Tuesday, September 30, 2008

डिवाइस जो बढ़ा दे आपकी गाड़ी का माइलेज


ईंधन की बढ़ती कीमतों से निश्चित ही आप भी परेशान होंगे। ऐसे में यह खबर आपके लिए राहतभरी हो सकती है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसे यंत्र [डिवाइस] को विकसित करने का दावा किया है जो गाड़ी का माइलेज 20 प्रतिशत तक बढ़ा देगा।

टेंपल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस छोटे से यंत्र को विकसित किया है। यह विद्युतीय चार्ज ट्यूब है जिसे इंजन के फ्यूल लाइन से जोड़ दिया जाता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह यंत्र बैटरी की ऊर्जा से विद्युतीय क्षेत्र बनाता है, जो ईधन को पतला कर देता है। इससे गाड़ी चलाते समय कम ईधन खर्च होता है।

यूनिवर्सिटी की एक वैज्ञानिक रोंजिया ताओ ने बताया कि इस यंत्र से ईधन तो कम खर्च होता ही है प्रदूषण भी नहीं होता। उन्होंने बताया कि हमने एक मर्सिडीज बेंज कार पर इस यंत्र का छह माह तक परीक्षण किया। हमने पाया कि यंत्र की मदद से गाड़ी का माइलेज 32 मील प्रति गैलन से बढ़कर 38 मील प्रति गैलन हो गया। यानी ईधन की क्षमता में लगभग 20 प्रतिशत सुधार दर्ज किया गया।

ताओ के मुताबिक यह यंत्र हर तरह के फ्यूल [गेसोलीन, डीजल, केरोसीन या बायोडीजल] के लिए समान रूप से कारगर है।

Monday, September 29, 2008

गुब्बारे बताएंगे कब आएगा तूफान


तूफान और उनके रास्ते का पूर्वानुमान जल्द विशेष गुब्बारों से लगाया जा सकता है। एक गुब्बारे की कीमत लगभग 2000 डालर होगी।

पिरामिड के आकार वाले गुब्बारों के शुक्रवार को मियामी में अनुसंधानकर्ताओं और छात्रों ने प्रयोग के लिए छोड़ा। अनुसंधानकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि तूफानों का अगला मौसम शुरू होने से पहले सैकड़ों गुब्बारों को इस प्रयोजन से छोड़ा जाएगा ताकि अटलांटिक में आने वाले तूफानों की पूर्व सूचना के लिए आंकड़े उपलब्ध हो सके।

वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी समुद्र के ऊपर वायुमंडलीय स्थितियों के बारे में वैज्ञानिकों के पास सीमित आंकड़े हैं। अमेरिका के दक्षिणपूर्व तट और कैरिबियाई द्वीपसमूह से सैकड़ों गुब्बारों को इस कार्य के लिए छोड़े जाने से बेहतर आंकड़े सुलभ हो सकेंगे।

अनुसंधानकर्ताओं को उम्मीद है कि कुछ वर्षो के परीक्षण से पूर्वानुमान में तीन चार और पांच दिन तक का सुधार हो सकता है। इससे समय से लोगों को सुरक्षित जगह पहुचाने में मदद मिलेगी।

Sunday, September 28, 2008

फायदेमंद है मुहब्बत


कहते हैं कि मुहब्बत जिंदगी की रंगत बदल देती है। अगर आप प्यार, इश्क और मुहब्बत नहीं करते हैं या आप इसे अपनी जिंदगी से दूर रखे हैं तो इसे तुरंत अपनी जिंदगी लाने का प्रयास करे क्योंकि अब यह बात साबित भी हो चुकी है कि मुहब्बत जिंदगी की रंगत बदल देती है।

आस्ट्रेलिया के एक विश्वविद्यालय के ताजा शोध के मुताबिक अकेलेपन के शिकार ज्यादातर युवक जब किसी युवती से प्यार या दोस्ती करते हैं। तो उनके अपने जिंदगी के प्रति नजरिये में व्यापक बदलाव आ जाता है। ऐसे युवकों का आत्मविश्वास जबरदस्त तरीके से बढ़ता है और उन्हें अपनी जिंदगी हसीन लगने लगती है।

हालांकि ऐसा युवतियों के मामले में नहीं है। सामाजिक शोध के अनुसार युवतियां ज्यादातर अपनी सहेलियों पर निर्भर होती है उनकी सोशल नेटवर्किग युवकों की अपेक्षा ज्यादा सटीक और बड़ी होती है। प्यार या दोस्ती से उन्हें ज्यादा फायदा नहीं होता है।

आस्ट्रेलिया कैथोलिक यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता सिमान राइस का कहना है कि उनके नए शोध से इस पुरानी मान्यता को बल मिला है कि किसी युवती या महिला से दोस्ती युवकों के लिए फायदेमंद होती है। राइस जल्द ही अपने शोध को आस्ट्रेलियन साइकोलॉजिकल सोसाइटी के वार्षिक सम्मेलन में पेश करेंगी।

Saturday, September 27, 2008

दुल्हनों का नया फैशन


भारतीय महिलाएं परंपरागत तौर पर नाक और कान में गहने पहनती हैं लेकिन भारत में फैशन का नया चलन शुरू हो रहा है। यह है दांतों में गहने पहनने का। जी इतना ही नहीं निकट भविष्य में दुल्हन बनने जा रही युवतियों को दांतों में गहने पहनाने के अलावा श्वास प्रबंधन भी सिखाया जा रहा है।

राजधानी में जल्द ही आ रहे कांफीस्माइल टूथ स्पा की अध्यक्ष मधुंचिलांबा ने कहा कि इतना ही नहीं दांतों के गहनों के अलावा दांतों की पॉलिशिंग कर उन्हें चमकदार बनाना और श्वास प्रबंधन की पेशकश राजधानी में अत्याधुनिक दांतों के स्पा कर रहे हैं। लांबा ने कहा कि दंत प्रबंधन भारत में पूरी तरह नया है और इसके प्रति लोगों को आकर्षित करने के लिए मूल स्तर पर ज्यादा जागरूकता होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारतीय दुल्हनें अपने पश्चिमी समकक्षों के बराबर आ रही हैं और अपनी शादी से पहले आभूषणों पर दिल खोलकर खर्च कर रही हैं। अपनी शादी से पहले महिलाएं आमतौर पर अपने दांतों को सफेद कराने और उनमें चमक लाने के लिए अपने पारिवारिक डेंटिस्टों के पास जाती हैं। हम अब नई जानकारी पेश कर रहे हैं वह श्वास प्रबंधन का है जो निश्चित तौर पर दुल्हनों के लिए दीर्घावधि में लाभकारी होगा।

Friday, September 26, 2008

फूल दिखाएं सुहाने सपने


शयनकक्ष में फूल रखने से ज्यादा खुशनुमा और रोमांटिक भला और क्या हो सकता है। बहरहाल एक नए अध्ययन में कहा गया है कि फूलों की खुशबू सुहावने सपनों को आमंत्रित भी कर सकती है।

जर्मनी के अनुसंधानकर्ताओं ने एक अध्ययन के बाद निष्कर्ष निकाला है कि शयनकक्ष में फूल रख कर सोने से सुहावने सपने आ सकते हैं। उनका यह भी कहना है कि दु:स्वप्नों से परेशान होने वालों के लिए यह खोज महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। द डेली टेलीग्राफ में आज प्रकाशित एक खबर में कहा गया है कि अनुसंधानकर्ताओं ने 15 महिला स्वयंसेवियों के सोने के तरीके का करीब 30 रात तक अध्ययन किया।

जब ये महिलाएं गहरी नींद में थीं और सपने देख रही थीं तब उनकी आंखों की पुतलियां तीव्रता से गतिमान थीं। इसी दौरान अनुसंधानकर्ताओं ने इन महिलाओं को सड़े हुए अंडों तथा गुलाब की गंध अलग-अलग सुंघाई। कुछ देर इन महिलाओं को कोई गंध नहीं सुंघाई गई। नींद से जागने के बाद इन महिलाओं से उनके सपने याद करने के लिए कहा गया।

अध्ययन में कहा गया है कि सपनों के भावों पर गंध का प्रभाव पड़ा लेकिन वह गंध उनके सपने का हिस्सा नहीं बन पाई। उदाहरण के तौर पर जिन महिलाओं को गुलाब सुंघाए गए थे उन्होंने सपनों में गुलाब नहीं देखे।

यह अध्ययन शिकागो में 2008 अमेरिकन एकेडमी आफ ओटोलैरिंगोलो जी हेड एंड नेक सर्जरी फाउंडेशन एनुअल मीटिंग में पेश किया गया। अध्ययन में बताया गया है कि महिलाओं से पूछे गए सवालों के जवाबों के आधार पर अनुसंधानकर्ताओंने निष्कर्ष निकाला कि नकारात्मक गंध और नकारात्मक भावों के बीच संबंध है।

अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि दु:स्वप्न देखने वालों का अध्ययन दिलचस्प होगा। इससे यह भी पता चल सकेगा कि क्या सकारात्मक गंध से उनके सपनों का मूड प्रभावित होता है।

Thursday, September 25, 2008

बजाया एक हाथ से ताली

कहते हैं...ताली एक हाथ से नहीं बजती, लेकिन भोपाल निवासी नवेद खान ने एक हाथ से ताली बजाकर तो दिखाई ही, साथ ही चैलेंजर अकादमी चेन्नै में उन्होंने एक हाथ से ताली बजाने का विश्व कीर्तिमान तोड़कर लोगों को हतप्रभ कर दिया।

चैलेंजर अकादमी चेन्नै में हाल ही में आरएचआर रिकार्ड होल्डर व‌र्ल्ड कप इंडिया 2008 जीतकर भोपाल लौटे नवेद खान ने मंगलवार को यहां मीडियाकर्मियों के सामने अपने हुनर का प्रदर्शन करते हुए बताया कि व‌र्ल्ड कप इंडिया 2008 प्रतियोगिता में उन्होंने हिसार निवासी नवनीत सिंह का एक मिनट में एक हाथ से 284 बार ताली बजाने का विश्व कीर्तिमान ध्वस्त करते हुए एक मिनट में एक हाथ से 310 बार ताली बजाई।

उन्होंने कहा कि वह इस कला के अलावा कई अस्वाभाविक कलाओं में माहिर हैं और अपने मुंह से घुंघरु की हू-ब-हू आवाज भी बखूबी निकाल लेते हैं।

Tuesday, September 23, 2008

सिक्कों से बनी है शांति घंटी


अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में बजाई जाने वाली घंटी विभिन्न देशों के बच्चों द्वारा एकत्र किए गए सिक्कों से ढाली गई है और इस सुंदर घंटी को जापान ने तैयार किया है।

वैश्विक एकजुटता के प्रतीक के रूप में बनाई गई इस शांति घंटी पर संपूर्ण विश्व शांति अमर रहे अंकित हैं। इस घंटी में 60 देशों के सिक्कों का इस्तेमाल किया गया है। बच्चों ने यह सिक्के 1951 में पेरिस में हुए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भाग लेने वाले 60 देशों के प्रतिनिधियों से एकत्र किए थे।

जापान ने यह घंटी 1954 में संयुक्त राष्ट्र को भेंट की थी। 116 किलोग्राम के वजन वाली यह घंटी एक मीटर ऊंची है और इसका व्यास ०.6 मीटर है। यह घंटी जापानी शिंटो मंदिर की शैली पर बनाई गई है। संयुक्त राष्ट्र में यह घंटी साल में दो बार बजाई जाती है जिसमें शरद ऋतु के अवसर पर सितंबर में होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा सम्मेलन के शुरू होने के अवसर पर बजाया जाना शामिल है। बाद में 2002 से इसे अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के अवसर पर हर साल बजाया जाने लगा। जापान ने अपनी इस घंटी की याद में डाक टिकट की कई श्रृंखला जारी की हैं, क्योंकि यह उसके लिए गौरव का विषय है।

इस शांति घंटी को जिस लकड़ी के हथौड़े से बजाया जाता है उसे संयुक्त राष्ट्र को 1977 में भेंट किया गया था। इसी प्रकार घंटी के ऊपर लटकने वाली रस्सी 20 मार्च 1990 को पृथ्वी दिवस के अवसर पर जापान के शिंटो पुजारी ने भेंट की थी। शांति घंटी के लिए 1994 का वर्ष महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में इसकी 20वीं वर्षगांठ पर विशेष समारोह का आयोजन हुआ। समारोह में शिरकत करते हुए तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव बुतरस बुतरस घाली ने कहा था.. यह जब भी बजाई जाती है, जापानी शांति घंटी का संदेश स्पष्ट होता है। यह संदेश समूची मानवता के लिए होता है। शांति मूल्यवान है। शांति के लिए बात करना पर्याप्त नहीं है। शांति के लिए काम करना पड़ता है.. लंबा काम कठिन काम।

अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के अवसर पर 2002 में तत्कालीन संरा महासचिव कोफी अन्नान ने अपने कार्यकाल में अंतिम बार शांति घंटी को बजाया। अन्नान के बाद इस पद पर आए मौजूदा संरा महासचिव बान की मून ने पहली बार 2007 में इस शांति घंटी को बजाकर पूरी दुनिया को शांति का संदेश दिया था।

Monday, September 22, 2008

वियाग्रा ने बचाई बच्ची की जान


वैसे तो वियाग्रा का इस्तेमाल आदमी की नपुंसकता को दूर करने के लिए किया जाता है। मगर यहां डाक्टर एक सात साल की बच्ची को वियाग्रा खिला रहे हैं। मगर असहज होने की कोई जरूरत नहीं है। दरअसल ऐसा उस बच्ची की जिंदगी बचाने के लिए किया जा रहा है।

सात साल की नताली ठीक क्रिसमस के दिन सात अचानक बेहोश हो गई। घबराए हुए नताली के मां-बाप उसे लेकर अस्पताल पहुंचे। डाक्टरों ने इसे घबराहट का सामान्य मामला बताया और कुछ दवाएं दीं। वह घर आ गई। लेकिन इसके बाद नताली की हालत दिनों दिन बिगड़ने लगी। वह कमजोर होती चली गई। उसे श्वास संबंधी परेशानियां भी हो गईं। नताली को फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया।

उसकी मां जेनीस ने बताया कि वह लगभग दो साल तक हम यह सब झेलते रहे। हम सभी उसकी हालत देखकर बहुत दुखी थे। यही पता नहीं चल रहा था कि उसकी बीमारी क्या है। फिर हम पहुंचे ग्रेट ओरमंड स्ट्रीट अस्पताल। यहां डाक्टरों ने नताली का पूरा चेकअप किया। पता चला कि उसके फेफड़े की समस्या पल्मोनरी हाइपरटेंशन है। डाक्टरों ने नताली को वियाग्रा खिलाने की सलाह दी। वियाग्रा ने उसके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला दिए।

जेनीस ने बताया कि मेरी बच्ची की जिंदगी बदल गई। हम सभी बहुत खुश हैं। नताली अब एक सामान्य लड़की की तरह दौड़ती है और खेलती है। डाक्टरों के मुताबिक हाईब्लड प्रेशर की वजह से नताली के फेफड़े में सही ढंग से आक्सीजन नहीं जा रहा था। इस कारण वह सुस्त रहती थी और उसे सांस संबंधी समस्याएं भी हो गईं। लेकिन वियाग्रा से उसके शरीर में रक्त प्रवाह तेज हो गया और अब वह बिल्कुल स्वस्थ है।

Sunday, September 21, 2008

इतालवी माडल ने लगाई कौमार्य खोने की कीमत


वह जमाना गुजर गया जब लड़कियों के लिए उनका कौमार्य ही सब-कुछ हुआ करता था। अब तो बाकायदा बोली लगाकर वह इसका सौदा कर रही हैं।

इटली की 20 वर्षीया माडल राफेला फीको ने अपने कौमार्य की कीमत 1.5 मिलियन डालर यानी 6.5 करोड़ रुपये लगाई है। फीको साल की शुरुआत में टीवी रियलिटी शो बिग ब्रदर के इतालवी संस्करण में भाग ले चुकी हैं। इन पैसों से फीको की योजना एक घर खरीदने और एक्टिंग क्लासेस की फीस चुकाने की है।

अब जरा इस बिंदास माडल के विचार भी जान लीजिए। फीको का कहना है कि मुझे नहीं मालूम कि कौन मेरे कौमार्य की इतनी कीमत दे रहा है। मुझे सेक्स क्रिया के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है। मुझे इस बात से विशेष फर्क नहीं पड़ता कि वह दिखता कैसा है। यदि वह मुझे पसंद नहीं आया तो मैं उसे जल्द ही छोड़ दूंगी।

फीको ने कहा कि वह मेरे लिए एक वाइन के पेग की तरह होगा जिसे एक बार लेने के बाद मैं हमेशा के लिए भूल जाऊंगी। फीको के परिजनों ने भी उसके कुंवारेपन पर मुहर लगाई है। फीको के भाई ने बताया कि उसका कभी कोई ब्वायफ्रेंड नहीं रहा। अपने कौमार्य की नीलामी करने वाली फीको कोई पहली लड़की नहीं है।

इससे पहले 22 साल की नताली डिलन ने भी ज्यादा पैसे लगाने वाले के साथ अपनी कौमार्यता खोने की बात कही थी। तब उसे ढाई लाख डालर [1.05 करोड़ रुपये] मिले थे।

Saturday, September 20, 2008

बिल्ली और मुर्गी की दोस्ती


बिल्ली को मुर्गे-मुर्गियों का दुश्मन माना जाता है। लेकिन, मिडलटन के एक फार्महाउस में रहने वाली बिल्ली और एक मुर्गी की दोस्ती देखते ही बनती है।
इस बिल्ली की नाम स्नोई है और मुर्गी का ग्लैडीस। करीब ढाई माह पहले ग्लैडीस को उसकी मालकिन जेन एथरिज ने एक लोमड़ी से बचाया था। दस साल की स्नोई इस घटना के बाद से ही ग्लैडीस की देखभाल कर रही है।जेन ने बताया कि उनकी एक मुर्गी ने 14 चूजे दिए थे। इनमें ग्लैडीस भी थी। दो दिन बाद एक लोमड़ी आई और कई चूजों को चट कर गई। ग्लैडीस सहित केवल तीन चूजे ही किसी तरह बच सके। जिंदा बचे दो अन्य चूजे भी बाद में मर गए।
जेन ने ग्लैडीस की सुरक्षा के लिहाज से उसके लिए अलग से एक बाड़ा तैयार करवाया। यहीं पर उसकी दोस्ती स्नोई से हो गई। जेन ने बताया कि स्नोई ही ग्लैडीस की साफ-सफाई करती है। जेन के अनुसार ग्लैडीस अब ढाई महीने की हो गई है और घर के सदस्य की तरह है। स्नोई और ग्लैडीस में खूब जमती है। दोनों एक-दूसरे के साथ खेलती हैं। ग्लैडीस जब भी बाहर खुले में घूमती है स्नोई उसकी निगरानी करती है।

Friday, September 19, 2008

अब ई-मेल भेजेगा फ्रिज


कई बार लोग फ्रिज में सामान रखकर भूल जाते हैं। अगर आप भी फ्रिज में खाद्य पदार्थ रखकर भूलने के आदी हैं तो आपके लिए यह एक अच्छी खबर हो सकती है। वैज्ञानिक एक ऐसा फ्रिज बना रहे हैं जो आपको खाद्य पदार्थ के खराब होने से पहले मैसेज या ई-मेल के जरिए सतर्क करेगा।

मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के दस वैज्ञानिक इस अत्याधुनिक उपकरण पर काम कर रहे हैं। यह फ्रिज संदेश भेजकर उपभोक्ता को खाना खराब होने के बारे में चेतावनी देगा। इस प्रोजेक्ट के प्रमुख डा। ब्रूस ग्रीव के मुताबिक ब्रिटेन में खाने की जमकर हो रही बर्बादी के चलते इसे तैयार किया गया है। फ्रिज में लगे एक बैटरी रहित लेबल के जरिए खाने की स्थिति का पता चलेगा। यह फ्रिज अगले साल तक बाजार में आ जाने की उम्मीद है।

Thursday, September 18, 2008

पत्नी की जान से ज्यादा कुत्ते का प्यार


सात जन्मों का बंधन कभी-कभी एक जन्म में ही बोझ बन जाता है। रोजाना की किच-किच से तंग आए आस्ट्रेलिया के एक 42 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी पत्नी को महज इस वजह से गला घोंटकर मार डाला क्योंकि वह उसके पालतू कुत्ते को पसंद नहीं करती थी।

हत्या करने के बाद एंथनी शेर्न ने अपनी पत्‍‌नी का शव कई दिन तक बिस्तर पर ही पड़ा रहने दिया। पालतू कुत्ता जैक रसेल मृत शरीर को देखकर परेशान न हो, इस वजह से शेर्न उसे जानवरों की देखभाल करने वाली संस्था में छोड़ आया। मेलबर्न मजिस्ट्रेट की अदालत में सोमवार को पेश हुए इस मामले में शेर्न ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया।

अभियोजन पक्ष के वकील के मुताबिक विक्टोरिया एस्टेट में रहने वाले शेर्न और सुजेन किसी से मिलना-जुलना पसंद नहीं करते थे। उनका कोई दोस्ता नहीं था। उनका अगर कोई था, तो बस पालतू कुत्ता जैक रसेल। हर रात जब शेर्न रेडियो सुनता तो जैक उनकी बांह पर सिर रखकर सोया करता। लेकिन, फरवरी की एक रात जब वह जैक को सीने से लगाए था, सुजेन उस पर चिल्लाने लगी। गुस्से में शेर्न ने उसे थप्पड़ मार दिया।

शेर्न ने करीब 15 मिनट तक अपनी पत्नी को मनाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी। इससे तैश में आए शेर्न ने गाउन के फीते से उसका गला घोंट दिया। पुलिस को दिए बयान में शेर्न ने कहा कि उसकी पत्‍‌नी एगोरेफोबिया [अकेले रहना पसंद करना और भीड़-भाड़ से डरना] की शिकार थी। दोनों रोजाना शराब पीते और आपस में लड़ते। शेर्न ने बताया कि करीब दस साल से दोनों अलग कमरों में सो रहे थे और तीन साल से उनके बीच सेक्स संबंध नहीं बने थे।

Tuesday, September 16, 2008

मंडप से भाग गई दुल्हन


जब एक व्यक्ति को अपनी पोती की उम्र की लड़की के साथ ब्याह रचाने का ख्वाब उस समय खाक में मिल गया जब दुल्हन उन्हें देखते ही मंडप से भाग गई।

यह घटना पटना के दीघा इलाके में सोमवार रात को हुई। दीघा थाना क्षेत्र के तहत मखदुमपुर गांव के शिवाजी नगर मोहल्ले में विद्युत विभाग से सेवानिवृत्त हुए 70 वर्षीय सुंदर भगत के यहां सोमवार को विवाह का मंडप सजा था। इसी मंडप में दूल्हा सज-धज के अपनी होने वाली दुल्हन की प्रतीक्षा कर रहा था। इसी बीच दुल्हन मंडप में पहुंची लेकिन अपने भावी जीवनसाथी को देखते ही मंडप छोड़ भाग खड़ी हुई।

दुल्हन को भागते देख गांव में अफरातफरी का महौल हो गया। सभी लोग ये जानना चाहते थे कि आखिर क्या हुआ? सूचना पाते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने दूल्हा, दुल्हन, दुल्हन की मां और उसकी बुआ को हिरासत में ले लिया।

दीघा थाने के प्रभारी एऩ के़ सिंह ने बताया कि पुलिस मामले की छानबीन कर रही है और विवाह करवाने वाले पंडित की तलाश की जा रही है। पुलिस के अनुसार 20 वर्ष पूर्व ही सुंदर की पत्नी की मौत हो गई थी। उसके पुत्र और पोते रांची में रहते हैं।

Monday, September 15, 2008

बेदर्द मां ने छुड़ाया बच्चियों से पीछा


मां छुड़ा न 'आंचल' जमाना क्या कहेगा। कुछ ऐसा ही दर्द है मां की ममता के आंचल से दूर होकर 'गुरु घर' पहुंची बच्चियों का है। इन्हें कोई और नहीं बल्कि खुद इनकी मां ही यहां छोड़कर गईं है।

हालांकि कहते हैं एक महिला के लिए मां बनना उसकी जिंदगी सबसे बड़ी खुशी होती है। इसका दर्द बेऔलाद महिला से बेहतर और कौन जान सकता है लेकिन अब मां ही ममता का गला घोंट रही है। बेटे की चाहत में बेटियों की दुश्मन बन बैठी मां न सिर्फ भ्रूण हत्या में बराबरी की भागेदारी निभा रही है बल्कि साल दो साल अपनी ममता का आंचल में पालने के बाद भी बेटियों को बेसहारा करने का गुनाह कर रही है।

गत छह माह में अमृतसर में श्री हरिमंदिर साहिब की परिक्रमा में पालन पोषण में अरुचि रखने वाले मां-बाप आठ बच्चों को छोड़ गए। इन सात लड़कियां व एक लड़का शामिल है। गत सात सितंबर को भी एक दंपति अपनी दो बच्चियों को परिक्रमा में छोड़ कर चला गया। तीन से पांच साल की इन बच्चियों को एसजीपीसी ने अपने संरक्षण में ले लिया है। श्री गुरु रामदास निवास के महिला वार्ड में इन बच्चियों के रहने की व्यवस्था की गई है। पांच दिन बीत जाने के बावजूद इन बच्चियों को कोई लेने नहीं आया।

इससे स्पष्ट है कि इन बच्चियों को बेदर्द मां-बाप ही पालन-पोषण से मुक्ति पाने के लिए यहां छोड़ गए है।

एसजीपीसी द्वारा संचालित सराय के मैनेजर कुलदीप सिंह बावा ने कहा कि गत छह माह में अभिभावकों ने परिक्रमा में आठ बच्चियों को छोड़ा है। काफी तलाश करने के बाद भी जब अभिभावक इन बच्चियों को लेने के लिए नहीं पहुंचे तो इन बच्चियों को ऐसे परिवारों को सौपा गया है, जिनके कोई औलाद नहीं है। सौपने से पहले संबंधित परिवार की सारी जानकारी व कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई है।

उन्होंने कहा कि गत कुछ माह से श्री दरबार साहिब की परिक्रमा में बच्चियों को छोड़ने की घटनाएं बढ़ी हैं । अब ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि एसजीपीसी के कर्मचारी बच्चों के साथ आने वाले अभिभावकों पर निगाह रखेंगे। उन्होंने कहा कि सामाजिक ताने बाने के चलते जो परिवार बच्चों का पालन पोषण नहीं कर पाते, वह परिवार यहां पर बच्चे छोड़ जाते हैं ताकि उनका बच्चा किसी समृद्ध परिवार द्वारा अडॉप्ट किया जाए व उसका पालन पोषण हो सके।

हालांकि पंजाब में बच्चियों के प्रति अभिभावकों की बढ़ रही अरुचि से सामाजिक ताना बाना बिखर रहा है। यही कारण है कि लिंग अनुपात में भी भारी अंतर आ गया है। यहीं हाल रहा तो समस्या और गंभीर हो जाएगी।

Sunday, September 14, 2008

पढेंगे लिखेंगे बनेंगे ओझा!


रांची के गांव में विज्ञान पर अंधविश्वास भारी है। आधुनिकता के इस युग में झाड़-फूंक करने और कराने वालों की कमी नहीं है। झारखंड के लातेहार जिले में सिद्धि प्राप्त करने के लिए युवकों को जिस हालात से गुजरना पड़ता है, वैसे दृश्य देखकर ही रोंगटे खड़े हो जाएंगे। लेकिन सिद्धि के चक्कर में वे खुशी-खुशी इन कष्टों को झेल जाते हैं। उनमें पढ़- लिखकर भी ओझा बनने की ख्वाहिश है।

विज्ञान ने नई-नई ऊंचाइयों छू ली हैं। देश में विकास की रफ्तार पहले से कहीं तेज है। भले ही हम शनिवार को अंधविश्वास दिवस मना रहे हों, लेकिन लातेहार जिले का बभनहेरूआ गांव इससे वास्ता नहीं रखता। यहां के युवकों में पढ़ लिखकर आगे बढ़ने से अधिक सिद्धि प्राप्त कर ओझागुणी के क्षेत्र में आगे बढ़ने की ख्वाहिश है। सिद्धि प्राप्त करने के लिए युवाओं को तमाम कष्टों से गुजरना पड़ता है। पहले खुद को कोड़े से मारकर जख्मी करते हैं, उसके बाद वहां जुटे भगत [ओझा] के कोड़े की मार सहनी पड़ती है।

ओझा दिनेश भगत का कहना है कि बभनहेरूआ स्थित पीपल के पेड़ के नीचे झाड़-फूंक के कार्यक्रम करने से क्षेत्र में अकाल नहीं पड़ता।

बभनहेरूआ गांव के किनारे स्थित पीपल पेड़ के नीचे आदिवासी समूह के कुछ युवक अपने शरीर पर कोड़ा से वार करते हुए चीखते-चिल्लाते हुए दो बुजुर्ग लोगों के चरणों पर अचानक गिर जाते हैं।करमा भगत व कपिलदेव भगत बताते हैं कि वे लोग प्रतिवर्ष 15 व 21 दिनों में गांव व आसपास के युवकों को ओझागुणी व झाड़-फूंक की सिद्धि दिलाते हैं। इस दौरान उन्हें बंद कमरे में रखा जाता है। अगर वे इस बात को अपने परिवार के सदस्य को भी बता दें तो उनकी सिद्धि पूरी नहीं हो पाएगी।

इसी दौरान एक घर में बंद दर्जन भर युवक चीखते-चिल्लाते पीपल के पेड़ के नीचे पहुंचते हैं, जहां पूर्व से ही नगाड़ा बजा रहे लोग इकट्ठा हैं। वहां पहुंचने के बाद ओझागुणी का सिद्धि दिला रहे भगतों ने युवकों को कोड़ा से पीटना शुरू कर दिया।

झाड़-फूंक सीख रहे युवक से जब इस संबंध में बातचीत की गई तो वे बताते हैं कि 15 दिनों तक उन लोगों ने तपस्या की है। उन लोगों पर दैविक शक्ति सवार है। सांप, बिच्छू काटे हुए मरीजों की झाड़-फूंक तो करते ही हैं। साथ में हर प्रकार की बीमारी व जादू-टोना को भी झाड़-फूंक के माध्यम से ठीक करते हैं।

Saturday, September 13, 2008

अब नए कलेवर में आई 'द जाय आफ सेक्स'


सत्तर के दशक में 'बेडरूम बाइबिल' के नाम से मशहूर हुई 'द जाय आफ सेक्स' किताब फिर नए कलेवर में बाजार में उतारी गई है। पहली बार 1972 में प्रकाशित हुई इस किताब की लाखों प्रतियां तब हाथों-हाथ बिक गई थीं।

यौन क्रियाओं की जानकारी देने वाली इस किताब को डा। एलेक्स कम्फर्ट ने लिखा था। इस बार इसे लेखिका और मनोविज्ञानी सूसन कीलियम ने नए रूप में पेश किया है। सूसन ने कम्फर्ट की तारीफ करते हुए बताया कि नई किताब में उन्होंने कई सुधार किए हैं। सूसन ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि तब से अब तक लोगों के नजरिए में काफी बदलाव आ चुका है। सूसन ने कहा, 'उस दौर में हार्मोन और फेरोमोन जैसी जानकारियां सामने नहीं आई थीं।'

उन्होंने बताया कि मूल प्रति में दी गई कुछ बातों को सही नहीं होने के कारण हटा दिया गया है। 288 पृष्ठों की नई किताब में सिर्फ पुरुष के स्थान पर पुरुष और स्त्री पर जोर दिया गया है। नए संस्करण में इंटरनेट व फोन सेक्स और गर्भावस्था के दौरान सहवास जैसे विषयों की जानकारी व सलाह भी जोड़ी गई है। किताब की प्रकाशक मिशेल बीजली ने इससे सेक्स के प्रति लोगों का नजरिया बदलने की उम्मीद जताई है। उनका कहना है कि जिंदगी को रोचक बनाने में किताब काफी मददगार साबित होगी।

Friday, September 12, 2008

पांच साल के बच्चे ने कर डाली ४७ लाख की खरीदारी


आप इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते कि घर में रखी तिजोरी खुली मिलने पर सर्बिया के एक अबोध बच्चे ने क्या किया? हम आपको बताते हैं। पांच साल का यह बच्चा अपने दोस्तों के साथ करीब स्थित शापिंग माल पहुंचा और उसने थोड़ी-बहुत नहीं बल्कि 60 हजार पौंड [करीब 47 लाख रुपये] की खरीदारी कर डाली।

सर्बिया के व्यापारी स्लोवोदान मार्कोबिच के पांच वर्षीय बेटे जोब्जा को एक दिन घर में रखी तिजोरी खुली मिल गई। जोब्जा ने तिजोरी से रकम निकाली और अपने दोस्तों की पलटन लेकर शापिंग माल पहुंच गया। फिर क्या था उनके जो मन में आया उन्होंने वही खरीद लिया। कपड़े, खिलौने, साइकिल, कंप्यूटर, गेम्स और न जाने क्या-क्या। स्लोवोदान को अपनी गलती का एहसास तब हुआ जब उनका बेटा अपने दोस्तों के साथ दर्जनों शापिंग बैग लेकर घर लौटा।

स्लोवोदान ने कहा कि वह अपनी तिजोरी में ताला जड़ना भूल गए थे लेकिन उन्हें इस बात पर यकीन नहीं हो रहा कि छोटे से बच्चे ने इतनी सारी खरीदारी कैसे कर ली। उन्होंने पुलिस से इस घटना की तहकीकात करने की मांग की। अब बेलग्राद की पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है।

Thursday, September 11, 2008

जज व वकील के रोमांस से टली मौत की सजा


टेक्सास की एक अदालत में जज और वकील के बीच रोमांस की खबर के बाद एक व्यक्ति की मौत की सजा पर अमल टाल दिया गया। अब अदालत जज और वकील के इस कथित रोमांस की खबर की जांच में जुट गई है।

दोहरे हत्याकांड में मौत की सजा पाने वाले 39 वर्षीय चा‌र्ल्स डीन हुड ने अदालत में एक अपील की। इसमें उसने आरोप लगाया कि उसे सजा सुनाने वाली जज वर्ला सुई हालैंड और अभियोजन पक्ष के वकील थामस ओ कोनेल के बीच रोमांस के चलते निष्पक्ष न्याय और सुनवाई के उसके अधिकार का उल्लंघन हुआ है।

गौरतलब है कि हुड को बुधवार को मौत की सजा दी जानी थी। लेकिन, अदालत ने अब जज और वकील के इस रोमांस प्रकरण की रिपोर्ट आने तक उसकी मौत की सजा पर रोक लगा दी है। हालैंड व थामस से एक-दो दिनों में इस बारे में पूछताछ शुरू होगी।

पिछले सप्ताह अमेरिका के 22 जजों ने टेक्सास के गवर्नर रिक पैरी से हुड की सजा के अमल पर रोक लगाने की मांग की थी। जजों द्वारा गवर्नर को लिखे गए पत्र में कहा गया था, 'इसमें कोई संदेह नहीं कि हुड के मामले की निष्पक्ष सुनवाई पर इन संबंधों का प्रभाव पड़ा होगा। इसलिए इसकी जांच रिपोर्ट आने तक सजा पर अमल न किया जाए।'

Tuesday, September 9, 2008

बेवफाई में हद से गुजर गई



कहा जाता है प्यार अंधा होता है। यह भी सच है कि इश्क में पड़ा शख्स कुछ भी कर गुजरने पर आमादा हो जाता है। लेकिन ब्रिटेन की एक लड़की ने तो हद कर दी।


अपने ब्वाय-फ्रेंड की बेवफाई से नाराज इस लड़की ने उसे सबक सिखाने का ऐसा रास्ता चुना जिसे सुनकर दुनिया भर के प्रेमियों के पैरों तले जमीन खिसक जाए। लड़की ने एक पुरुष वेश्या [जिगोलो] को बुलाया और उसके साथ एक वीडियो फिल्म बना डाली। प्रेमी को जलाने के लिए वीडियो को यू ट्यूब पर डाल दिया। करीब 33 सेंकेड के वीडियो में लड़की अपने प्रेमी को संबोधित करते हुए कहती है, 'प्यारे जान मैं इसके साथ [जिगोलो] सेक्स करने जा रही हूं। लेकिन मुझे अफसोस है कि तुम इसे देख नहीं सकोगे।' इसके बाद विडियो आफ हो जाता है।

Monday, September 8, 2008

'कब्र' से लौटा परिवार का मुखिया


जान डेलैनी के लिए यह पुनर्जन्म से कम नहीं है। वह आठ साल बाद अपने परिवार में लौटे हैं। उस परिवार में जिसके लिए वह 'मर' चुके थे और जिसने उन्हें 'दफन' भी कर दिया था। यह वाकया किसी धारावाहिक या फिल्म का हिस्सा होता तो सामान्य बात थी, लेकिन असल जिंदगी में ऐसा होना किसी चमत्कार से कम नहीं माना जा सकता।

ग्रेट मैनचेस्टर में ओल्डहैम में रहने वाले डेलैनी अप्रैल 2000 में लापता हो गए थे। पुलिस में रिपोर्ट लिखाई गई। कुछ दिन बाद पुलिस ने परिवार वालों को एक क्षत-विक्षत लाश दिखाई। लाश पर ठीक वैसे ही कपड़े थे जो लापता होने के समय डेलैनी ने पहन रखे थे। परिवार वालों ने उसे डेलैनी की लाश समझा और अंतिम संस्कार कर डाला।

लेकिन आठ साल बाद अचानक सब कुछ पलट गया। डेलैनी के बेटे रेनीहन ने अपने पिता को एक टेलीविजन शो में देखा तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। तब उन्होंने पता किया और अपने पिता को घर ले आए।

दरअसल, लापता होने के कुछ दिनों बाद ब्रिटेन के एक देखभाल केंद्र ने डेलैनी को बेसहारा हालत में पाया। वह मस्तिष्क में लगी चोट की वजह से अपनी याददाश्त खो चुके थे। इस कारण वह अपने या परिवार के बारे में कुछ बता नहीं सके। सो, देखभाल केंद्र ने उनका नाम भी बदल दिया। उन्हें डेविड हैरीसन नाम दे दिया गया। इसके बाद उन्हें टेलीविजन पर दिखा कर लोगों से उनकी पहचान करने की अपील की गई। संयोग से रेनीहन ने कार्यक्रम देखा और अपने पिता को पहचान लिया।

बाद में मैनचेस्टर पुलिस द्वारा किए गए डीएनए परीक्षण में इस बात की पुष्टि हो गई कि डेलैनी और रेनीहन पिता-पुत्र हैं। फिलहाल पुलिस उस व्यक्ति की पहचान कर रही है जिसे डेलैनी समझकर दफनाया गया था। पुलिस ने पहचान के मामले में हुई अपनी गलती भी स्वीकार कर ली है।

Sunday, September 7, 2008

नौ साल तक बीवी को रखा केबिन में कैद


स्वीडन के एक 58 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी पत्नी को नौ साल तक छोटे से केबिन में कैद रखा। मामला खुलने पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। अदालत ने उसे आरोपी करार देते हुए हिरासत में रखने और मनोचिकित्सक से जांच कराने के निर्देश दिए हैं।

एक्सजो कस्बे में रहने वाले इस व्यक्ति ने 1999 से ही अपनी पत्नी को 15 वर्ग मीटर आकार के एक केबिन में कैद कर रखा था। हालांकि इस व्यक्ति ने अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत करार दिया है। नौ साल तक एक कमरे में कैद रहने के कारण उसकी पत्नी मल्टिपल स्कलेरोसिस (मस्तिष्क व तंत्रिकाओं के ऊतकों का कठोर हो जाना) जैसे गंभीर रोग का शिकार हो गई है। उसका वजन घट कर 40 किलोग्राम रह गया। फिलहाल वह महिला अस्पताल में भर्ती है और डाक्टरों ने उसकी हालत स्थिर बताई है।

कहानी यहीं खत्म नहीं होती। गिरफ्तारी के बाद इस व्यक्ति ने अपनी पहचान छुपाने की भी कोशिश की। उसने अपनी पहचान के तौर पर पुलिस को जो प्रमाण दिए वह ऐसे व्यक्ति के निकले जिसकी आठ साल पहले मौत हो चुकी थी।

Saturday, September 6, 2008

बिजली गुल हुई तो किसी और की हो गई दुल्हन


आंख बंद, डिब्बा गायब वाली कहावत तो पुरानी है, लेकिन यहां इसी से मिलता-जुलता कुछ नया वाकया सामने आया है। बिजली गई और असली दुल्हन गायब!

थेनी में एक जगह सामूहिक विवाह समारोह आयोजित कराया गया था। शुभ मुहूर्त के समय जब 40 दूल्हे अपनी-अपनी दुल्हन के गले में मंगल सूत्र बांध रहे थे, ठीक उसी वक्त बिजली गुल होने से उनमें से दो अपना निशाना चूक गए। वीराचामी ने सुबालक्ष्मी के गले में मंगल सूत्र बांधने के बजाय, उसके नजदीक खड़ी उसकी सहेली के गले में मंगल सूत्र डाल दिया। इसी तरह बालामुरगन ने अपनी दुल्हन शिवकामी के बजाय किसी दूसरी लड़की के गले में पवित्र धागा बांध दिया।

दुल्हन बदलने के इस मामले का पता चल गया और जल्द ही मामला सुलझा भी लिया गया। श्री सुब्रमण्यमस्वामी मंदिर में हुई इस अदला-बदली की भूल सुधारने के लिए खास पूजा कराई गई और फिर दुल्हन के गले से मंगल सूत्र निकालकर उसे सही लड़की के गले में डलवाया गया।

Friday, September 5, 2008

डाल्फिन पर करें समंदर की सैर



डाल्फिन से प्रेरित होकर कैलिफोर्निया की एक कंपनी ने पनडुब्बी सरीखी ऐसी बोट डिजाइन की है जो पानी की सतह और अंदर चलने के साथ ही हवा में भी करतब कर सकती है।


डाल्फिन की शक्ल की इस बोट की कीमत 30,000 पौंड [करीब २.46 लाख रुपये] है। जरा इसकी खासियत पर भी गौर कर लें। बोट में दो लोग बैठ सकते हैं। 1500 सीसी और 215 हार्सपावर के इंजन की यह बोट पानी की सतह पर अधिकतम 45 मील प्रति घंटे की रफ्तार से भागने में सक्षम है जबकि पानी के अंदर इसकी आधी गति से। किसी डाल्फिन की तरह यह बोट हवा में कलाबाजियां खाने में भी सक्षम है।


फाइबर से बनी 15 फीट लंबी यह बोट पानी के अंदर लंबे समय तक रह सकती है। इसे डिजाइन करने वाली कंपनी आइनस्पेस की हर साल ऐसी 20 बोट बनाने की योजना है। बोट की छत मजबूत पालीकार्बोनेट से बनाई गई है, जिसका इस्तेमाल एफ-16 जैसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू विमान बनाने में भी किया जाता है।

Thursday, September 4, 2008

गोरों के देश का हर तीसरा बच्चा 'श्वेत' नहीं


कभी गोरों का देश कहे जाने वाले ब्रिटेन की तस्वीर अब तेजी से बदल रही है। ब्रिटिश सरकार के आधिकारिक आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि ब्रिटेन में जन्म लेने वाला हर तीसरा बच्चा श्वेत नहीं होता।

सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि वर्ष 2005 में जन्म लेने वाले छह लाख 49 हजार 371 बच्चों में केवल 64 फीसदी ही श्वेत थे। स्थानीय अखबार 'डेली स्टार' में छपी खबर के मुताबिक शेष बच्चों में करीब नौ फीसदी एशियाई थे। पांच फीसदी अश्वेत या ब्रिटिश अश्वेत और लगभग 3.5 फीसदी बच्चे मिश्रित नस्ल के थे।

आंकड़े इस बात की भी पुष्टि करते हैं कि ब्रिटेन में अविवाहित माता-पिता की संख्या बढ़ रही है। देश में रह रहे कैरेबियाई समूहों में यह संख्या सर्वाधिक है। इस समूह का हर तीन में एक बच्चा ही विवाहित माता-पिता की संतान है।

राष्ट्रीय जनांकिकी विभाग की इस रिपोर्ट को लेकर ब्रिटेन में मिश्रित प्रतिक्रिया जताई जा रही हैं। रेस इक्वलिटी फाउंडेशन की निदेशक रत्ना दत्त इस बदलाव को अच्छा मानती हैं। रत्ना का कहना है कि पूर्व की तुलना में ब्रिटेन में अब ज्यादा नस्लीय विविधता है, जो अच्छी बात है।

Tuesday, September 2, 2008

शादी में हुआ मृत आत्माओं का मिलन



माना जाता है कि शादी दो आत्माओं का मिलन है। लेकिन यदि मृतकों की शादी की बात की जाए तो। चौंकिये मत। पिछले सप्ताहांत मलेशिया के पेनांग रिसार्ट द्वीप में स्थित एक मंदिर में दशकों पहले मर चुके एक लड़का और लड़की की शादी रचाई गई। इस अवसर पर वर और वधू के परिजन भी मौजूद थे।


स्टार डेली में छपी खबर के मुताबिक वर की मौत 50 साल पहले तब हो गई थी जब वह बच्चा ही था। जबकि वधू की मौत 30 साल पहले किशोरावस्था में हुई थी। महीने भर चलने वाले इस आत्मिक मिलन समारोह को यहां चीनी हंगरी घोस्ट फेस्टिवल नाम से जाना जाता है।


स्थानीय चीनियों का मानना है कि इस महीने में मृतकों की आत्माएं नर्क से निकल कर पृथ्वी पर घूमने आती हैं। इस लिए मृतकों के परिजन आत्माओं की तृप्ति के लिए उनकी मनपसंद खानों और दूसरी जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करते हैं। खबर में कहा गया है कि पारंपरिक चीनी चाय समारोह में ची यू कुवान का विवाह चीह बेंग एंग से कराया गया। शादी वर और वधू के कागज के पुतलों के बीच हुई। वधू की 74 वर्षीय मां ओंग किम लुआन ने बताया कि उसकी बेटी ने पिछले साल इस समारोह में शादी करने की इच्छा जताई थी। इस ने हमें चकित और हैरान कर दिया।


लेकिन अगले ही दिन हमें मंदिर के पुजारी का फोन आया। उन्होंने बताया कि एक युवक ने एक माध्यम के जरिए मेरी बेटी का हाथ मांगा है। उन्होंने ओंग को यह भी बताया कि दो वर्ष पहले दोनों आत्माओं की मुलाकात दूसरी दुनिया में हुई थी। अब उनके बीच गहरा प्यार पनप चुका है।