोड़ों की सवारी का भी लुत्फ उठा सकेगा। बोली लगाने वालों के सवाल भी अजीबोगरीब हैं। मसलन, किसी ने पूछा कि 'क्या आप ज्वालामुखी या भूकंप से बीमा की गारंटी देते हैं?

Sunday, October 12, 2008

आंसुओं से लिखता है एक चीनी आदमी


आपको जानकर हैरानी होगी कि एक चीनी आदमी अपने आंसुओं से लिखता है। हेनान प्रांत के लूआयांग में रहने वाले 56 वर्षीय रू एंटिंग अपनी नाक से पानी खींचकर आंख की अश्रु ग्रंथियों के जरिए उसे स्प्रे करते हैं।

कमाल की बात तो यह है कि वो आंखों से पानी छोड़कर सुंदर अक्षर बनाने में माहिर हैं। हाल ही में उन्होंने गुआंगदोंग के शानशुई स्थित लोटस व‌र्ल्ड पार्क में अपनी इस अनूठी कला का प्रदर्शन किया। एंटिंग ने अपनी अश्रु ग्रंथियों से पानी बाहर निकाल कर सामने रखे लाल पेपर के बोर्ड पर 'फू रू दोंग हाय' (भाग्य समुद्र के समान विशाल है) लिखा।

चाइना न्यूज नेटवर्क में एंटिंग के हवाले से कहा गया है कि उन्हें अपनी इस अनूठी प्रतिभा का बचपन में नदी में तैरते वक्त पता चला। एंटिंग ने कहा, 'कभी-कभी तैरते वक्त मैं गलती से पानी निगल लेता था। एक बार मैंने गौर किया कि मेरी आंख से पानी की फुहार निकल रही है। मेरे दोस्त भी यह देखकर हैरान रह गए।

1990 के दशक में अपनी नौकरी छूटने के बाद एंटिंग ने अपने इस हुनर पर और ध्यान देना शुरू किया। एंटिंग का कहना है कि तीन साल के कड़े अभ्यास के बाद वह अपनी आंखों से दस फीट दूर तक पानी की बौछार कर सकते हैं।

Saturday, October 11, 2008

सांप बना चूहे का शिकार


कहावत है कि जान पर बन आती है तो चूहा भी शेर हो जाता है। ताइवान में ऐसा ही कुछ देखने को मिला। यहां सांप के भोजन के रूप में एक पिंजरे में डाले गए चूहे ने सांप का ही शिकार कर डाला।

वाकया कुछ इस तरह है। ताइवान के नेनतू कस्बे में फायर ब्रिगेड कर्मचारियों ने एक दिन करीब तीन फीट लंबा सांप पकड़ा। उन्होंने सुरक्षा के लिहाज से उसे चूहे पकड़ने वाले एक पिंजरे में रख दिया।

'एपल डेली' में इस दल के एक सदस्य के हवाले से कहा गया है हमने सांप के भोजन के लिए एक चूहे को पिंजरे में डाल दिया। लेकिन यहां तो पासा ही पलट गया चूहे ने सांप का भोजन बनने की बजाय उसका शिकार कर डाला।

एक अन्य सदस्य ने कहा, 'हमने जैसे ही चूहे को पिंजरे में डाला, वह सांप को देखकर बौखला गया। चूहे ने लगातार सांप पर हमले किए। करीब 30 मिनट तक चली लड़ाई में उसने सांप को बुरी तरह जख्मी कर दिया। सांप ने दम तोड़ दिया और चूहे को खरोंच तक नहीं आई।' इस सदस्य ने बाद में कहा, 'लगता है यह सांप एक नौसिखिया शिकारी था।'

Friday, October 10, 2008

नल से पानी की जगह निकली वाइन


शराब के शौकीन अक्सर ख्वाब देखते हैं कि काश ऐसा हो कि नल खोलते ही उनकी पसंदीदा चीज बाहर निकलने लगे। पिछले दिनों रोम के मैरिनो शहर में हकीकत में यह वाकया हुआ। लोगों के घर में लगे नल से पानी की जगह वाइन निकलने लगी।

तफ्तीश करने पर पता लगा कि स्थानीय महोत्सव के दौरान जिस पाइप लाइन के जरिए वाइन की सप्लाई होती है, गलती से वह घरों में पानी की सप्लाई से जोड़ दी गई। मैरिनो में हर साल एक उत्सव मनाया जाता है जिसमें शहर के बीचोंबीच स्थित मुख्य फव्वारे से पानी की जगह वाइन निकलती है। लोग इस समारोह का जमकर लुत्फ उठाते हैं। इस दौरान एक वाइनयार्ड से फव्वारे की पाइप लाइन को जोड़ दिया जाता है। प्लंबर्स ने गलती से फव्वारे की पाइप लाइन की जगह इसे घरों की पानी सप्लाई की लाइन से जोड़ दिया।

मैरिनो के मेयर एड्रियानो पेलोजी के मुताबिक महोत्सव के लिए जुटे लोग उस वक्त निराश हो गए जब फव्वारे से वाइन की जगह पानी निकला। तभी पास के एक घर से आवाज आई - 'गजब हो गया।' एक महिला अपने पड़ोसी को चिल्लाकर बता रही थी कि उसके यहां नल से वाइन निकल रही है।

अन्ना नाम की एक अन्य महिला ने कहा, 'जैसे ही मैंने नल खोला अजीब सी महक आई। मैंने गौर किया तो पता चला कि यह व्हाइट वाइन थी। मैंने अपने पड़ोसियों को इसके बारे में बताया। उन्होंने अपने यहां नल खोले तो उनसे भी वाइन निकल रही थी।'

Thursday, October 9, 2008

मुर्गी की कैंसर पर जीत


ईव रेडियोथिरैपी के जरिए कैंसर का इलाज कराने वाली ब्रिटेन की पहली मुर्गी बन गई है। ईव के मालिक एलेन और क्रिस डेनी ने उसके इलाज पर 1400 पौंड [करीब एक लाख 20 हजार रुपये] खर्च किए।

ईव का इलाज इग्लैंड की ससेक्स काउंटी के एनिमल हेल्थ ट्रस्ट में किया गया। पशु चिकित्सकों ने पूरी तरह स्वस्थ तीन वर्षीय मुर्गी को अब अस्पताल से छुट्टी दे दी है। ईव के बाएं पैर में कैंसर हो गया था। आपरेशन के बाद अब वह फिर से थोड़ा-बहुत उड़ सकती है और वारसेस्टर स्थित अपने घर में फुदक सकती है।

पिछले साल सितंबर में ईव के बाएं पैर में जब हल्की रेखाएं उभरीं तो शुरू में उसके मालिकों ने इसे मामूली त्वचा संक्रमण समझा गया। लेकिन, पेशे से अकाउंटेंट डेनी दंपती का दिल तब टूट गया जब डाक्टर ने उन्हें बताया कि ईव को कैंसर हो गया है। ईव की बीमारी को हल्के में लेने की भूल सुधारने के लिए डेनी दंपती ने उसका रेडियोथिरैपी से इलाज कराने का निर्णय लिया।

43 वर्षीय मिसेज डेनी कहती हैं, ईव हमारी पालतू मुर्गी है। वह अन्य पालतू जानवरों की तरह बगीचे में खेलती है। नाम पुकारने पर प्रतिक्रिया देती है। अगर हम उसका इलाज नहीं कराते तो वह मुश्किल से दो-तीन महीने ही जी पाती। उन्होंने आगे कहा, 'हमने ईव का इलाज कराने का फैसला किया। हमारी जगह कोई और होता तो शायद वह भी यही करता।'

Wednesday, October 8, 2008

60 साल बाद मिले बिछड़े भाई-बहन


आमतौर पर ऐसी घटनाएं हमलोग फिल्म में देखते हैं या किस्से-कहानियों में पढ़ते हैं लेकिन हकीकत यह है कि साठ साल पहले बिछड़े भाई-बहन हाल ही में जब फिर मिले तो उन्हें पता चला कि दोनों एक-दूसरे से महज चार मील के फासले पर रह रहे थे और मिले इतने सालों बाद।

87 वर्षीय जार्ज कलविक छह दशक पहले अपनी बहन लूसी हीनन [88] से अपनी इंजीनियरिंग फर्म की देश भ्रमण यात्रा के दौरान बिछड़ गए थे। संयोग से तीन माह पहले जार्ज अपने समुदाय की एक बैठक में शरीक हुए तो उन्हें एक रिश्तेदार से पता चला कि लूसी बर्मिघम स्थित लेगली में रह रही हैं। यह सुनकर दशकों से क्विंटन में रह रहे जार्ज हैरत में पड़ गए क्योंकि उनके घर से लेगली कुछ मिनटों की दूरी पर है।

'डेली टेलीग्राफ' में जार्ज के हवाले से कहा गया है, 'मुझे लगता था कि लूसी की मौत हो गई होगी। मैं उसे लगभग भूल चुका था।' जार्ज ने कहा, 'अब इतने सालों बाद लूसी से मिलना बेहद ही भावुक था। शुरू में तो हमारे मुंह से शब्द ही नहीं निकले।'

जार्ज ने कहा, 'मुझे इस बात का दुख है कि हमने 60 साल गंवा दिए। लेकिन अब हम एक-दूसरे के बेटे-बेटियों और नाती-पोतों से मिलकर बेहद खुश हैं।'

Tuesday, October 7, 2008

...अंग्रेजी बोलते भिखारी!


राष्ट्रीय राजधानी के कनाट प्लेस इलाके में घूमते समय आपके पास फटे चीथड़े कपड़ों में भीख मांगते हुए कुछ लोग आ सकते हैं लेकिन कमाल की बात तो यह है कि यह लोग प्रभावी तरीके से आपसे अंग्रेजी में बात करें।

अंग्रेजी बोलने वाले ये आधुनिक भिखारी आपसे धन या खाना नहीं बल्कि अपने लिए दवाएं खरीदने को कहेंगे। कुछ लोग तो पैसे देकर छुटकारा पा लेते हैं तो कुछ लोग भावनात्मक तौर पर उन पर तरस खाकर वास्तव में उन्हें दवाई दिलाने के लिए तैयार हो जाते हैं।

केमिस्ट की दुकान पर लोगों को ले जाकर वे दवाई खरीदते हैं। लेकिन दूसरों की मदद करके आत्मसंतुष्ट लोगों को यह पता ही नहीं चलता कि वह भिखारियों के झांसे में फंस चुके हैं। एक कंपनी में मार्केटिंग एक्सिक्यूटिव और इसी तरह की घटना के शिकार अजीत दुबे ने बताया कि मुझे लगता था कि कुछ गड़बड़ है। जब मैंने पड़ताल की तो पता चला कि दुकानदारों ने भिखारियों के साथ सौदा कर रखा है। भिखारी बिकी हुई दवाओं को सही सलामत वापस दुकान पर लाते हैं और कीमत का आधा हिस्सा ले जाते हैं।

दुबे ने कहा कि मैंने 270 रुपये खर्च करके एक व्यक्ति को इन्हेलर दिलाया। लेकिन बाद में पास के गार्डो ने कहा कि भिखारी अपनी दुखभरी कहानियों से विदेशियों को मूर्ख बनाते रहते हैं और कुछ लोग तो उन्हें पैसे देने के लिए एटीएम से भी पैसा निकालते हैं।

Monday, October 6, 2008

मोनालिसा की मुस्कराहट को मात देती 'प्रसाधिका'


मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान को भला कौन भुला सकता है। आइये आपको मिलवाते हैं 'इंडियन मोनालिसा' से। बीएचयू स्थित भारत कला भवन में कुषाण काल की सर्वाधिक सुंदर स्त्री की मूर्ति है जिसका नाम 'प्रसाधिका' है।

मोनालिसा की पेंटिंग की तरह ही इस प्रसाधिका की खासियत भी यह है कि चाहे जिस कोण से इसे निहारें, लगेगा वह आपको देखकर ही मुस्करा रही है। यही वजह है कि कला भवन आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक इस मूर्ति के आगे न सिर्फ ठिठक जाते हैं बल्कि देर तक अवलोकन भी करते हैं।

कलाविदें ने काफी पहले ही इस प्रसाधिका को 'इंडियन मोनालिसा' का खिताब दे दिया है। प्रख्यात कलाविद् व कला भवन के निदेशक डॉ. डीपी शर्मा स्पष्ट कहते हैं कि कुषाण काल की अब तक मिली स्ति्रयों की मूर्तियों में से प्रसाधिका की यह मूर्ति नि:संदेह सर्वाधिक सुंदर है।

दरअसल यह 'सौम्य सौंदर्य' की अद्वितीय मिसाल है। मथुरा की खोदाई में कई दशक पहले मिली इस मूर्ति को फैजाबाद (दियारा) के कौशलेंद्र साही ने कई वर्ष पहले कला भवन को दान दिया था। इस अद्भुत सुंदरता व मुस्कान वाली धरोहर की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई बार लंदन म्यूजियम व अमेरिका की प्रदर्शनी के लिए इसकी मांग की गई। बावजूद इसके सिर्फ इसको क्षति पहुंचने की आशंका में कहीं नहीं भेजा गया।

सोमवार को कला भवन का अवलोकन करने आये लंदन म्यूजियम के राबर्ट्स ब्रेसी ने कहा कि वाकई यह कुषाण काल की सर्वाधिक सुंदर स्त्री की मूर्ति है जो उस काल के सुंदरता की पराकाष्ठा की द्योतक है। कला भवन के सहायक संग्रहाध्यक्ष डॉ. आरपी सिंह का कहना है कि अक्सर ही यहां आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक प्रसाधिका को देखने के बाद इसकी अद्वितीय मुस्कारहट व भव्य सुंदरता की चर्चा करने से खुद को रोक नहीं पाते।

इस प्रसाधिका के बायें हाथ में आभूषणों से भरी टोकरी है जबकि दाहिने हाथ में पानी का पात्र है। यह इस बात का द्योतक है कि तब काफी संपन्नता थी।


Sunday, October 5, 2008

बेडरूम से बाथरूम तक गुप्त कैमरे


रियलिटी शो तक तो ठीक है लेकिन अमेरिका के एक मकान मालिक ने तो हद कर दी। वह दो दशकों तक अपनी 34 महिला किराएदारों के अपार्टमेंट में गुप्त कैमरे लगाकर उनकी वीडियो फिल्में बनाता रहा। जज फ्रांसिस लारेंस जूनियर की कोर्ट में 45 वर्षीय मकान मालिक थामस डेले पर 200 से अधिक आरोप लगाए गए हैं। मामले की सुनवाई रविवार से शुरू होगी।

मोंटगोमरी काउंटी के सहायक जिला अटार्नी रीनाल्ड ने बताया कि डेले ने यह कारनामा 19 साल शुरू किया था। उसने अपने घर के सभी सातों अपार्टमेंट्स के बेडरूम और बाथरूम में गुप्त कैमरे लगा रखे थे। यह तस्वीरें घर के बेसमेंट में स्थित रिकार्डिग स्टूडियो में भेजी जाती थी। वहां से डेले रिकार्ड टेप को इंटरनेट के माध्यम से देखता था।

डेले ने ये छोटे-छोटे कैमरे आइनों, पंखे, अलमारी और स्विच बोर्ड में छिपा रखे थे। इस बात का खुलासा तब हुआ जब अचानक एक महिला किराएदार की नजर एक कैमरे पर पड़ गई। उसने इस संबंध में पुलिस को सूचना दी। बीते 19 सितंबर को वीडियो फिल्में बनाने और निजता भंग करने के आरोप में डेले को गिरफ्तारी कर लिया गया। छानबीन में पुलिस को अपार्टमेंट में 14 वायर टेप और 14 आडियो टेप बरामद हुए।

Saturday, October 4, 2008

बेटे की तरह बनी मां-बाप का सहारा


बेटियां अब बोझ नहीं रही बल्कि बदलते वक्त ने उन्हें पुरुषों के बराबर ला खड़ा किया है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है गुरदासपुर के गांव वाहला की लड़की बलवीर कौर ने।

सुबह चार बजे ही पशुओं को दोह कर, पशुओं को चारा डालने से लेकर झाडू़ पोचा तक का सारा काम करने के बाद दिन भर खेतीबाड़ी का सारा काम खुद संभालती है। लड़की होने के बावजूद ट्रैक्टर चलाने में अच्छे-अच्छों को मात दे देती है। ट्रैक्टर से खुद खेत जोतना, खेत में बाट बटाना, नालियां बनाना, खेतों को पानी लगाना और खाद छिड़कना आदि उसके लिए घरेलू काम जैसा है।

बलबीर कौर की जिंदगी उन लोगों की सोच पर गहरा कुठाराघात है जो सोचते हैं कि केवल लड़के ही माता-पिता का सहारा बनते हैं। एक बेटे की तरह बलबीर अपने माता-पिता का सहारा बनी हुई है। बेटे की तरफ खेतीबाड़ी कर घर परिवार संभाल उसने सिद्ध कर दिया है कि लड़कियों, लड़कों से किसी भी सूरत में कम नहीं है। खेतीबाड़ी करने के साथ-साथ वह पशु पालन विभाग से सिखलाई भी प्राप्त कर रही है। बेटे का फर्ज निभा रही बलबीर को गांव की बेटी का दर्जा भी मिला है।

जब गांव वाहला जाया गया तो बलबीर कौर अपने खेतों में ट्रैक्टर से खेत जोत रही थी। बलबीर कौर ने बताया कि वह दसवीं कक्षा पास है। उसने बताया कि उसकी बड़ी बहन के अलावा एक बड़ा भाई है और वह घर में सबसे छोटी है। उसकी बड़ी बहन का विवाह हो चुका है। जबकि उसका भाई अपने परिवार के साथ अलग रह रहा है।

बलबीर कौर ने बताया कि घर की वित्तीय हालत ठीक न होने के कारण और भाई की तरफ से काम में सहयोग न देने के कारण बुजुर्ग पिता को खेतों में कठिन मेहनत करती देखती थी तो दिल भर आता था। जब वह पांचवीं कक्षा में पढ़ती थी तब अपने पिता के खेतीबाड़ी के कार्यो में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। उसका पिता घर की आर्थिक हालत को सुधारने के लिए शहर में अकसर दूध देने जाया करता था। ऐसे में खेती का काम देखने के लिए कोई नहीं होता था। जिस कारण वह धीरे-धीरे खेती कार्यो में उसकी रुचि बढ़ती गई। दसवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने पक्के तौर पर खेतीबाड़ी के धंधे को अपना लिया।

उसने बताया कि दूसरी लड़कियों को देखते कभी भी उसके मन में हार शिंगार करने का ख्याल नहीं आया है। उसने बताया कि कृषि से संबंधित हर छोटे से छोटे काम करने में उसको कोई परेशानी नहीं आती है। उसने बताया कि धान की खेती में बढ़ोतरी करने के लिए उसने आत्मा के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर डाक्टर अमरीक सिंह से धान की नई तकनीक एसआरआई की तकनीक की जानकारी हासिल कर रही है। उसके अतिरिक्त सहायक धंधे के तौर पर डेयरी फार्मिग का धंधा शुरू करने के लिए डेयरी फार्मिग की सिखलाई लेनी शुरू की है।

उसके पिता अजीत सिंह ने बताया कि बलबीर कौर ने खेती का काम इस तरह अच्छे तरीके से संभाला हुआ है कि कभी पुत्र के अलग रहने की कमी महसूस नहीं हुई। उसने कहा कि यदि वह कहीं बाहर जाता है तो उसे उसके बाद किसी काम की फिक्र नहीं होती। उसने बड़े गर्व से कहा कि बलबीर कौर जैसी लड़कियां हो तो बेटों से क्या लेना। लोग तो ऐसे ही बेटों की इच्छा में पागल हुए फिरते है।

बलवीर कौर की मां भजन कौर ने बताया कि उसी बेटी ने कभी भी आम लड़कियों की तरह अच्छे कपड़े, गहने या कोई और वस्तु की मांग नहीं की। घर में जो भी रुखा-सूखा बना होता है चुपचाप खा लेती है। बेटी को कठिन मेहनत करते देख उसका दिल रो पड़ता है। परमात्मा से एक ही अरदास करती है कि उसको आगे अच्छा ससुराल परिवार मिले। उनकी आस है कि कोई सरकारी नौकरी पेशे वाला लड़का मिल जाए ताकि आगे जाकर खेतीबाड़ी के धंधे से राहत मिल सके।

इस मौके पर सरपंच सुरजीत कौर के बडे़ लड़के तरसेम सिंह ने बताया कि शुरू-शुरू में गांव के लोगों की तरफ से उनको बलबीर कौर को खेतीबाड़ी के धंधे से हटाने के लिए दबाव डाला जाता रहा है परंतु आज पूरे गांव वाले बलबीर कौर पर मान महसूस करते हुए गांव की बेटी का दर्जा देते हैं।

Friday, October 3, 2008

शर्त में हारी जिंदगी


शोहरत और दुस्साहसी बनने के चक्कर में लोग कई बार ऐसी शर्त लगा बैठते हैं जिसमें जान तक चली जाती है। लंदन के 33 वर्षीय शेफ एंड्रयू ली के साथ कुछ ऐसा ही हुआ।

ली और उसकी प्रेमिका सामंथा बेली के भाई के बीच सुपर हाट चिली सास खाने की शर्त लगी। लेकिन सास खाते ही ली को बेचैनी और खुजली की शिकायत शुरू हो गई। हालत बिगड़ने पर उसे डाक्टर के पास ले जाया गया। लेकिन सुबह तक ली की मौत हो गई। फूड रिएक्शन की जांच करने के लिए सास का टेस्ट कराया जाएगा।

ली की बहन क्लेयर चैडबोर्न ने कहा कि किसने सोचा था कि सास खाने से ली की जान चली जाएगी? खुद ली बेली के घर से हाट सास लेकर आया था। माइकल को चुनौती भी उसी ने दी थी।

Thursday, October 2, 2008

जीवन साथी को गले लगाकर जिंदगी को खुशहाल बनाए


किसी ने खूब कहा है कि प्यार का कोई मोल नहीं होता। महंगे तोहफे देने या शाम को किसी आलीशान होटल में डिनर करने से ही शादीशुदा जिंदगी खुशहाल नहीं होती। शोधकर्ताओं ने खुशहाल शादीशुदा जिंदगी का गैरखर्चीला राज ढूंढ निकाला है। इसके मुताबिक दिन में चार बार अपने साथी को गले लगाकर शादीशुदा जिंदगी को खुशहाल बनाए रखा जा सकता है।

अध्ययन के मुताबिक हर महीने अपने साथी के साथ कम से कम 22 बार पर्याप्त समय बिताकर आप अपने रिश्ते मधुर बनाए रख सकते हैं। इसमें साथ टहलना या रोमांटिक डिनर करना जैसी बातें भी शामिल हैं। 'द डेली टेलीग्राफ' में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि इसके लिए चार हजार जोड़ों पर एक अध्ययन किया गया।

अध्ययन के नतीजों से खुलासा हुआ कि अपनी शादीशुदा जिंदगी में खुशी तलाश रहे लोगों को महीने में कम से कम सात शाम एक-दूसरे के नाम करनी चाहिए। महीने में दो बार अपने साथी के साथ लांग ड्राइव पर जाने या या फिल्म देखने से भी बात बन सकती है। शोध में पतियों को महीने में एक बार अपनी पत्नी को उपहार देने की भी बात कही गई है। यही नहीं, इसमें महीने में एक शाम अपने साथी से अलग बिताने की भी सलाह दी गई है।

मनोचिकित्सक लुडविग लोवेनस्टीन कहते हैं कि दांपत्य जीवन में प्यार भरे शब्द और हाव-भाव काफी मायने रखते हैं। कामकाज और परिवार पालने के चक्कर में लोग अक्सर अपने साथी को नजरअंदाज करते हैं। यहां तक कि लोग गले लगना सरीखी छोटी-छोटी बातों की अहमियत भी भूल जाते हैं।

Tuesday, September 30, 2008

डिवाइस जो बढ़ा दे आपकी गाड़ी का माइलेज


ईंधन की बढ़ती कीमतों से निश्चित ही आप भी परेशान होंगे। ऐसे में यह खबर आपके लिए राहतभरी हो सकती है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसे यंत्र [डिवाइस] को विकसित करने का दावा किया है जो गाड़ी का माइलेज 20 प्रतिशत तक बढ़ा देगा।

टेंपल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस छोटे से यंत्र को विकसित किया है। यह विद्युतीय चार्ज ट्यूब है जिसे इंजन के फ्यूल लाइन से जोड़ दिया जाता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह यंत्र बैटरी की ऊर्जा से विद्युतीय क्षेत्र बनाता है, जो ईधन को पतला कर देता है। इससे गाड़ी चलाते समय कम ईधन खर्च होता है।

यूनिवर्सिटी की एक वैज्ञानिक रोंजिया ताओ ने बताया कि इस यंत्र से ईधन तो कम खर्च होता ही है प्रदूषण भी नहीं होता। उन्होंने बताया कि हमने एक मर्सिडीज बेंज कार पर इस यंत्र का छह माह तक परीक्षण किया। हमने पाया कि यंत्र की मदद से गाड़ी का माइलेज 32 मील प्रति गैलन से बढ़कर 38 मील प्रति गैलन हो गया। यानी ईधन की क्षमता में लगभग 20 प्रतिशत सुधार दर्ज किया गया।

ताओ के मुताबिक यह यंत्र हर तरह के फ्यूल [गेसोलीन, डीजल, केरोसीन या बायोडीजल] के लिए समान रूप से कारगर है।

Monday, September 29, 2008

गुब्बारे बताएंगे कब आएगा तूफान


तूफान और उनके रास्ते का पूर्वानुमान जल्द विशेष गुब्बारों से लगाया जा सकता है। एक गुब्बारे की कीमत लगभग 2000 डालर होगी।

पिरामिड के आकार वाले गुब्बारों के शुक्रवार को मियामी में अनुसंधानकर्ताओं और छात्रों ने प्रयोग के लिए छोड़ा। अनुसंधानकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि तूफानों का अगला मौसम शुरू होने से पहले सैकड़ों गुब्बारों को इस प्रयोजन से छोड़ा जाएगा ताकि अटलांटिक में आने वाले तूफानों की पूर्व सूचना के लिए आंकड़े उपलब्ध हो सके।

वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी समुद्र के ऊपर वायुमंडलीय स्थितियों के बारे में वैज्ञानिकों के पास सीमित आंकड़े हैं। अमेरिका के दक्षिणपूर्व तट और कैरिबियाई द्वीपसमूह से सैकड़ों गुब्बारों को इस कार्य के लिए छोड़े जाने से बेहतर आंकड़े सुलभ हो सकेंगे।

अनुसंधानकर्ताओं को उम्मीद है कि कुछ वर्षो के परीक्षण से पूर्वानुमान में तीन चार और पांच दिन तक का सुधार हो सकता है। इससे समय से लोगों को सुरक्षित जगह पहुचाने में मदद मिलेगी।

Sunday, September 28, 2008

फायदेमंद है मुहब्बत


कहते हैं कि मुहब्बत जिंदगी की रंगत बदल देती है। अगर आप प्यार, इश्क और मुहब्बत नहीं करते हैं या आप इसे अपनी जिंदगी से दूर रखे हैं तो इसे तुरंत अपनी जिंदगी लाने का प्रयास करे क्योंकि अब यह बात साबित भी हो चुकी है कि मुहब्बत जिंदगी की रंगत बदल देती है।

आस्ट्रेलिया के एक विश्वविद्यालय के ताजा शोध के मुताबिक अकेलेपन के शिकार ज्यादातर युवक जब किसी युवती से प्यार या दोस्ती करते हैं। तो उनके अपने जिंदगी के प्रति नजरिये में व्यापक बदलाव आ जाता है। ऐसे युवकों का आत्मविश्वास जबरदस्त तरीके से बढ़ता है और उन्हें अपनी जिंदगी हसीन लगने लगती है।

हालांकि ऐसा युवतियों के मामले में नहीं है। सामाजिक शोध के अनुसार युवतियां ज्यादातर अपनी सहेलियों पर निर्भर होती है उनकी सोशल नेटवर्किग युवकों की अपेक्षा ज्यादा सटीक और बड़ी होती है। प्यार या दोस्ती से उन्हें ज्यादा फायदा नहीं होता है।

आस्ट्रेलिया कैथोलिक यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता सिमान राइस का कहना है कि उनके नए शोध से इस पुरानी मान्यता को बल मिला है कि किसी युवती या महिला से दोस्ती युवकों के लिए फायदेमंद होती है। राइस जल्द ही अपने शोध को आस्ट्रेलियन साइकोलॉजिकल सोसाइटी के वार्षिक सम्मेलन में पेश करेंगी।

Saturday, September 27, 2008

दुल्हनों का नया फैशन


भारतीय महिलाएं परंपरागत तौर पर नाक और कान में गहने पहनती हैं लेकिन भारत में फैशन का नया चलन शुरू हो रहा है। यह है दांतों में गहने पहनने का। जी इतना ही नहीं निकट भविष्य में दुल्हन बनने जा रही युवतियों को दांतों में गहने पहनाने के अलावा श्वास प्रबंधन भी सिखाया जा रहा है।

राजधानी में जल्द ही आ रहे कांफीस्माइल टूथ स्पा की अध्यक्ष मधुंचिलांबा ने कहा कि इतना ही नहीं दांतों के गहनों के अलावा दांतों की पॉलिशिंग कर उन्हें चमकदार बनाना और श्वास प्रबंधन की पेशकश राजधानी में अत्याधुनिक दांतों के स्पा कर रहे हैं। लांबा ने कहा कि दंत प्रबंधन भारत में पूरी तरह नया है और इसके प्रति लोगों को आकर्षित करने के लिए मूल स्तर पर ज्यादा जागरूकता होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारतीय दुल्हनें अपने पश्चिमी समकक्षों के बराबर आ रही हैं और अपनी शादी से पहले आभूषणों पर दिल खोलकर खर्च कर रही हैं। अपनी शादी से पहले महिलाएं आमतौर पर अपने दांतों को सफेद कराने और उनमें चमक लाने के लिए अपने पारिवारिक डेंटिस्टों के पास जाती हैं। हम अब नई जानकारी पेश कर रहे हैं वह श्वास प्रबंधन का है जो निश्चित तौर पर दुल्हनों के लिए दीर्घावधि में लाभकारी होगा।

Friday, September 26, 2008

फूल दिखाएं सुहाने सपने


शयनकक्ष में फूल रखने से ज्यादा खुशनुमा और रोमांटिक भला और क्या हो सकता है। बहरहाल एक नए अध्ययन में कहा गया है कि फूलों की खुशबू सुहावने सपनों को आमंत्रित भी कर सकती है।

जर्मनी के अनुसंधानकर्ताओं ने एक अध्ययन के बाद निष्कर्ष निकाला है कि शयनकक्ष में फूल रख कर सोने से सुहावने सपने आ सकते हैं। उनका यह भी कहना है कि दु:स्वप्नों से परेशान होने वालों के लिए यह खोज महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। द डेली टेलीग्राफ में आज प्रकाशित एक खबर में कहा गया है कि अनुसंधानकर्ताओं ने 15 महिला स्वयंसेवियों के सोने के तरीके का करीब 30 रात तक अध्ययन किया।

जब ये महिलाएं गहरी नींद में थीं और सपने देख रही थीं तब उनकी आंखों की पुतलियां तीव्रता से गतिमान थीं। इसी दौरान अनुसंधानकर्ताओं ने इन महिलाओं को सड़े हुए अंडों तथा गुलाब की गंध अलग-अलग सुंघाई। कुछ देर इन महिलाओं को कोई गंध नहीं सुंघाई गई। नींद से जागने के बाद इन महिलाओं से उनके सपने याद करने के लिए कहा गया।

अध्ययन में कहा गया है कि सपनों के भावों पर गंध का प्रभाव पड़ा लेकिन वह गंध उनके सपने का हिस्सा नहीं बन पाई। उदाहरण के तौर पर जिन महिलाओं को गुलाब सुंघाए गए थे उन्होंने सपनों में गुलाब नहीं देखे।

यह अध्ययन शिकागो में 2008 अमेरिकन एकेडमी आफ ओटोलैरिंगोलो जी हेड एंड नेक सर्जरी फाउंडेशन एनुअल मीटिंग में पेश किया गया। अध्ययन में बताया गया है कि महिलाओं से पूछे गए सवालों के जवाबों के आधार पर अनुसंधानकर्ताओंने निष्कर्ष निकाला कि नकारात्मक गंध और नकारात्मक भावों के बीच संबंध है।

अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि दु:स्वप्न देखने वालों का अध्ययन दिलचस्प होगा। इससे यह भी पता चल सकेगा कि क्या सकारात्मक गंध से उनके सपनों का मूड प्रभावित होता है।

Thursday, September 25, 2008

बजाया एक हाथ से ताली

कहते हैं...ताली एक हाथ से नहीं बजती, लेकिन भोपाल निवासी नवेद खान ने एक हाथ से ताली बजाकर तो दिखाई ही, साथ ही चैलेंजर अकादमी चेन्नै में उन्होंने एक हाथ से ताली बजाने का विश्व कीर्तिमान तोड़कर लोगों को हतप्रभ कर दिया।

चैलेंजर अकादमी चेन्नै में हाल ही में आरएचआर रिकार्ड होल्डर व‌र्ल्ड कप इंडिया 2008 जीतकर भोपाल लौटे नवेद खान ने मंगलवार को यहां मीडियाकर्मियों के सामने अपने हुनर का प्रदर्शन करते हुए बताया कि व‌र्ल्ड कप इंडिया 2008 प्रतियोगिता में उन्होंने हिसार निवासी नवनीत सिंह का एक मिनट में एक हाथ से 284 बार ताली बजाने का विश्व कीर्तिमान ध्वस्त करते हुए एक मिनट में एक हाथ से 310 बार ताली बजाई।

उन्होंने कहा कि वह इस कला के अलावा कई अस्वाभाविक कलाओं में माहिर हैं और अपने मुंह से घुंघरु की हू-ब-हू आवाज भी बखूबी निकाल लेते हैं।

Tuesday, September 23, 2008

सिक्कों से बनी है शांति घंटी


अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में बजाई जाने वाली घंटी विभिन्न देशों के बच्चों द्वारा एकत्र किए गए सिक्कों से ढाली गई है और इस सुंदर घंटी को जापान ने तैयार किया है।

वैश्विक एकजुटता के प्रतीक के रूप में बनाई गई इस शांति घंटी पर संपूर्ण विश्व शांति अमर रहे अंकित हैं। इस घंटी में 60 देशों के सिक्कों का इस्तेमाल किया गया है। बच्चों ने यह सिक्के 1951 में पेरिस में हुए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भाग लेने वाले 60 देशों के प्रतिनिधियों से एकत्र किए थे।

जापान ने यह घंटी 1954 में संयुक्त राष्ट्र को भेंट की थी। 116 किलोग्राम के वजन वाली यह घंटी एक मीटर ऊंची है और इसका व्यास ०.6 मीटर है। यह घंटी जापानी शिंटो मंदिर की शैली पर बनाई गई है। संयुक्त राष्ट्र में यह घंटी साल में दो बार बजाई जाती है जिसमें शरद ऋतु के अवसर पर सितंबर में होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा सम्मेलन के शुरू होने के अवसर पर बजाया जाना शामिल है। बाद में 2002 से इसे अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के अवसर पर हर साल बजाया जाने लगा। जापान ने अपनी इस घंटी की याद में डाक टिकट की कई श्रृंखला जारी की हैं, क्योंकि यह उसके लिए गौरव का विषय है।

इस शांति घंटी को जिस लकड़ी के हथौड़े से बजाया जाता है उसे संयुक्त राष्ट्र को 1977 में भेंट किया गया था। इसी प्रकार घंटी के ऊपर लटकने वाली रस्सी 20 मार्च 1990 को पृथ्वी दिवस के अवसर पर जापान के शिंटो पुजारी ने भेंट की थी। शांति घंटी के लिए 1994 का वर्ष महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में इसकी 20वीं वर्षगांठ पर विशेष समारोह का आयोजन हुआ। समारोह में शिरकत करते हुए तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव बुतरस बुतरस घाली ने कहा था.. यह जब भी बजाई जाती है, जापानी शांति घंटी का संदेश स्पष्ट होता है। यह संदेश समूची मानवता के लिए होता है। शांति मूल्यवान है। शांति के लिए बात करना पर्याप्त नहीं है। शांति के लिए काम करना पड़ता है.. लंबा काम कठिन काम।

अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के अवसर पर 2002 में तत्कालीन संरा महासचिव कोफी अन्नान ने अपने कार्यकाल में अंतिम बार शांति घंटी को बजाया। अन्नान के बाद इस पद पर आए मौजूदा संरा महासचिव बान की मून ने पहली बार 2007 में इस शांति घंटी को बजाकर पूरी दुनिया को शांति का संदेश दिया था।

Monday, September 22, 2008

वियाग्रा ने बचाई बच्ची की जान


वैसे तो वियाग्रा का इस्तेमाल आदमी की नपुंसकता को दूर करने के लिए किया जाता है। मगर यहां डाक्टर एक सात साल की बच्ची को वियाग्रा खिला रहे हैं। मगर असहज होने की कोई जरूरत नहीं है। दरअसल ऐसा उस बच्ची की जिंदगी बचाने के लिए किया जा रहा है।

सात साल की नताली ठीक क्रिसमस के दिन सात अचानक बेहोश हो गई। घबराए हुए नताली के मां-बाप उसे लेकर अस्पताल पहुंचे। डाक्टरों ने इसे घबराहट का सामान्य मामला बताया और कुछ दवाएं दीं। वह घर आ गई। लेकिन इसके बाद नताली की हालत दिनों दिन बिगड़ने लगी। वह कमजोर होती चली गई। उसे श्वास संबंधी परेशानियां भी हो गईं। नताली को फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया।

उसकी मां जेनीस ने बताया कि वह लगभग दो साल तक हम यह सब झेलते रहे। हम सभी उसकी हालत देखकर बहुत दुखी थे। यही पता नहीं चल रहा था कि उसकी बीमारी क्या है। फिर हम पहुंचे ग्रेट ओरमंड स्ट्रीट अस्पताल। यहां डाक्टरों ने नताली का पूरा चेकअप किया। पता चला कि उसके फेफड़े की समस्या पल्मोनरी हाइपरटेंशन है। डाक्टरों ने नताली को वियाग्रा खिलाने की सलाह दी। वियाग्रा ने उसके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला दिए।

जेनीस ने बताया कि मेरी बच्ची की जिंदगी बदल गई। हम सभी बहुत खुश हैं। नताली अब एक सामान्य लड़की की तरह दौड़ती है और खेलती है। डाक्टरों के मुताबिक हाईब्लड प्रेशर की वजह से नताली के फेफड़े में सही ढंग से आक्सीजन नहीं जा रहा था। इस कारण वह सुस्त रहती थी और उसे सांस संबंधी समस्याएं भी हो गईं। लेकिन वियाग्रा से उसके शरीर में रक्त प्रवाह तेज हो गया और अब वह बिल्कुल स्वस्थ है।

Sunday, September 21, 2008

इतालवी माडल ने लगाई कौमार्य खोने की कीमत


वह जमाना गुजर गया जब लड़कियों के लिए उनका कौमार्य ही सब-कुछ हुआ करता था। अब तो बाकायदा बोली लगाकर वह इसका सौदा कर रही हैं।

इटली की 20 वर्षीया माडल राफेला फीको ने अपने कौमार्य की कीमत 1.5 मिलियन डालर यानी 6.5 करोड़ रुपये लगाई है। फीको साल की शुरुआत में टीवी रियलिटी शो बिग ब्रदर के इतालवी संस्करण में भाग ले चुकी हैं। इन पैसों से फीको की योजना एक घर खरीदने और एक्टिंग क्लासेस की फीस चुकाने की है।

अब जरा इस बिंदास माडल के विचार भी जान लीजिए। फीको का कहना है कि मुझे नहीं मालूम कि कौन मेरे कौमार्य की इतनी कीमत दे रहा है। मुझे सेक्स क्रिया के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है। मुझे इस बात से विशेष फर्क नहीं पड़ता कि वह दिखता कैसा है। यदि वह मुझे पसंद नहीं आया तो मैं उसे जल्द ही छोड़ दूंगी।

फीको ने कहा कि वह मेरे लिए एक वाइन के पेग की तरह होगा जिसे एक बार लेने के बाद मैं हमेशा के लिए भूल जाऊंगी। फीको के परिजनों ने भी उसके कुंवारेपन पर मुहर लगाई है। फीको के भाई ने बताया कि उसका कभी कोई ब्वायफ्रेंड नहीं रहा। अपने कौमार्य की नीलामी करने वाली फीको कोई पहली लड़की नहीं है।

इससे पहले 22 साल की नताली डिलन ने भी ज्यादा पैसे लगाने वाले के साथ अपनी कौमार्यता खोने की बात कही थी। तब उसे ढाई लाख डालर [1.05 करोड़ रुपये] मिले थे।

Saturday, September 20, 2008

बिल्ली और मुर्गी की दोस्ती


बिल्ली को मुर्गे-मुर्गियों का दुश्मन माना जाता है। लेकिन, मिडलटन के एक फार्महाउस में रहने वाली बिल्ली और एक मुर्गी की दोस्ती देखते ही बनती है।
इस बिल्ली की नाम स्नोई है और मुर्गी का ग्लैडीस। करीब ढाई माह पहले ग्लैडीस को उसकी मालकिन जेन एथरिज ने एक लोमड़ी से बचाया था। दस साल की स्नोई इस घटना के बाद से ही ग्लैडीस की देखभाल कर रही है।जेन ने बताया कि उनकी एक मुर्गी ने 14 चूजे दिए थे। इनमें ग्लैडीस भी थी। दो दिन बाद एक लोमड़ी आई और कई चूजों को चट कर गई। ग्लैडीस सहित केवल तीन चूजे ही किसी तरह बच सके। जिंदा बचे दो अन्य चूजे भी बाद में मर गए।
जेन ने ग्लैडीस की सुरक्षा के लिहाज से उसके लिए अलग से एक बाड़ा तैयार करवाया। यहीं पर उसकी दोस्ती स्नोई से हो गई। जेन ने बताया कि स्नोई ही ग्लैडीस की साफ-सफाई करती है। जेन के अनुसार ग्लैडीस अब ढाई महीने की हो गई है और घर के सदस्य की तरह है। स्नोई और ग्लैडीस में खूब जमती है। दोनों एक-दूसरे के साथ खेलती हैं। ग्लैडीस जब भी बाहर खुले में घूमती है स्नोई उसकी निगरानी करती है।

Friday, September 19, 2008

अब ई-मेल भेजेगा फ्रिज


कई बार लोग फ्रिज में सामान रखकर भूल जाते हैं। अगर आप भी फ्रिज में खाद्य पदार्थ रखकर भूलने के आदी हैं तो आपके लिए यह एक अच्छी खबर हो सकती है। वैज्ञानिक एक ऐसा फ्रिज बना रहे हैं जो आपको खाद्य पदार्थ के खराब होने से पहले मैसेज या ई-मेल के जरिए सतर्क करेगा।

मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के दस वैज्ञानिक इस अत्याधुनिक उपकरण पर काम कर रहे हैं। यह फ्रिज संदेश भेजकर उपभोक्ता को खाना खराब होने के बारे में चेतावनी देगा। इस प्रोजेक्ट के प्रमुख डा। ब्रूस ग्रीव के मुताबिक ब्रिटेन में खाने की जमकर हो रही बर्बादी के चलते इसे तैयार किया गया है। फ्रिज में लगे एक बैटरी रहित लेबल के जरिए खाने की स्थिति का पता चलेगा। यह फ्रिज अगले साल तक बाजार में आ जाने की उम्मीद है।

Thursday, September 18, 2008

पत्नी की जान से ज्यादा कुत्ते का प्यार


सात जन्मों का बंधन कभी-कभी एक जन्म में ही बोझ बन जाता है। रोजाना की किच-किच से तंग आए आस्ट्रेलिया के एक 42 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी पत्नी को महज इस वजह से गला घोंटकर मार डाला क्योंकि वह उसके पालतू कुत्ते को पसंद नहीं करती थी।

हत्या करने के बाद एंथनी शेर्न ने अपनी पत्‍‌नी का शव कई दिन तक बिस्तर पर ही पड़ा रहने दिया। पालतू कुत्ता जैक रसेल मृत शरीर को देखकर परेशान न हो, इस वजह से शेर्न उसे जानवरों की देखभाल करने वाली संस्था में छोड़ आया। मेलबर्न मजिस्ट्रेट की अदालत में सोमवार को पेश हुए इस मामले में शेर्न ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया।

अभियोजन पक्ष के वकील के मुताबिक विक्टोरिया एस्टेट में रहने वाले शेर्न और सुजेन किसी से मिलना-जुलना पसंद नहीं करते थे। उनका कोई दोस्ता नहीं था। उनका अगर कोई था, तो बस पालतू कुत्ता जैक रसेल। हर रात जब शेर्न रेडियो सुनता तो जैक उनकी बांह पर सिर रखकर सोया करता। लेकिन, फरवरी की एक रात जब वह जैक को सीने से लगाए था, सुजेन उस पर चिल्लाने लगी। गुस्से में शेर्न ने उसे थप्पड़ मार दिया।

शेर्न ने करीब 15 मिनट तक अपनी पत्नी को मनाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी। इससे तैश में आए शेर्न ने गाउन के फीते से उसका गला घोंट दिया। पुलिस को दिए बयान में शेर्न ने कहा कि उसकी पत्‍‌नी एगोरेफोबिया [अकेले रहना पसंद करना और भीड़-भाड़ से डरना] की शिकार थी। दोनों रोजाना शराब पीते और आपस में लड़ते। शेर्न ने बताया कि करीब दस साल से दोनों अलग कमरों में सो रहे थे और तीन साल से उनके बीच सेक्स संबंध नहीं बने थे।

Tuesday, September 16, 2008

मंडप से भाग गई दुल्हन


जब एक व्यक्ति को अपनी पोती की उम्र की लड़की के साथ ब्याह रचाने का ख्वाब उस समय खाक में मिल गया जब दुल्हन उन्हें देखते ही मंडप से भाग गई।

यह घटना पटना के दीघा इलाके में सोमवार रात को हुई। दीघा थाना क्षेत्र के तहत मखदुमपुर गांव के शिवाजी नगर मोहल्ले में विद्युत विभाग से सेवानिवृत्त हुए 70 वर्षीय सुंदर भगत के यहां सोमवार को विवाह का मंडप सजा था। इसी मंडप में दूल्हा सज-धज के अपनी होने वाली दुल्हन की प्रतीक्षा कर रहा था। इसी बीच दुल्हन मंडप में पहुंची लेकिन अपने भावी जीवनसाथी को देखते ही मंडप छोड़ भाग खड़ी हुई।

दुल्हन को भागते देख गांव में अफरातफरी का महौल हो गया। सभी लोग ये जानना चाहते थे कि आखिर क्या हुआ? सूचना पाते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने दूल्हा, दुल्हन, दुल्हन की मां और उसकी बुआ को हिरासत में ले लिया।

दीघा थाने के प्रभारी एऩ के़ सिंह ने बताया कि पुलिस मामले की छानबीन कर रही है और विवाह करवाने वाले पंडित की तलाश की जा रही है। पुलिस के अनुसार 20 वर्ष पूर्व ही सुंदर की पत्नी की मौत हो गई थी। उसके पुत्र और पोते रांची में रहते हैं।

Monday, September 15, 2008

बेदर्द मां ने छुड़ाया बच्चियों से पीछा


मां छुड़ा न 'आंचल' जमाना क्या कहेगा। कुछ ऐसा ही दर्द है मां की ममता के आंचल से दूर होकर 'गुरु घर' पहुंची बच्चियों का है। इन्हें कोई और नहीं बल्कि खुद इनकी मां ही यहां छोड़कर गईं है।

हालांकि कहते हैं एक महिला के लिए मां बनना उसकी जिंदगी सबसे बड़ी खुशी होती है। इसका दर्द बेऔलाद महिला से बेहतर और कौन जान सकता है लेकिन अब मां ही ममता का गला घोंट रही है। बेटे की चाहत में बेटियों की दुश्मन बन बैठी मां न सिर्फ भ्रूण हत्या में बराबरी की भागेदारी निभा रही है बल्कि साल दो साल अपनी ममता का आंचल में पालने के बाद भी बेटियों को बेसहारा करने का गुनाह कर रही है।

गत छह माह में अमृतसर में श्री हरिमंदिर साहिब की परिक्रमा में पालन पोषण में अरुचि रखने वाले मां-बाप आठ बच्चों को छोड़ गए। इन सात लड़कियां व एक लड़का शामिल है। गत सात सितंबर को भी एक दंपति अपनी दो बच्चियों को परिक्रमा में छोड़ कर चला गया। तीन से पांच साल की इन बच्चियों को एसजीपीसी ने अपने संरक्षण में ले लिया है। श्री गुरु रामदास निवास के महिला वार्ड में इन बच्चियों के रहने की व्यवस्था की गई है। पांच दिन बीत जाने के बावजूद इन बच्चियों को कोई लेने नहीं आया।

इससे स्पष्ट है कि इन बच्चियों को बेदर्द मां-बाप ही पालन-पोषण से मुक्ति पाने के लिए यहां छोड़ गए है।

एसजीपीसी द्वारा संचालित सराय के मैनेजर कुलदीप सिंह बावा ने कहा कि गत छह माह में अभिभावकों ने परिक्रमा में आठ बच्चियों को छोड़ा है। काफी तलाश करने के बाद भी जब अभिभावक इन बच्चियों को लेने के लिए नहीं पहुंचे तो इन बच्चियों को ऐसे परिवारों को सौपा गया है, जिनके कोई औलाद नहीं है। सौपने से पहले संबंधित परिवार की सारी जानकारी व कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई है।

उन्होंने कहा कि गत कुछ माह से श्री दरबार साहिब की परिक्रमा में बच्चियों को छोड़ने की घटनाएं बढ़ी हैं । अब ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि एसजीपीसी के कर्मचारी बच्चों के साथ आने वाले अभिभावकों पर निगाह रखेंगे। उन्होंने कहा कि सामाजिक ताने बाने के चलते जो परिवार बच्चों का पालन पोषण नहीं कर पाते, वह परिवार यहां पर बच्चे छोड़ जाते हैं ताकि उनका बच्चा किसी समृद्ध परिवार द्वारा अडॉप्ट किया जाए व उसका पालन पोषण हो सके।

हालांकि पंजाब में बच्चियों के प्रति अभिभावकों की बढ़ रही अरुचि से सामाजिक ताना बाना बिखर रहा है। यही कारण है कि लिंग अनुपात में भी भारी अंतर आ गया है। यहीं हाल रहा तो समस्या और गंभीर हो जाएगी।

Sunday, September 14, 2008

पढेंगे लिखेंगे बनेंगे ओझा!


रांची के गांव में विज्ञान पर अंधविश्वास भारी है। आधुनिकता के इस युग में झाड़-फूंक करने और कराने वालों की कमी नहीं है। झारखंड के लातेहार जिले में सिद्धि प्राप्त करने के लिए युवकों को जिस हालात से गुजरना पड़ता है, वैसे दृश्य देखकर ही रोंगटे खड़े हो जाएंगे। लेकिन सिद्धि के चक्कर में वे खुशी-खुशी इन कष्टों को झेल जाते हैं। उनमें पढ़- लिखकर भी ओझा बनने की ख्वाहिश है।

विज्ञान ने नई-नई ऊंचाइयों छू ली हैं। देश में विकास की रफ्तार पहले से कहीं तेज है। भले ही हम शनिवार को अंधविश्वास दिवस मना रहे हों, लेकिन लातेहार जिले का बभनहेरूआ गांव इससे वास्ता नहीं रखता। यहां के युवकों में पढ़ लिखकर आगे बढ़ने से अधिक सिद्धि प्राप्त कर ओझागुणी के क्षेत्र में आगे बढ़ने की ख्वाहिश है। सिद्धि प्राप्त करने के लिए युवाओं को तमाम कष्टों से गुजरना पड़ता है। पहले खुद को कोड़े से मारकर जख्मी करते हैं, उसके बाद वहां जुटे भगत [ओझा] के कोड़े की मार सहनी पड़ती है।

ओझा दिनेश भगत का कहना है कि बभनहेरूआ स्थित पीपल के पेड़ के नीचे झाड़-फूंक के कार्यक्रम करने से क्षेत्र में अकाल नहीं पड़ता।

बभनहेरूआ गांव के किनारे स्थित पीपल पेड़ के नीचे आदिवासी समूह के कुछ युवक अपने शरीर पर कोड़ा से वार करते हुए चीखते-चिल्लाते हुए दो बुजुर्ग लोगों के चरणों पर अचानक गिर जाते हैं।करमा भगत व कपिलदेव भगत बताते हैं कि वे लोग प्रतिवर्ष 15 व 21 दिनों में गांव व आसपास के युवकों को ओझागुणी व झाड़-फूंक की सिद्धि दिलाते हैं। इस दौरान उन्हें बंद कमरे में रखा जाता है। अगर वे इस बात को अपने परिवार के सदस्य को भी बता दें तो उनकी सिद्धि पूरी नहीं हो पाएगी।

इसी दौरान एक घर में बंद दर्जन भर युवक चीखते-चिल्लाते पीपल के पेड़ के नीचे पहुंचते हैं, जहां पूर्व से ही नगाड़ा बजा रहे लोग इकट्ठा हैं। वहां पहुंचने के बाद ओझागुणी का सिद्धि दिला रहे भगतों ने युवकों को कोड़ा से पीटना शुरू कर दिया।

झाड़-फूंक सीख रहे युवक से जब इस संबंध में बातचीत की गई तो वे बताते हैं कि 15 दिनों तक उन लोगों ने तपस्या की है। उन लोगों पर दैविक शक्ति सवार है। सांप, बिच्छू काटे हुए मरीजों की झाड़-फूंक तो करते ही हैं। साथ में हर प्रकार की बीमारी व जादू-टोना को भी झाड़-फूंक के माध्यम से ठीक करते हैं।

Saturday, September 13, 2008

अब नए कलेवर में आई 'द जाय आफ सेक्स'


सत्तर के दशक में 'बेडरूम बाइबिल' के नाम से मशहूर हुई 'द जाय आफ सेक्स' किताब फिर नए कलेवर में बाजार में उतारी गई है। पहली बार 1972 में प्रकाशित हुई इस किताब की लाखों प्रतियां तब हाथों-हाथ बिक गई थीं।

यौन क्रियाओं की जानकारी देने वाली इस किताब को डा। एलेक्स कम्फर्ट ने लिखा था। इस बार इसे लेखिका और मनोविज्ञानी सूसन कीलियम ने नए रूप में पेश किया है। सूसन ने कम्फर्ट की तारीफ करते हुए बताया कि नई किताब में उन्होंने कई सुधार किए हैं। सूसन ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि तब से अब तक लोगों के नजरिए में काफी बदलाव आ चुका है। सूसन ने कहा, 'उस दौर में हार्मोन और फेरोमोन जैसी जानकारियां सामने नहीं आई थीं।'

उन्होंने बताया कि मूल प्रति में दी गई कुछ बातों को सही नहीं होने के कारण हटा दिया गया है। 288 पृष्ठों की नई किताब में सिर्फ पुरुष के स्थान पर पुरुष और स्त्री पर जोर दिया गया है। नए संस्करण में इंटरनेट व फोन सेक्स और गर्भावस्था के दौरान सहवास जैसे विषयों की जानकारी व सलाह भी जोड़ी गई है। किताब की प्रकाशक मिशेल बीजली ने इससे सेक्स के प्रति लोगों का नजरिया बदलने की उम्मीद जताई है। उनका कहना है कि जिंदगी को रोचक बनाने में किताब काफी मददगार साबित होगी।

Friday, September 12, 2008

पांच साल के बच्चे ने कर डाली ४७ लाख की खरीदारी


आप इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते कि घर में रखी तिजोरी खुली मिलने पर सर्बिया के एक अबोध बच्चे ने क्या किया? हम आपको बताते हैं। पांच साल का यह बच्चा अपने दोस्तों के साथ करीब स्थित शापिंग माल पहुंचा और उसने थोड़ी-बहुत नहीं बल्कि 60 हजार पौंड [करीब 47 लाख रुपये] की खरीदारी कर डाली।

सर्बिया के व्यापारी स्लोवोदान मार्कोबिच के पांच वर्षीय बेटे जोब्जा को एक दिन घर में रखी तिजोरी खुली मिल गई। जोब्जा ने तिजोरी से रकम निकाली और अपने दोस्तों की पलटन लेकर शापिंग माल पहुंच गया। फिर क्या था उनके जो मन में आया उन्होंने वही खरीद लिया। कपड़े, खिलौने, साइकिल, कंप्यूटर, गेम्स और न जाने क्या-क्या। स्लोवोदान को अपनी गलती का एहसास तब हुआ जब उनका बेटा अपने दोस्तों के साथ दर्जनों शापिंग बैग लेकर घर लौटा।

स्लोवोदान ने कहा कि वह अपनी तिजोरी में ताला जड़ना भूल गए थे लेकिन उन्हें इस बात पर यकीन नहीं हो रहा कि छोटे से बच्चे ने इतनी सारी खरीदारी कैसे कर ली। उन्होंने पुलिस से इस घटना की तहकीकात करने की मांग की। अब बेलग्राद की पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है।

Thursday, September 11, 2008

जज व वकील के रोमांस से टली मौत की सजा


टेक्सास की एक अदालत में जज और वकील के बीच रोमांस की खबर के बाद एक व्यक्ति की मौत की सजा पर अमल टाल दिया गया। अब अदालत जज और वकील के इस कथित रोमांस की खबर की जांच में जुट गई है।

दोहरे हत्याकांड में मौत की सजा पाने वाले 39 वर्षीय चा‌र्ल्स डीन हुड ने अदालत में एक अपील की। इसमें उसने आरोप लगाया कि उसे सजा सुनाने वाली जज वर्ला सुई हालैंड और अभियोजन पक्ष के वकील थामस ओ कोनेल के बीच रोमांस के चलते निष्पक्ष न्याय और सुनवाई के उसके अधिकार का उल्लंघन हुआ है।

गौरतलब है कि हुड को बुधवार को मौत की सजा दी जानी थी। लेकिन, अदालत ने अब जज और वकील के इस रोमांस प्रकरण की रिपोर्ट आने तक उसकी मौत की सजा पर रोक लगा दी है। हालैंड व थामस से एक-दो दिनों में इस बारे में पूछताछ शुरू होगी।

पिछले सप्ताह अमेरिका के 22 जजों ने टेक्सास के गवर्नर रिक पैरी से हुड की सजा के अमल पर रोक लगाने की मांग की थी। जजों द्वारा गवर्नर को लिखे गए पत्र में कहा गया था, 'इसमें कोई संदेह नहीं कि हुड के मामले की निष्पक्ष सुनवाई पर इन संबंधों का प्रभाव पड़ा होगा। इसलिए इसकी जांच रिपोर्ट आने तक सजा पर अमल न किया जाए।'

Tuesday, September 9, 2008

बेवफाई में हद से गुजर गई



कहा जाता है प्यार अंधा होता है। यह भी सच है कि इश्क में पड़ा शख्स कुछ भी कर गुजरने पर आमादा हो जाता है। लेकिन ब्रिटेन की एक लड़की ने तो हद कर दी।


अपने ब्वाय-फ्रेंड की बेवफाई से नाराज इस लड़की ने उसे सबक सिखाने का ऐसा रास्ता चुना जिसे सुनकर दुनिया भर के प्रेमियों के पैरों तले जमीन खिसक जाए। लड़की ने एक पुरुष वेश्या [जिगोलो] को बुलाया और उसके साथ एक वीडियो फिल्म बना डाली। प्रेमी को जलाने के लिए वीडियो को यू ट्यूब पर डाल दिया। करीब 33 सेंकेड के वीडियो में लड़की अपने प्रेमी को संबोधित करते हुए कहती है, 'प्यारे जान मैं इसके साथ [जिगोलो] सेक्स करने जा रही हूं। लेकिन मुझे अफसोस है कि तुम इसे देख नहीं सकोगे।' इसके बाद विडियो आफ हो जाता है।