Saturday, August 30, 2008

घर का चौकीदार मुर्गा


मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के राजपुर तहसील मुख्यालय स्थित एक कृषक के घर की रखवाली उसके 13 वर्षीय पुत्र का दोस्त मुर्गा करता है।

राजपुर के ठाकुर मोहल्ले के कृषक संतोष गनवानी के सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले पुत्र कान्हा ने करीब एक वर्ष पूर्व पोल्ट्री फार्म से दो रुपये में एक चूजा खरीदा था। उसने बडे़ प्रेम से लालन-पालन करके उसे बड़ा किया। कान्हा के माता-पिता ने बताया कि वह मुर्गे के बगैर जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता। गोलू नामक मुर्गा कान्हा के साथ खाता-पीता और सोता है। कान्हा के घर आते ही मुर्गा उसके आसपास डोलने लगता है। स्कूल के अलावा शेष समय वह मुर्गे साथ ही बिताता है। कान्हा ने मुर्गे के लिए सर्वसुविधायुक्त अलमारी बनवाई है, जो उसके रहने के काम आती है।

वार्ड क्रमांक 13 के पार्षद राकेश कुशवाह इस चर्चित मुर्गे की विशेषताएं बताते नहीं अघाते। कुशवाह ने बताया कि मुर्गा अनजान लोगों को घर में प्रवेश नहीं करने देता। गत आठ महीने से मुर्गा घर की चौकीदारी कर रहा है, इसके चलते कृषक के घर आने वालो को खासी परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है। अनजान लोगों के घर आने पर यह मुर्गा हमला करके चोंच से घायल कर देता है। आगंतुक मुर्गे से डर कर कृषक के घर आने के पूर्व दस बार सोचते हैं।

पड़ोस में रहने वाली सेवंती बाई ने बताया कि मुर्गा उसे और अन्य कई लोगों को अब तक घायल कर चुका है। मुर्गे के कारण संतोष गनवानी को कई वार विवादों का भी सामना करना पड़ा है।

Friday, August 29, 2008

कुत्ते ने बचाई नवजात की जान

जहां एक तरफ इस पृथ्वी पर लोग एक-दुसरे की जान लेने की कोशिश कर रहे हैं वही एक कुत्ते ने ब्यूनस आयर्स में भीषण सर्दी की रात में मां द्वारा ठुकराई गई नवजात बच्ची की जान बचाई। इस मादा कुत्ते ने बाडे़ में मौजूद अपने पिल्लों के साथ इस बच्ची की देखभाल की।
मातृत्व की परिभाषा भूल चुकी इस महिला को कम से कम इस कुत्ते से शिक्षा लेनी चाहिए। आखिर वह कैसी मां होगी जो अपने ही बच्चे को उस हालात में छोड़कर चली गई और उसे अपने बच्चे की याद तक नहीं आई।

अर्जेटीना की मीडिया में आई खबरों के मुताबिक ला प्लाता शहर के करीब रहने वाले एक किसान फेबियो एंज को कुत्ते के बाड़े में यह नग्न बच्ची मिली। कुत्ते के पिल्ले उसे चारों ओर से घेरे हुए थे, जिससे उसे गर्मी मिल रही थी। फेबियो ने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी, जो बच्ची को अस्पताल ले गई।

मेल्चर रोमेरा अस्पताल के निदेशक ईगीडिओ मेलिआ ने बताया कि यह बच्ची कुछ घंटे पहले ही पैदा हुई थी और पूरी तरह स्वस्थ थी। उसके शरीर में मामूली खरोंच के निशान थे। पुलिस के अनुसार उसने इस बच्ची की 14 वर्षीय मां का पता लगा लिया है। लड़की ने रात में बच्ची को जन्म देने के तुरंत बाद उसे छोड़ दिया था।

अभी यह साफ नहीं हो सका है कि बच्ची को कुत्ते के बाड़े के पास उसकी मां ने रखा था या कुत्ता ही उसे उठाकर अपने बाड़े में ले गया था।

Thursday, August 28, 2008

अब नन भी दिखाएगी अपनी सुंदरता


प्रभु की भक्ति में अपने को समर्पित कर चुकी ननों को अब मिस सिस्टर स्पर्धा के जरिए अपनी सुंदरता विश्व के समक्ष प्रदर्शित करने का मौका मिल सकेगा।

नेपल्स के निकट मोनड्रागोन के पादरी रेवरेंड अंतोनियो रुंगी नेकहा कि ननों को अलग नजरिया से देखा जाता है। आम जीवन में उनकी गिनती कम ही की जाती है। इस अनोखे विचार के जन्मदाता रुंगी के हवाले से मेल आनलाइन ने कहा कि नन बनने के लिए कुरूप दिखना जरूरी नहीं है। शारीरिक सुंदरता ईश्वर की देन है और हमें उसे छुपाना नहीं चाहिए। उन्होंने बताया कि यह सौंदर्य प्रतियोगिता पहले आनलाइन शुरू होगी और इसमें केवल नन ही भाग ले सकेंगी। इटली के इस ईसाई पादरी को पूरा विश्वास है कि एक दिन यह प्रतियोगिता भी मिस इटली की तरह विश्वव्यापी स्पर्धा बन जाएगी।



रुंगी के मुताबिक इस स्पर्धा में 1000 ननों के हिस्सा लेने की उम्मीद की जा रही है। ननों की सौंदर्य प्रतियोगिता का विचार सामने आते ही रूढ़ीवादी इटालियन कैथलिक अकादमियों ने इसका विरोध किया है। उनका मानना है कि इससे ईश्वर भक्ति में अपने जीवन को समर्पित कर चुकी ननों के प्रति आदर में कमी आएगी।

Tuesday, August 26, 2008

सेक्स का निमंत्रण पड़ा भारी


दो मील की दूरी एडलर के लिए कभी न खत्म होने वाली दूरी बन गई थी। जब वह पुलिस स्टेशन पहुंचा तो वहां मौजूद हर कोई उसे देखकर हैरान रह गया। वह पूरी तरह नंगा था।

उसने पुलिस को बताया कि उसे लूट लिया गया है। यहां तक कि उसके कपड़े भी। दक्षिण जर्मनी के चैम शहर के रहने वाले 40 वर्षीय फेलिक्स एडलर ने जब अपनी आपबीती सुनाई तो वहां मौजूद हर व्यक्ति मुस्कुराए बिना नहीं रहा।

दरअसल कुछ दिनों पहले एडलर 24 वर्षीय एक खूबसूरत लड़की से टकरा गया। एडलर के शब्दों में दोनों बातें करते हुए जंगल की तरफ बढ़ चले। वहां उसने मुझसे सेक्स करने का निमंत्रण दिया। बस फिर क्या था। मैंने फौरन अपने कपड़े उतार दिए। लेकिन वह मेरे कपड़े और बटुआ लेकर फरार हो गई। बटुए में करीब 800 पौंड [64,000 रुपये] थे। एडलर को पुलिस स्टेशन तक पहुंचने में काफी मुश्किल आई।

पुलिस के प्रवक्ता का कहना है कि जब एडलर वहां आया तो काफी परेशान था और उसे ठंड लग गई थी। बाद में उस लड़की को पकड़ लिया गया।

Monday, August 25, 2008

नंगे पिता-पुत्र को हिरासत में लेना भारी पड़ा

ऐसा भी होता है! बीते शनिवार को बैंकूवर के मुख्य पुलिस स्टेशन के बाहर का अजीब नजारा देखने के लिए भीड़ लग गई। अक्सर लोगों को हैरान करने वाली पुलिस के होश खुद ही उड़े हुए थे। आखिर ऐसा होता भी क्यों न।
पुलिस स्टेशन के बाहर करीब बिल्कुल 75 नंगे लोग प्रदर्शन कर रहे थे और पुलिस के खिलाफ नारे कर रहे थे। ये लोग अपने साथी और उसके तीन साल के बेटे को रिहा कराने आए थे जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर रखा था।

वैंकूवर पुलिस के कांस्टेबल जाना मैकगिनीज ने बताया कि दोनों बाप-बेटे अंडरवियर पहनकर साइकिल से जा रहे थे। इससे सड़क पर चलने वालों का ध्यान भंग हो रहा था। उन्होंने पुलिस को बुला लिया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जब उन्हें ऐसा करने से रोका तो दोनों ने अपने बचे-खुचे कपड़े भी उतार दिए। सार्वजनिक स्थल पर नंगे होने के आरोप में दोनों को गिरफ्तार कर लिया।

उनके साथियों ने गिरफ्तारी के विरोध में नग्न होकर यहां धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। पुलिस ने माफी मांगने के बाद पिता-पुत्र को रिहा कर दिया।

Sunday, August 24, 2008

स्मगलिंग करते पकड़ा गया कबूतर


कबूतर को डाकिए का काम करते तो हमलोगों ने तो खूब सुना गया है। लेकिन, बोस्निया में पकड़े गए एक कबूतर की कहानी कुछ अलग ही है। इस कबूतर को एक कड़ी सुरक्षा वाली जेल में ड्रग्स पहुंचाने का काम करते पकड़ा गया। फिलहाल यह कबूतर महाशय जेल में बंद हैं।

दरअसल, यह कबूतर जेल में बंद एक अपराधी का है। माना जा रहा है कि उसके पैर में हेरोइन से भरी छोटी थैलियां बांधकर जेल के अंदर पहुंचाई जाती थीं। जेनिका जेल के वार्डन को एक दिन तब संदेह हुआ जब कबूतर के खिड़की पर बैठने के कुछ देर बाद ही चार कैदी नशे में झूमने लगे।

जांच करने पर कबूतर के मालिक और उसके तीन साथियों में नशे की पुष्टि हो गई। डिप्टी जेलर जोसिप पोजावनिक ने बताया कि यह कबूतर चालीस मील दूर स्थित कस्बे तुजला से ड्रग्स लेकर आता था। मामले का खुलासा होने के बाद कबूतर को हिरासत में ले लिया गया। जेलर का कहना है कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि इस कबूतर का क्या करें।

Saturday, August 23, 2008

एलेन डीजेनर्स ने गर्लफ्रैंड से की शादी


चर्चित अमेरिकी टीवी टाक शो 'द एलेन डीजेनर्स शो' की मेजबान और मशहूर हास्य अभिनेत्री एलेन डीजेनर्स फिर सुर्खियों में हैं। लेकिन, इस बार मामला जरा हटकर है। खबर है कि डीजेनर्स और उनकी गर्ल फ्रैंड अभिनेत्री पोर्शिया डी रोजी ने शादी रचा ली है।

नवविवाहित जोड़ा लास एंजिलिस के बेबर्ली हिल्स स्थित डीजेनर्स के घर में रह रहा है। डीजेनर्स और रोजी की कहानी बेहद दिलचस्प है। दोनों करीब चार साल से डेटिंग कर रही थीं। यही नहीं, दोनों ही खुले तौर पर अपने समलैंगिक संबंधों को स्वीकार कर चुकी थीं। हालीवुड के कई बड़े समारोहों में दोनों साथ शिरकत करती रही हैं।

इस साल मई में समलैंगिक विवाह पर लगी रोक को असंवैधानिक बताने वाले कैलिफोर्निया सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही डीजेनर्स ने रोजी से शादी करने की योजना बना ली थी। डीजेनर्स जहां 50 साल की हैं वहीं रोजी 35 साल की हैं।

पीपुल्स मैगजीन में रविवार को छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक लास एंजिलिस स्थित अपने घर पर एक समारोह में डीजेनर्स और रोजी ने अंगूठियों का आदान-प्रदान किया और हस्तलिखित इकरारनामे पर दस्तखत किए। छोटे से समारोह में 29 अतिथि शामिल हुए। इसमें डीजेनर्स की मां-बेट्टी और रोजी की मां मार्गरेट भी मौजूद थीं।

1997 में पहली बार टीवी शो में समलैंगिक एंकर के रूप में आने पर डीजेनर्स ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। डीजेनर्स के अभिनेत्री एनी हेश से भी संबंध रहे हैं।

Friday, August 22, 2008

बोतल में बंद संदेश मिला 23 साल बाद


दुनिया में लोग अजीवों-गरीब हरकतें करते रहते हैं इसी कढ़ी में अपना नाम जोड़ते हुए स्कॉटलैंड के एक व्यक्ति को बोतल में बंद अपना वह संदेश मिला है, जो उसने करीब 23 साल पहले एक बोतल में रखकर समुद्र में फेंक दिया था।

'डेली टेलीग्राफ' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक डोनाल्ड वेली ने 1985 में एक संदेश लिखकर एक बोतल में डाला और उसे ले जाकर उत्तरी स्कॉटलैंड के ओर्कने में समुद्र में फेंक दिया। उस समय डोनाल्ड की उम्र महज 11 साल थी। उसने अपने संदेश में लिखा था कि जिस किसी को भी यह बोतल मिले, वह उसमें लिखे संदेश को उस तक पहुंचा दे।

दो दशक से भी ज्यादा अर्सा गुजरने के बाद स्कॉटलैंड के पूर्वी तट पर बसे कस्बे सेंट एंड्रयूज के वेस्ट सैंड्स में 'बीच' की सफाई करवा रहे स्वयंसेवी संगठन के एक दल को यह बोतल मिली। बोतल में लिखा संदेश पाने के बाद स्वयंसेवी दल ने डोनाल्ड का पता लगाकर बरसों पुराना उसका संदेश उसे सौंपा। डोनाल्ड की उम्र इस समय 33 साल है और वह पेशे से इंजीनियर है।

Thursday, August 21, 2008

मजदूरी के लिए बेची गई महिला बनी मंत्री


मार्गरीता म्बाईवांगी नामक महिला पराग्वे के मंत्रिमंडल की सदस्य बन गई है जिसका कहना है कि उसे जंगल से पकड़ा गया और मजदूरी करने के लिए कई बार बेचा गया था।

लेकिन मार्गरीता म्बाईवांगी नामक इस महिला ने दक्षिण अमेरिकी देश पराग्वे के मूल निवासियों का जीवनस्तर सुधारने की शपथ ली है। राष्ट्रपति फनान्दो ल्यूगो ने सोमवार को 46 वर्षीय मार्गरीता को मूल निवासी मामलों का मंत्रालय सौंपा।

पराग्वे में कोलोराडो पार्टी के 61 साल के शासन के खात्मे के बाद शुक्रवार से ल्यूगो की सरकार ने कामकाज संभाला है।

तीन बच्चों की मां मार्गरीता हाईस्कूल डिप्लोमा के लिए पढ़ाई कर रही हैं। वह पराग्वे में जनजातीय मामलों को देखने वाली पहली मूल-निवासी महिला बन गई हैं। मार्गरीता ने चैनल 2 टेलीविजन से बातचीत में कहा कि जब मैं चार साल की थी तब अंग्रेजों ने जंगल से मेरा अपहरण कर लिया था। मुझे मजदूरी के लिए कई बार बेचा गया। मुझे खरीदने वाले कुछ परिवारों ने मुझे स्कूल भी भेजा ताकि मैं पढ़ लिख सकूं। उनके कथित मालिकों ने उन्हें बताया कि वह एक मूल निवासी हैं।

मार्गरीता को मंत्री बनाए जाने का अन्य जनजातीय नेताओं ने विरोध किया। उन्होंने आशंका जताई कि मार्गरीता भूमि विवाद को लेकर अपने लोगों का समर्थन करेंगी। बहरहाल, मार्गरीता ने कहा कि वह तनाव दूर करने केलिए अपने विरोधियों के साथ भी मेलमिलाप की नीति अपनाएंगीं।

जीवनसाथी की तलाश में २५वीं शादी


कहावत है कि शादियां आसमान में ही तय हो जाती हैं। लेकिन, नेपाल के रामचंद्र कटुवा को धरती पर उपयुक्त जीवनसाथी की तलाश में 25 बार शादी करनी पड़ी।

49 वर्षीय कटुवा ने पिछले 23 साल में 25 शादियां कीं। उनकी पहली शादी 26 साल की उम्र में हुई थी। लेकिन, पत्नी के छोड़ कर चले जाने के बाद उन्हें दूसरी शादी करनी पड़ी। तब से शुरू हुई यह प्रक्रिया कटुवा की २५वीं शादी तक जारी रही। फिलहाल वह सात साल से शारदा नाम की अपनी पत्नी के साथ राजी-खुशी रह रहे हैं।

कटुवा कहते हैं, 'मैं एक के बाद एक शादियां करता गया क्योंकि मेरी पत्नियां मुझे छोड़कर चली गईं। मैं उनमें से केवल आठ को ही संभाल पाया।' पत्नियों के उन्हें छोड़कर चले जाने के पीछे कटुवा अपनी गरीबी को जिम्मेदार बताते हैं। जीवनयापन के लिए कटुवा पल्लेदारी का काम करते हैं।

कटुवा कहते हैं, 'मेरी २५वीं शादी सफल रही। पिछले सात सालों से सुख-दुख में एक साथ रहना इस बात का जीता-जागता प्रमाण है। अब मैं अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दूंगा।'

Tuesday, August 19, 2008

टापलैस बाइक परेड को मिली हरी झंडी

न्यूजीलैंड के ऑर्कलैंड में महिलाओं की बहुचर्चित 'टापलैस बाइक परेड' रोक लगाने के बाद इस साल फिर से अदालत की हरी झंडी मिल गई है। वर्ष 2003 से हर साल आयोजित होने वाली इस परेड को लेकर लोगों में खासा आकर्षण रहता है।
आकलैंड शहर में होने वाली इस अनोखी परेड में टापलैस महिलाएं मोटरसाइकिल चलाती नजर आएंगी। आकलैंड सिटी काउंसिल की जज निकोल मैथर्स ने उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें इस परेड को लेकर आपत्ति दर्ज कराई गई थी।

जज ने अपने फैसले में कहा कि इस परेड में कोई बुरी बात नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'पिछले साल इस परेड को देखने के लिए एक लाख लोग जुटे थे, जिसका मतलब है कि बड़ी संख्या में लोग इस परेड का विरोध नहीं कर रहे।' अगले हफ्ते आयोजित होने जा रही इस परेड को देखने के लिए इस बार करीब एक लाख लोगों के जुटने की बात कही जा रही है।

इस साल के सबसे बडे़ परेड की शुरुआत 29 अगस्त को स्थानीय समयानुसार दोपहर 12 .45 पर होगा जो उपरी क्वीन सेंट से क्वाय सेंट तक जाएगी।

तिलचट्टा बना किंग व दीमक बनी क्वीन

दक्षिण-पूर्व एशिया के सौ से भी अधिक विशेषज्ञों के सम्मेलन में जहां कीटों को नियंत्रित करने के लिए नए कीटनाशक के प्रयोग पर चर्चा कर रहे थे वहीं वे इसे ग्लोबल वार्रि्मग के लिए एक बड़ा योगदान मानते हैं।
बैंकाक में हुए एक सम्मेलन में तिलचट्टा राजा और दीमक रानी की धूम रही। सम्मेलन तो कीट नियंत्रण पर चर्चा के लिए था, लेकिन इस दौरान एक प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। प्रतियोगिता कीटों की थी। जीतने वाले को 'तिलचट्टा राजा' और 'दीमक रानी' के खिताब से नवाजा गया। साथ ही, 300 अमेरिकी डालर [करीब 1400 रुपये] का इनाम भी था।

एक खास प्रजाति के 4.2 सेमी लंबे कीट को 'तिलचट्टा राजा' का खिताब दिया गया। जिसे 'दीमक रानी' के खिताब से नवाजा गया, उसकी लंबाई 7.1 सेमी थी। इनामी राशि इनके मालिकों को सौंपी गई। तेरह से पंद्रह अगस्त तक चले इस सम्मेलन के अध्यक्ष ने कहा कि यह प्रतियोगिता कीट नियंत्रण की दिशा में अपने आप में एक महत्वपूर्ण कोशिश थी।

सम्मेलन में कीटों के बारे में कई दिलचस्प बातें सामने आई। थाईलैंड के कीट प्रबंधन संघ के निदेशक सचाट लीलायुथोटिन ने कहा कि प्रत्येक तिलचट्टा अपनी पूरी उम्र के दौरान 600 बच्चे पैदा करता है। प्रतियोगिता में सौ से भी अधिक तिलचट्टे शामिल हुए। इसका मतलब यह है कि हमने किसी रसायन का उपयोग किए बिना साठ हजार तिलचट्टे कम कर दिए। यही इस प्रतियोगिता की खासियत है।

दीमकों की रानी के बारे में उन्होंने बताया कि यह तो अंडा देने की मशीन है। इस तरह हम हर मादा दीमक को अलग रख कर तत्काल एक लाख दीमकों पर नियंत्रण पा लेते हैं।

बहरहाल, जिस तिलचट्टे ने खिताब जीता उसे कुआलालंपुर की एक महिला येप बेंग कियोक ने सप्ताह भर पहले पकड़ा था। दीमकों की रानी को थाईलैंड के खाओ लैक सैन्य शिविर से निकाला गया था।

Monday, August 18, 2008

बुलेट प्रूफ ब्रा की मांग


वैसे तो बुलेट प्रूफ ब्रा का प्रचलन कुछ देशों में तो पहले से ही है लेकिन ब्रिटेन के एक अग्रणी पुलिस संगठन ने महिला पुलिस अधिकारियों को बुलेट प्रूफ ब्रा देने की मांग की है।

डेली टेलीग्राफ और डेली मेल समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर में कहा गया है कि हाल ही में जर्मनी में प्रमुख पंक्ति की महिला पुलिस अधिकारियों को दी गई नई ब्रा पुलिस विभाग में चर्चा का विषय बनी हुई है। अखबारों के अनुसार पुलिस फेडरेशन आफ इंग्लैंड एंड वेल्स सेंट्रल कांस्टेबल कमेटी की अध्यक्ष जूली नेस्बिट ने कहा कि इस तरह की ब्रा से महिलाओं को बेहतर सुरक्षा मिलेगी।

एक प्रवक्ता ने इस माह के शुरू में कहा था कि जर्मनी की फेडरल पुलिस ने करीब 3000 महिला अधिकारियों को स्पेशल वायरलेस सेफ्टी ब्रा का वितरण शुरू कर दिया है, ताकि उन्हें छाती में घातक चोट लगने से बचाया जा सके।प्रवक्ता ने कहा था कि यह पुलिस अधिकारियों पर निर्भर करता है कि वे ड्यूटी पर रहते समय नई ब्रा पहनती हैं या नहीं।

आमतौर पहने जाने वाले बुलेट प्रूफ जैकेट गोलियों से बचाव तो करते हैं, लेकिन वे महिलाओं की ब्रा में प्रयुक्त प्लास्टिक और धातु के हिस्सों पर दबाव भी डालते हैं, जिससे उन हिस्सों में घाव हो सकते है।

Sunday, August 17, 2008

चूहे के दिमाग से चलेगा रोबोट


ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने एक ऐसा रोबोट तैयार किया है जो चूहे के मस्तिष्क में पाए जाने वाले न्यूरोन्स से नियंत्रित होता है। समझा जाता है कि वैज्ञानिकों की यह सफलता उन्हें मिर्गी, पर्किन्सन और अज्लाइमर्स जैसी बीमारियों का इलाज खोजने में मदद करेगी।

रीडिंग यूनिवर्सिटी में साइबरनेटिक्स के विभागाध्यक्ष और इस शोध अभियान के प्रमुख प्रो। केविन वारविक ने बताया कि यह खोज दो कारणों से काफी उम्मीदें जगाती है। एक तो इसलिए क्योंकि जैविक मस्तिष्क अपने स्वयं के सचल रोबोट को नियंत्रित कर रहा है। और दूसरा, इसलिए क्योंकि इसकी मदद से हम पता लगा सकेंगे कि मस्तिष्क सीखता कैसे है और अपने अनुभवों को याद कैसे रखता है।

अब वैज्ञानिक इस रोबोट को अपने आसपास के माहौल से परिचित कराने के लिए प्रयासरत हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस रोबोट के मस्तिष्क के कार्यकलापों के आधार पर वह मिर्गी, पार्किन्सन और अल्जाइमर जैसी बीमारियों का इलाज खोज सकेंगे।

वैज्ञानिकों ने इस रोबोट को एनिमेट नाम दिया है। प्रो. वारविक ने बताया कि एनिमेट तेजी से सीख रहा है।

Saturday, August 16, 2008

विदेशी बहनों को भायी प्रेम की प्रतीक राखी


राजपूताना की लाज रखने के लिए चित्तौड़ की महारानी कर्णावती ने मुगल शासक हुमायूं को धागा भेज कर राज्य की सुरक्षा की मांग की थी। हुमायूं ने भी धागे की लाज रखी और तुरंत चित्तौड़ की रक्षा के लिए फौज भेज दी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और चित्तौड़ पर गुजरात के शासक बहादुर शाह ने आक्रमण कर जीत लिया। बस इसी धागा ने आज रक्षाबंधन या राखी के त्यौहार का रूप ले लिया है।

रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ ही है कि रक्षा करने का बंधन और यह बंधन धागा होता है जिसे हाथ की कलाई पर बहनें अपने भाई को बांधती है।

भाई-बहनों के पवित्र प्रेम की प्रतीक राखी अब विदेशी बहनों को भी भाने लगी है। जहां भारत में रह रहीं विदेशी युवतियां अपने भाइयों को राखियां भेज रही हैं। वहीं अब कुछ युवतियों ने भारत में भी अपने भाई बना लिए हैं, वे इस वर्ष रक्षाबंधन पर्व पर अपने भाईयों को राखी बांधने की तैयारियां कर रही हैं।

भारतीय सभ्यता अनूठी है, इसे विदेशी भी स्वीकारते हैं। लेकिन भारतीय समाज अपनी सभ्यता को भूलते हुए पश्चिमी सभ्यता को अपनाने की भूल कर रहा है। यहां समाज और परिवार को आपस में बांधे रखने के लिए कई पर्व हैं, इन्हीं पर्वो में शामिल है भाई-बहन के अटूट प्यार का रिश्ता और विश्र्वास का प्रतीक रक्षाबंधन है।

यूं तो विदेशी लंबे समय से भारतीय पर्व देखते आ रहे हैं, लेकिन अब विदेशी खुद भी इन पर्वो का महत्व भी समझने लगे हैं। यही वजह है, कि विदेशियों में रक्षाबंधन का महत्व बढ़ रहा है।

पिछले डेढ़ वर्ष से भारत में रह रही ब्रिटेन की युवती एलिना भारतीय सभ्यता की कायल है। एलिना ने अपना नाम ही बदलकर अनुराधा रख लिया है। अनुराधा ने पिछले वर्ष भी रक्षाबंधन का पर्व देखा। कई घरों में अनुराधा को रक्षाबंधन पर आमंत्रित किया गया था। भाई बहन के इस पर्व के बारे में तब वह अधिक नहीं जान पायी थी। इस वर्ष उसने रक्षाबंधन के बारे में स्थानीय लोगों से पूरी जानकारी जुटाई।

पर्व से बेहद प्रभावित अनुराधा ने ब्रिटेन में रह रहे अपने भाइयों को इंटनरेट पर पर्व की पूरी जानकारी भेजने के साथ ही उसने कई राखियां भी भाइयों को पार्सल की हैं। अनुराधा तो एक बानगी है, ऐसी कई विदेशी युवतियां हैं जिन्होंने राखी का अपने त्योहारों की सूची में जोड़ लिया है।

पिथौरागढ़ में एक प्रोजेक्ट के तहत अंग्रेजी सिखाने वाली एलिना ने नगर में भी कई युवाओं को अपना भाई बनाया है, जिन्हें वह रक्षाबंधन के दिन राखी बांधेगी। उसका कहना है कि पश्चिमी देशों में भाई-बहन के प्रेम को दर्शाने वाला ऐसा कोई पर्व नहीं है। उन्होंने इसे अनूठा बताते हुए कहा राखी की डोर भाई-बहन के आपसी प्रेम को बांधे रखने में महत्वपूर्ण है।