Sunday, October 26, 2008

वर्चुअल पति की हत्या में महिला को जेल


विकसित देशों के लोगों की जिंदगी में टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर की दखल बढ़ती जा रही है। साथ ही इसके दुष्प्रभाव भी सामने आने लगे हैं। जापान की एक 43 वर्षीय महिला को वर्चुअल गेम में तलाक मिलने पर इतना गुस्सा आया कि उसने अपने आनलाइन पति [डिजिटल गेम का कैरेक्टर] की हत्या कर दी।

अब आनलाइन पति की शिकायत पर महिला को जेल हो गई है। हालांकि असल जिंदगी में उसने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है। महिला को पांच साल की जेल या पांच हजार डालर जुर्माने की सजा हो सकती है।

दरअसल जापानियों में मेपल स्टोरी, सेकंड लाइफ जैसे वर्चुअल गेम्स का जबरदस्त क्रेज हैं। इसमें खिलाड़ी खुद के प्रतिनिधि के रूप में एक काल्पनिक चरित्र क्रिएट करता है। खिलाड़ी का यह डिजिटल अवतार साथी खिलाड़ी से रिश्ते बनाता है और डिजिटल दुश्मनों व अन्य बाधाओं से लड़ता है।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि महिला ने अपने आनलाइन पति का पासवर्ड चुरा लिया और उसके इलेक्ट्रानिक डाटा में भी फेरबदल की। महिला को अपनी आफिस की एक साथी से आनलाइन पति के लाग इन की जानकारी मिली थी।

वहीं अपनी सफाई में महिला का कहना है कि गेम के दौरान बिना चेतावनी के तलाक मिलने पर मुझे गुस्सा आ गया। महिला को उसके आनलाइन पति द्वारा अपने डिजिटल अवतार की हत्या की शिकायत दर्ज कराने के बाद गिरफ्तार किया गया है।

इस साल अगस्त में एक महिला ने अपने ब्वाय फ्रेंड का ही अपहरण कर लिया था। उससे वह सेकंड लाइफ गेम के दौरान मिली थी।

Saturday, October 25, 2008

कंडोम पर कोहराम व चुंबन पर चुप्पी क्यों!


इंदौर के एक डाक्टर ने कंडोम को एड्स से बचाव के लिए कथित तौर पर ब्रह्मास्त्र की तरह बताने वाले सरकारी प्रचार अभियानों का कड़ा विरोध करते हुए फौरन इन पर रोक लगाने की मांग की है।

डाक्टर का आरोप है कि एचआईवी संक्रमण की दूसरी वजहों पर जागरूकता फैलाने की ओर भारत सरकार का ध्यान अपेक्षाकृत कम है जिनमें कुछ अनुसंधानों के मुताबिक इसकी वजहों में लंबा चुंबन भी शामिल है। इंदौर के डा. मनोहर भंडारी ने बताया कि वह अपने वकील के जरिए इस सिलसिले में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन नाको को कानूनी नोटिस भी भेज चुके हैं।

26 सितंबर को भेजे गए नोटिस में जोर देकर दावा किया गया है कि लंबे चुंबन से भी एड्स फैल सकता है। शहर के एक चिकित्सा महाविद्यालय में नौकरी करने वाले डा. भंडारी ने आरोप लगाया कि सरकार और उससे जुड़ी विभिन्न एजेंसियां उक्त वैज्ञानिक तथ्य को छिपाने की कोशिश कर रही है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

नोटिस में कहा गया है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, डाक्टरों और नर्र्सो के लिए सरकारी एजेंसियों की ओर से एड्स पर प्रकाशित प्रशिक्षण मॉड्यूल में चुंबन और एड्स के संबंधों पर अलग-अलग बातें सामने आती हैं।

डा. भंडारी ने कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए प्रकाशित प्रशिक्षण माड्यूल में उल्लेख किया गया है कि चुंबन या आलिंगन से एड्स नहीं फैलता। डा. भंडारी ने नर्सो के लिए जारी प्रशिक्षण माड्यूल में चुंबन के संदर्भ को बेहद उलझा हुआ बताया।

उन्होंने उक्त माड्यूल के हवाले से कहा कि साधारण चूमने से भी एड्स संक्रमण नहीं होता ज्यादातर वैज्ञानिकों का मानना है कि अधिक समय तक लिए गए चुंबन से एचआईवी संक्रमण संभव है क्योंकि इसमें रक्त ज्यादा देर तक परस्पर संपर्क में रहता है। साधारणत: इसकी आशंका कम ही रहती है।

नोटिस के मुताबिक डाक्टरों के लिए प्रकाशित प्रशिक्षण माड्यूल में सूखे चुम्बन जैसे आकस्मिक संपर्क को एड्स के मामले में सुरक्षित बताया गया है।

बहरहाल डा। भंडारी की मानें तो इस विषय पर किए गए कुछ अनुसंधान कहते हैं कि मसूडे़ क्षतिग्रस्त हो अथवा मुंह में कोई घाव या छाला हो तो एड्स संक्रमित शख्स को लंबे समय तक चूमने से यह बीमारी साथी में भी घर कर सकती है। एड्स से बचाव के लिए सरकार द्वारा केवल कंडोम का प्रचार आम जनता को गुमराह कर रहा है।

डा। भंडारी के वकील सुरेश नारायण सक्सेना ने नोटिस में सरकार को चेतावनी भरे लफ्जों में कहा है कि वह एचआईवी संक्रमण की दूसरी वजहों पर भी आम जन के लिए जोरदार जागरूकता अभियान चलाए। वरना उनके मुवक्किल विधि के मुताबिक अगला कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

इस बीच एड्स के साथ जी रहे लोगों के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन ने कहा कि यह दावा सरासर गलत है कि कंडोम को सरकार हौवा बनाकर पेश कर रही है। मध्यप्रदेश नेटवर्क आफ पीपुल लिविंग विद एचआईवी पाजीटिव के मनोज वर्मा ने कहा कि देश में एड्स संक्रमण के ज्यादातर मामले असुरक्षित यौन संबंधों के चलते सामने आते हैं।

उन्होंने जोर देकर कहा कि कंडोम न केवल एड्स के खतरे से बचाता है बल्कि कई गुप्त रोगों और अवांछित गर्भ से भी रक्षा करता है। लिहाजा कंडोम का जोरदार प्रचार प्रसार किया जा रहा है तो इसमें आखिर क्या बुराई है।

Friday, October 24, 2008

शादी में 'बेस्ट मैन' बना कुत्ता


एक ब्रिटिश जोड़े ने हाल ही में जब शादी रचाई तो उनके 'बेस्ट मैन' की भूमिका पालतू कुत्ते 'एड' ने निभाई। ईसाई धर्म में आमतौर पर शादी में बेस्ट मैन की भूमिका वर या वधू के भाई-बहिन या जिगरी दोस्त निभाते हैं।

माना जाता है कि शादी में बेस्ट मैन बने युवक-युवतियों की भी जल्द शादी हो जाती है। लेकिन, हैरिएट और एंड्रयू एथे की इस शादी में कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला। इस शादी में एड के साथ हमबग और गाउलश नाम के पालतू कुत्ते भी शरीक हुए। ये तीनों शादी में बाकायदा शानदार लिबास पहनकर शरीक हुए। शादी में इनके शरीक होने के पीछे दिलचस्प वजह है।

दरअसल, इन कुत्तों की वजह से ही हेरियट और एंड्रयू पहली दफा मिले थे। अगस्त 2007 में डोरसेट के मुडफोर्ड बीच पर अपने पालतू कुत्तों के साथ सैर करते वक्त ही एंड्रयू और हेरियट की नजरें लड़ी थीं। इसके बाद तो उनकी मुलाकातों का सिलसिला चल निकला।

इसके पांच माह बाद जनवरी 2008 में जब दोनों छुट्टियां बिताने दुबई गए तब एंड्रयू ने हेरियट को शादी के लिए प्रपोज कर दिया।

Thursday, October 23, 2008

पेरिस हिल्टन का जिराफ डांस


मशहूर अमेरिकी अभिनेत्री व माडल पेरिस हिल्टन हमेशा किसी न किसी वजह से सुर्खियों में बनी रहती हैं। हिल्टन अब अपने 'जिराफ डांस' को लेकर चर्चा में हैं।

एक वेबसाइट में प्रकाशित उनकी तस्वीरों के हवाले से कहा जा रहा है कि हिल्टन जिराफ सरीखा डांस करती हैं। वेबसाइट के मुताबिक क्लबों में डांस करते वक्त उनकी जो तस्वीरें खींची गई हैं, उनमें हिल्टन को खास अंदाज में देखा जा सकता है। इनमें वह किसी जिराफ की तरह नाचती नजर आती हैं।

डांस करते वक्त हिल्टन कुछ खास मुद्राएं बनाती हैं, जो जिराफ जैसी होती हैं। डांस करते वक्त हिल्टन कभी-कभी किसी जिराफ की तरह एकदम सतर्क खड़ी हो जाती हैं। उनका एक हाथ बिल्कुल जिराफ की लंबी गर्दन की तरह सिर से ऊपर चला जाता है।

Monday, October 20, 2008

प्यार एक बीमारी व सेक्स इसका इलाज


सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन है सच। प्यार एक बीमारी है। और इसका इलाज सेक्स है। ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी की डाक्टर लेसेल डासन ने अपने शोध के बाद यह नतीजा निकाला है।


डासन के मुताबिक यह बीमारी अक्सर अमीर गरीब के बीच प्रेम संबंधों और उसकी विफलता के कारण होती है। दबा प्यार और उसे पाने की चाहत के चलते इंसान को गुस्सा, फ्रस्टेशन और यहां तक कि मानसिक रोग भी हो सकते हैं। अभी तक इसे संगीत, बेहतर खान-पान और मानसिक व्यायामों से ठीक करने की कोशिश की जाती थी। लेकिन डासन के मुताबिक लव सिकनेस से उबरने का एकमात्र उपाय सेक्स है।


उन्होंने इलाज के तौर पर मरीज को संगीत में ध्यान लगाने की सलाह भी दी। डासन ने कहा कि लव सिक से पीडि़त लोगों को व्यस्त रहना चाहिए और हो सके तो दोस्तों से दर्द बांट लेना चाहिए। लेकिन इस बीमारी से छुटकारा पाने का सबसे बेहतर तरीका सेक्स है। सेक्स से प्यार करने वालों के शरीर से नुकसानदायक तत्व बाहर निकल जाते हैं। यही नुकसानदायक तत्व बीमारी की वजह बनते हैं।

Sunday, October 19, 2008

बंदर को मिला बाडी गार्ड


चर्चित नेता या अभिनेता के साथ हमेशा लगे रहने वाले बाडी गार्ड तो आपने जरूर देखे होंगे। लेकिन, क्या आपने किसी जानवर के बाडी गार्ड के बारे में सुना है? चीन के एक चिडि़याघर में अनाथ बंदर के बच्चे की रक्षा के लिए अधिकारियों ने उसे एक कुत्ता बतौर बाडी गार्ड उपलब्ध कराया है।

चीन के जियाओजू शहर में स्थित चिडि़याघर के कर्मियों का कहना है कि इस छोटे अनाथ बंदर को अन्य बंदर बहुत परेशान करते थे। कई बार तो उन्हें बंदर की जान बचाने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा। 'चाइना न्यूज नेटवर्क' में चिडि़याघर के प्रवक्ता के हवाले से कहा गया है, 'हमने बंदर के पिंजरे में एक कुत्ते को इस उम्मीद के साथ रखा कि वह इस अनाथ की रक्षा करेगा।

सेई हू नाम का यह कुत्ता अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहा है। जैसे ही कोई बंदर को तंग करता है, वह उसे डराकर भगा देता है। बंदर भी काफी चालाक है, खतरे की भनक लगते ही वह झट से कुत्ते की पीठ पर चढ़ जाता है।' जब से यह कुत्ता बंदर का बाडी गार्ड बना है अन्य बंदर हताश हैं। कई बार उन्होंने बंदर को परेशान करने की कोशिश की लेकिन सेई हू की वजह से हर बार में नाकाम रहे।

Saturday, October 18, 2008

डांस में माहिर कामकाजी रोबोट


दक्षिण कोरियाई शोधकर्ताओं ने एक ऐसा रोबोट विकसित किया है जो नाच सकता है। यही नहीं, काम-काज ठीक से नहीं होने पर यह रोबोट भावुक भी हो जाता है।

माहरू नाम का यह रोबोट डांस करते वक्त वक्त बाकायदा अपनी भौहें व होंठ हिलाता है और आंखें भी नचाता है। नाचते समय यह तरह-तरह के मुंह बनाकर अपने भाव भी व्यक्त करता है और उन भाव से मिलती-जुलती दो तरह की गंध भी छोड़ता है। माहरू चलते वक्त अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को स्वतंत्रतापूर्वक हिला सकता है।

इस रोबोट को कोरिया इंस्टीट्यूट आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी के शोधकर्ताओं के एक दल ने विकसित किया है। इस दल के प्रमुख शोधकर्ता यू बम जेई का कहना है कि माहरू से घरेलू कामकाज में मानवीय रोबोट के व्यावसायिक इस्तेमाल के रास्ते खुलेंगे।

उन्होंने बताया कि डांस करने में माहिर माहरू उसमें लगे एडवांस मोशन कैप्चर सिस्टम के जरिए विभिन्न इंसानी हरकतें करने में सक्षम है। माहरू अपने हाथों के जरिए रास्ते में पड़ी चीजों को हटा सकता है। यू ने बताया कि उनकी टीम ने एक सेंसर युक्त 'माहरू-एम' रोबोट भी विकसित किया है जो विभिन्न चेहरों और वस्तुओं में भेद कर सकता है।

Friday, October 17, 2008

अब घोड़े का अल्कोहल टेस्ट


रोमानिया की यातायात पुलिस ने हाल में एक घोड़े का अल्कोहल टेस्ट कराया। एक बग्घी में जुते इस घोड़े ने सड़क किनारे बेंच पर बैठे एक आदमी को टक्कर मार दी थी। टेस्ट में पता चला कि टक्कर के वक्त घोड़ा शराब के नशे में टुन्न था।

गोर्ज काउंटी में हुई इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी ने पुलिस को बताया कि बग्घीचालक के लाख प्रयासों के बावजूद घोड़ा बेकाबू होकर भाग रहा था। 56 वर्षीय बग्घीचालक आयन ड्रेगन ने पुलिस को बताया कि वह एक पशु मेले से घोड़ा खरीदकर घर लौट रहा था कि यह हादसा हो गया।

पुलिस को शक है कि शायद घोड़े को बेचने से पहले उसे मजबूत व स्वस्थ दिखाने के लिए ही शराब पिलाई गई होगी। इलाके के मुख्य पशु चिकित्सक आयन इलुता ने कहा कि जब पुलिस ने उनसे घोड़े का अल्कोहल टेस्ट करने को कहा तो वह हैरान रह गए।

उन्होंने कहा कि इससे पहले किसी ने उनसे ऐसी गुजारिश नहीं की थी। वैसे इस रोचक घटना का दुखद पहलू यह है कि घोड़े ने घर के बाहर बेंच पर बैठे जिस 86 वर्षीय व्यक्ति को टक्कर मारी थी, गंभीर चोटें आने के कारण उसकी मौत हो गई।

Thursday, October 16, 2008

अब किराए पर लें पति की सेवाएं


'क्या आप घर के काम में हाथ नहीं बंटाने वाले अपने पति से परेशान हैं? तो, सब कुछ भूलकर हमारे पास आइए'। दरअसल, यह विज्ञापन एक ऐसी कंपनी की बेवसाइट का है, जो किराए के पति उपलब्ध कराती है।

जी हां, अर्जेटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में एक कंपनी महिलाओं को 15.50 डालर [करीब 760 रुपये] प्रति घंटे के हिसाब से किराए के पति उपलब्ध करा रही है। कंपनी का कहना है कि जो महिला अपने घर के काम में रुचि नहीं लेने वाले पति से परेशान है, वह किराए के पति की सेवाएं ले सकती है।

इस कंपनी का नाम भी बड़ा ही दिलचस्प 'हसबेंड फार रेंट' रखा गया है। कंपनी का दावा है कि यह सुविधा अकेली, तलाकशुदा और विधवा महिलाओं के लिए बहुत काम की है। कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले किराए के पति बिजली, लकड़ी सहित घर के सभी कामों में पारंगत हैं।

कंपनी के मालिक डेनियल अलोंसो ने बताया कि उन्हें यह अजीबोगरीब आइडिया उस दिन आया जब उनकी पड़ोसन ने अलोंसो की पत्नी से अपना पति किराए पर लेने का मजाक किया।

56 वर्षीय अलोंसो का दावा है कि उनकी कंपनी के पास अभी दो हजार ग्राहक हैं। अलोंसो ने कहा कि सस्ते में घर के काम निपट जाने के कारण महिलाओं को यह सुविधा खूब पसंद आ रही है।

Tuesday, October 14, 2008

पाकिस्तानी दुल्हनिया हो गई हिंदुस्तानी


कहते हैं-'जोडि़यां आसमान में बनती हैं।' फिर वीजा की क्या बिसात जो आड़े आ जाए। दूल्हा पाकिस्तान नहीं जा सका तो दुल्हन ही बारात लेकर हिंदुस्तान आ गई। पेशावर की अनीता सोमवार को अमृतसर के पवन के साथ सात फेरे लेगी।

अमृतसर पहुंचने के बाद अनीता ने बताया-मैं बारहवीं पास कर ली है। हिंदी फिल्में बहुत अच्छी लगती हैं। मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी शादी अमृतसर में होगी। अमृतसर के बारे में पिता जी से सुना था। अब देख लिया, बहुत अच्छा लगा।

अनीता के पिता इंद्र प्रकाश ने बताया कि अमृतसर में उनके रिश्तेदार रहते हैं। लेकिन यहां आने के लिए उन्हें वीजा जल्दी नहीं मिल पाता। उन्होंने बताया कि बेटी अनीता की शादी अमृतसर के पवन से तय की। लेकिन दूल्हे को वीजा नहीं मिल सका। काफी मशक्कत के बाद उन्हें और कुछ रिश्तेदारों को अमृतसर आने के लिए 45 दिन का वीजा मिल सका है।

इंद्र प्रकाश ने बताया कि अनीता के वीजा की अवधि बढ़ाने के लिए अर्जी दे दी गई है। उम्मीद है कि कामयाबी मिल जाएगी। पवन और उसके घर वाले भी प्रार्थना कर रहे हैं कि वीजा बढ़ जाए। इंद्र प्रकाश का कहना है कि दोनों देशों की सरकारों को वीजा देने की प्रक्रिया को सरल करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वे पाकिस्तान से प्यार लेकर आए हैं। ऊपर वाले से यही प्रार्थना है कि दोनों देशों में अमन-शांति बनी रहे। दूल्हे के पिता ध्यानंचद का कहना है कि मीडिया की मदद से शायद उनकी बहू का वीजा बढ़ाने के लिए दोनों देशों की सरकारों से मंजूरी मिल जाए।

अमृतसर के खंडवाला में स्थित पिशौरी नगर में भारत विभाजन के बाद पेशावर से आए हिंदू परिवारों को रहने के लिए जगह दी गई थी। पूरे मुहल्ले में हिंदू परिवार ही रहते हैं। यहां के लोग अब भी पेशावरी बोली ही बोलते हैं। इनको पंजाबी भी आती है, लेकिन आपसी बातचीत में ये लोग पेशावरी बोली का ही प्रयोग करते हैं। इनके रिश्तेदार अब भी पाकिस्तान में हैं। लेकिन वीजा आसानी से नहीं मिलने के कारण मुलाकातें नहीं हो पाती।

मुहल्ला निवासी ध्यान चंद का कहना है कि हिंदू त्योहार हो या मुस्लिम सभी को यहां पर लोग मिलजुल कर मनाते हैं।

पाकिस्तान से बारात लेकर आई दुल्हन अनीता सोमवार को अमृतसर के पवन की हो गई। यहां दोस्तों-रिश्तेदारों की मौजूदगी में वैदिक विधि-विधान के साथ दोनों ने सात फेरे लिए। हाथों में मेहंदी, कलाई में सुहाग का चूड़ा और चेहरे पर शर्मीली मुस्कान के साथ जब दुल्हन अनीता ने मैरिज पैलेस में कदम रखा तो मानो पूरा पेशावर उतर आया हो।

अनीता और पवन ने एक-दूसरे के गले में माला पहना कर अपनी जिंदगी की नई पारी शुरू की। पेशावरी पोशाक पहने अधिकांश बाराती समारोह में चार चांद लगा रहे थे। दूल्हे पक्ष के लोगों ने भी बारातियों की खूब खातिरदारी की। पाकिस्तान से आए बलवंत राम, जय गोपाल, रचना कुमारी और दुल्हन के परिजनों खुशी झलक रही थी। लेकिन उनकी जुबां पर यह सवाल भी था कि क्या दुल्हन को वीजा के 45 दिन बीतने के बाद भी भारत में रहने के लिए इजाजत मिल पाएगी?

शादी के बाद पत्रकारों से बातचीत में दुल्हन अनीता ने कहा कि उसने तो पाकिस्तान से आकर पर अपनी जिंदगी की नई पारी की शुरू कर ली है, लेकिन भारत और पाकिस्तान की सरकारों से गुजारिश है कि वह शादी करने वालों के लिए वीजा प्रणाली सरल करें।

दूल्हे के पिता ध्यानचंद ने कहा कि उसने शादी के लिए तो हामी भर दी, लेकिन उन्हें पेशावर जाने के लिए वीजा नहीं मिल पाया। दूल्हे की बहन परवीन और नीना उसकी भाभी के वीजा की तिथि बढ़ाने की मांग की है।

Monday, October 13, 2008

आइसलैंड बिक रहा है बोलो खरीदोगे!


बर्फीली वादियां और दिल को छू लेने वाले दृश्य। शायद ही कोई होगा जो आइसलैंड नहीं जाना चाहेगा। उत्तर अटलांटिक महासागर का यह छोटा सा द्विपीय देश खराब वित्तीय स्थिति के चलते अब आनलाइन आक्शन हाउस ईबे पर नीलाम हो रहा है।

आइसलैंड अपने दिवालिया हुए बैंकों को उबारने के लिए रूस से 5.49 अरब डालर [करीब 2.69 खरब रुपये] का ऋण तो ले ही रहा है। अब उसने कई अन्य चीजें भी ईबे पर नीलामी के लिए रखी हैं। कह सकते हैं कि उसने खुद को ही नीलामी के लिए रख दिया है। 99 पेंस से शुरू हुई यह नीलामी शुक्रवार तक 1.72 करोड़ डालर [करीब 84.75 करोड़ रुपये] पर पहुंच गई थी। ईबे पर दी गई सूचना के अनुसार मशहूर गायक ब्योर्क नीलामी के लिए उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन, इसमें कुल 84 चीजें रखी गई हैं और इस नीलामी में अब तक 26 लोग शामिल हो चुके हैं।

ईबे पर इसके लिए दिलचस्प तरीके से प्रचार किया गया। नोटिस में कहा गया कि विजेता बोलीकर्ता को आइसलैंड में रहने लायक वातावरण तो मिलेगा ही साथ ही वह यहां के खास घोड़ों की सवारी का भी लुत्फ उठा सकेगा। बोली लगाने वालों के सवाल भी अजीबोगरीब हैं। मसलन, किसी ने पूछा कि 'क्या आप ज्वालामुखी या भूकंप से बीमा की गारंटी देते हैं?

Sunday, October 12, 2008

आंसुओं से लिखता है एक चीनी आदमी


आपको जानकर हैरानी होगी कि एक चीनी आदमी अपने आंसुओं से लिखता है। हेनान प्रांत के लूआयांग में रहने वाले 56 वर्षीय रू एंटिंग अपनी नाक से पानी खींचकर आंख की अश्रु ग्रंथियों के जरिए उसे स्प्रे करते हैं।

कमाल की बात तो यह है कि वो आंखों से पानी छोड़कर सुंदर अक्षर बनाने में माहिर हैं। हाल ही में उन्होंने गुआंगदोंग के शानशुई स्थित लोटस व‌र्ल्ड पार्क में अपनी इस अनूठी कला का प्रदर्शन किया। एंटिंग ने अपनी अश्रु ग्रंथियों से पानी बाहर निकाल कर सामने रखे लाल पेपर के बोर्ड पर 'फू रू दोंग हाय' (भाग्य समुद्र के समान विशाल है) लिखा।

चाइना न्यूज नेटवर्क में एंटिंग के हवाले से कहा गया है कि उन्हें अपनी इस अनूठी प्रतिभा का बचपन में नदी में तैरते वक्त पता चला। एंटिंग ने कहा, 'कभी-कभी तैरते वक्त मैं गलती से पानी निगल लेता था। एक बार मैंने गौर किया कि मेरी आंख से पानी की फुहार निकल रही है। मेरे दोस्त भी यह देखकर हैरान रह गए।

1990 के दशक में अपनी नौकरी छूटने के बाद एंटिंग ने अपने इस हुनर पर और ध्यान देना शुरू किया। एंटिंग का कहना है कि तीन साल के कड़े अभ्यास के बाद वह अपनी आंखों से दस फीट दूर तक पानी की बौछार कर सकते हैं।

Saturday, October 11, 2008

सांप बना चूहे का शिकार


कहावत है कि जान पर बन आती है तो चूहा भी शेर हो जाता है। ताइवान में ऐसा ही कुछ देखने को मिला। यहां सांप के भोजन के रूप में एक पिंजरे में डाले गए चूहे ने सांप का ही शिकार कर डाला।

वाकया कुछ इस तरह है। ताइवान के नेनतू कस्बे में फायर ब्रिगेड कर्मचारियों ने एक दिन करीब तीन फीट लंबा सांप पकड़ा। उन्होंने सुरक्षा के लिहाज से उसे चूहे पकड़ने वाले एक पिंजरे में रख दिया।

'एपल डेली' में इस दल के एक सदस्य के हवाले से कहा गया है हमने सांप के भोजन के लिए एक चूहे को पिंजरे में डाल दिया। लेकिन यहां तो पासा ही पलट गया चूहे ने सांप का भोजन बनने की बजाय उसका शिकार कर डाला।

एक अन्य सदस्य ने कहा, 'हमने जैसे ही चूहे को पिंजरे में डाला, वह सांप को देखकर बौखला गया। चूहे ने लगातार सांप पर हमले किए। करीब 30 मिनट तक चली लड़ाई में उसने सांप को बुरी तरह जख्मी कर दिया। सांप ने दम तोड़ दिया और चूहे को खरोंच तक नहीं आई।' इस सदस्य ने बाद में कहा, 'लगता है यह सांप एक नौसिखिया शिकारी था।'

Friday, October 10, 2008

नल से पानी की जगह निकली वाइन


शराब के शौकीन अक्सर ख्वाब देखते हैं कि काश ऐसा हो कि नल खोलते ही उनकी पसंदीदा चीज बाहर निकलने लगे। पिछले दिनों रोम के मैरिनो शहर में हकीकत में यह वाकया हुआ। लोगों के घर में लगे नल से पानी की जगह वाइन निकलने लगी।

तफ्तीश करने पर पता लगा कि स्थानीय महोत्सव के दौरान जिस पाइप लाइन के जरिए वाइन की सप्लाई होती है, गलती से वह घरों में पानी की सप्लाई से जोड़ दी गई। मैरिनो में हर साल एक उत्सव मनाया जाता है जिसमें शहर के बीचोंबीच स्थित मुख्य फव्वारे से पानी की जगह वाइन निकलती है। लोग इस समारोह का जमकर लुत्फ उठाते हैं। इस दौरान एक वाइनयार्ड से फव्वारे की पाइप लाइन को जोड़ दिया जाता है। प्लंबर्स ने गलती से फव्वारे की पाइप लाइन की जगह इसे घरों की पानी सप्लाई की लाइन से जोड़ दिया।

मैरिनो के मेयर एड्रियानो पेलोजी के मुताबिक महोत्सव के लिए जुटे लोग उस वक्त निराश हो गए जब फव्वारे से वाइन की जगह पानी निकला। तभी पास के एक घर से आवाज आई - 'गजब हो गया।' एक महिला अपने पड़ोसी को चिल्लाकर बता रही थी कि उसके यहां नल से वाइन निकल रही है।

अन्ना नाम की एक अन्य महिला ने कहा, 'जैसे ही मैंने नल खोला अजीब सी महक आई। मैंने गौर किया तो पता चला कि यह व्हाइट वाइन थी। मैंने अपने पड़ोसियों को इसके बारे में बताया। उन्होंने अपने यहां नल खोले तो उनसे भी वाइन निकल रही थी।'

Thursday, October 9, 2008

मुर्गी की कैंसर पर जीत


ईव रेडियोथिरैपी के जरिए कैंसर का इलाज कराने वाली ब्रिटेन की पहली मुर्गी बन गई है। ईव के मालिक एलेन और क्रिस डेनी ने उसके इलाज पर 1400 पौंड [करीब एक लाख 20 हजार रुपये] खर्च किए।

ईव का इलाज इग्लैंड की ससेक्स काउंटी के एनिमल हेल्थ ट्रस्ट में किया गया। पशु चिकित्सकों ने पूरी तरह स्वस्थ तीन वर्षीय मुर्गी को अब अस्पताल से छुट्टी दे दी है। ईव के बाएं पैर में कैंसर हो गया था। आपरेशन के बाद अब वह फिर से थोड़ा-बहुत उड़ सकती है और वारसेस्टर स्थित अपने घर में फुदक सकती है।

पिछले साल सितंबर में ईव के बाएं पैर में जब हल्की रेखाएं उभरीं तो शुरू में उसके मालिकों ने इसे मामूली त्वचा संक्रमण समझा गया। लेकिन, पेशे से अकाउंटेंट डेनी दंपती का दिल तब टूट गया जब डाक्टर ने उन्हें बताया कि ईव को कैंसर हो गया है। ईव की बीमारी को हल्के में लेने की भूल सुधारने के लिए डेनी दंपती ने उसका रेडियोथिरैपी से इलाज कराने का निर्णय लिया।

43 वर्षीय मिसेज डेनी कहती हैं, ईव हमारी पालतू मुर्गी है। वह अन्य पालतू जानवरों की तरह बगीचे में खेलती है। नाम पुकारने पर प्रतिक्रिया देती है। अगर हम उसका इलाज नहीं कराते तो वह मुश्किल से दो-तीन महीने ही जी पाती। उन्होंने आगे कहा, 'हमने ईव का इलाज कराने का फैसला किया। हमारी जगह कोई और होता तो शायद वह भी यही करता।'

Wednesday, October 8, 2008

60 साल बाद मिले बिछड़े भाई-बहन


आमतौर पर ऐसी घटनाएं हमलोग फिल्म में देखते हैं या किस्से-कहानियों में पढ़ते हैं लेकिन हकीकत यह है कि साठ साल पहले बिछड़े भाई-बहन हाल ही में जब फिर मिले तो उन्हें पता चला कि दोनों एक-दूसरे से महज चार मील के फासले पर रह रहे थे और मिले इतने सालों बाद।

87 वर्षीय जार्ज कलविक छह दशक पहले अपनी बहन लूसी हीनन [88] से अपनी इंजीनियरिंग फर्म की देश भ्रमण यात्रा के दौरान बिछड़ गए थे। संयोग से तीन माह पहले जार्ज अपने समुदाय की एक बैठक में शरीक हुए तो उन्हें एक रिश्तेदार से पता चला कि लूसी बर्मिघम स्थित लेगली में रह रही हैं। यह सुनकर दशकों से क्विंटन में रह रहे जार्ज हैरत में पड़ गए क्योंकि उनके घर से लेगली कुछ मिनटों की दूरी पर है।

'डेली टेलीग्राफ' में जार्ज के हवाले से कहा गया है, 'मुझे लगता था कि लूसी की मौत हो गई होगी। मैं उसे लगभग भूल चुका था।' जार्ज ने कहा, 'अब इतने सालों बाद लूसी से मिलना बेहद ही भावुक था। शुरू में तो हमारे मुंह से शब्द ही नहीं निकले।'

जार्ज ने कहा, 'मुझे इस बात का दुख है कि हमने 60 साल गंवा दिए। लेकिन अब हम एक-दूसरे के बेटे-बेटियों और नाती-पोतों से मिलकर बेहद खुश हैं।'

Tuesday, October 7, 2008

...अंग्रेजी बोलते भिखारी!


राष्ट्रीय राजधानी के कनाट प्लेस इलाके में घूमते समय आपके पास फटे चीथड़े कपड़ों में भीख मांगते हुए कुछ लोग आ सकते हैं लेकिन कमाल की बात तो यह है कि यह लोग प्रभावी तरीके से आपसे अंग्रेजी में बात करें।

अंग्रेजी बोलने वाले ये आधुनिक भिखारी आपसे धन या खाना नहीं बल्कि अपने लिए दवाएं खरीदने को कहेंगे। कुछ लोग तो पैसे देकर छुटकारा पा लेते हैं तो कुछ लोग भावनात्मक तौर पर उन पर तरस खाकर वास्तव में उन्हें दवाई दिलाने के लिए तैयार हो जाते हैं।

केमिस्ट की दुकान पर लोगों को ले जाकर वे दवाई खरीदते हैं। लेकिन दूसरों की मदद करके आत्मसंतुष्ट लोगों को यह पता ही नहीं चलता कि वह भिखारियों के झांसे में फंस चुके हैं। एक कंपनी में मार्केटिंग एक्सिक्यूटिव और इसी तरह की घटना के शिकार अजीत दुबे ने बताया कि मुझे लगता था कि कुछ गड़बड़ है। जब मैंने पड़ताल की तो पता चला कि दुकानदारों ने भिखारियों के साथ सौदा कर रखा है। भिखारी बिकी हुई दवाओं को सही सलामत वापस दुकान पर लाते हैं और कीमत का आधा हिस्सा ले जाते हैं।

दुबे ने कहा कि मैंने 270 रुपये खर्च करके एक व्यक्ति को इन्हेलर दिलाया। लेकिन बाद में पास के गार्डो ने कहा कि भिखारी अपनी दुखभरी कहानियों से विदेशियों को मूर्ख बनाते रहते हैं और कुछ लोग तो उन्हें पैसे देने के लिए एटीएम से भी पैसा निकालते हैं।

Monday, October 6, 2008

मोनालिसा की मुस्कराहट को मात देती 'प्रसाधिका'


मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान को भला कौन भुला सकता है। आइये आपको मिलवाते हैं 'इंडियन मोनालिसा' से। बीएचयू स्थित भारत कला भवन में कुषाण काल की सर्वाधिक सुंदर स्त्री की मूर्ति है जिसका नाम 'प्रसाधिका' है।

मोनालिसा की पेंटिंग की तरह ही इस प्रसाधिका की खासियत भी यह है कि चाहे जिस कोण से इसे निहारें, लगेगा वह आपको देखकर ही मुस्करा रही है। यही वजह है कि कला भवन आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक इस मूर्ति के आगे न सिर्फ ठिठक जाते हैं बल्कि देर तक अवलोकन भी करते हैं।

कलाविदें ने काफी पहले ही इस प्रसाधिका को 'इंडियन मोनालिसा' का खिताब दे दिया है। प्रख्यात कलाविद् व कला भवन के निदेशक डॉ. डीपी शर्मा स्पष्ट कहते हैं कि कुषाण काल की अब तक मिली स्ति्रयों की मूर्तियों में से प्रसाधिका की यह मूर्ति नि:संदेह सर्वाधिक सुंदर है।

दरअसल यह 'सौम्य सौंदर्य' की अद्वितीय मिसाल है। मथुरा की खोदाई में कई दशक पहले मिली इस मूर्ति को फैजाबाद (दियारा) के कौशलेंद्र साही ने कई वर्ष पहले कला भवन को दान दिया था। इस अद्भुत सुंदरता व मुस्कान वाली धरोहर की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई बार लंदन म्यूजियम व अमेरिका की प्रदर्शनी के लिए इसकी मांग की गई। बावजूद इसके सिर्फ इसको क्षति पहुंचने की आशंका में कहीं नहीं भेजा गया।

सोमवार को कला भवन का अवलोकन करने आये लंदन म्यूजियम के राबर्ट्स ब्रेसी ने कहा कि वाकई यह कुषाण काल की सर्वाधिक सुंदर स्त्री की मूर्ति है जो उस काल के सुंदरता की पराकाष्ठा की द्योतक है। कला भवन के सहायक संग्रहाध्यक्ष डॉ. आरपी सिंह का कहना है कि अक्सर ही यहां आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक प्रसाधिका को देखने के बाद इसकी अद्वितीय मुस्कारहट व भव्य सुंदरता की चर्चा करने से खुद को रोक नहीं पाते।

इस प्रसाधिका के बायें हाथ में आभूषणों से भरी टोकरी है जबकि दाहिने हाथ में पानी का पात्र है। यह इस बात का द्योतक है कि तब काफी संपन्नता थी।


Sunday, October 5, 2008

बेडरूम से बाथरूम तक गुप्त कैमरे


रियलिटी शो तक तो ठीक है लेकिन अमेरिका के एक मकान मालिक ने तो हद कर दी। वह दो दशकों तक अपनी 34 महिला किराएदारों के अपार्टमेंट में गुप्त कैमरे लगाकर उनकी वीडियो फिल्में बनाता रहा। जज फ्रांसिस लारेंस जूनियर की कोर्ट में 45 वर्षीय मकान मालिक थामस डेले पर 200 से अधिक आरोप लगाए गए हैं। मामले की सुनवाई रविवार से शुरू होगी।

मोंटगोमरी काउंटी के सहायक जिला अटार्नी रीनाल्ड ने बताया कि डेले ने यह कारनामा 19 साल शुरू किया था। उसने अपने घर के सभी सातों अपार्टमेंट्स के बेडरूम और बाथरूम में गुप्त कैमरे लगा रखे थे। यह तस्वीरें घर के बेसमेंट में स्थित रिकार्डिग स्टूडियो में भेजी जाती थी। वहां से डेले रिकार्ड टेप को इंटरनेट के माध्यम से देखता था।

डेले ने ये छोटे-छोटे कैमरे आइनों, पंखे, अलमारी और स्विच बोर्ड में छिपा रखे थे। इस बात का खुलासा तब हुआ जब अचानक एक महिला किराएदार की नजर एक कैमरे पर पड़ गई। उसने इस संबंध में पुलिस को सूचना दी। बीते 19 सितंबर को वीडियो फिल्में बनाने और निजता भंग करने के आरोप में डेले को गिरफ्तारी कर लिया गया। छानबीन में पुलिस को अपार्टमेंट में 14 वायर टेप और 14 आडियो टेप बरामद हुए।

Saturday, October 4, 2008

बेटे की तरह बनी मां-बाप का सहारा


बेटियां अब बोझ नहीं रही बल्कि बदलते वक्त ने उन्हें पुरुषों के बराबर ला खड़ा किया है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है गुरदासपुर के गांव वाहला की लड़की बलवीर कौर ने।

सुबह चार बजे ही पशुओं को दोह कर, पशुओं को चारा डालने से लेकर झाडू़ पोचा तक का सारा काम करने के बाद दिन भर खेतीबाड़ी का सारा काम खुद संभालती है। लड़की होने के बावजूद ट्रैक्टर चलाने में अच्छे-अच्छों को मात दे देती है। ट्रैक्टर से खुद खेत जोतना, खेत में बाट बटाना, नालियां बनाना, खेतों को पानी लगाना और खाद छिड़कना आदि उसके लिए घरेलू काम जैसा है।

बलबीर कौर की जिंदगी उन लोगों की सोच पर गहरा कुठाराघात है जो सोचते हैं कि केवल लड़के ही माता-पिता का सहारा बनते हैं। एक बेटे की तरह बलबीर अपने माता-पिता का सहारा बनी हुई है। बेटे की तरफ खेतीबाड़ी कर घर परिवार संभाल उसने सिद्ध कर दिया है कि लड़कियों, लड़कों से किसी भी सूरत में कम नहीं है। खेतीबाड़ी करने के साथ-साथ वह पशु पालन विभाग से सिखलाई भी प्राप्त कर रही है। बेटे का फर्ज निभा रही बलबीर को गांव की बेटी का दर्जा भी मिला है।

जब गांव वाहला जाया गया तो बलबीर कौर अपने खेतों में ट्रैक्टर से खेत जोत रही थी। बलबीर कौर ने बताया कि वह दसवीं कक्षा पास है। उसने बताया कि उसकी बड़ी बहन के अलावा एक बड़ा भाई है और वह घर में सबसे छोटी है। उसकी बड़ी बहन का विवाह हो चुका है। जबकि उसका भाई अपने परिवार के साथ अलग रह रहा है।

बलबीर कौर ने बताया कि घर की वित्तीय हालत ठीक न होने के कारण और भाई की तरफ से काम में सहयोग न देने के कारण बुजुर्ग पिता को खेतों में कठिन मेहनत करती देखती थी तो दिल भर आता था। जब वह पांचवीं कक्षा में पढ़ती थी तब अपने पिता के खेतीबाड़ी के कार्यो में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। उसका पिता घर की आर्थिक हालत को सुधारने के लिए शहर में अकसर दूध देने जाया करता था। ऐसे में खेती का काम देखने के लिए कोई नहीं होता था। जिस कारण वह धीरे-धीरे खेती कार्यो में उसकी रुचि बढ़ती गई। दसवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने पक्के तौर पर खेतीबाड़ी के धंधे को अपना लिया।

उसने बताया कि दूसरी लड़कियों को देखते कभी भी उसके मन में हार शिंगार करने का ख्याल नहीं आया है। उसने बताया कि कृषि से संबंधित हर छोटे से छोटे काम करने में उसको कोई परेशानी नहीं आती है। उसने बताया कि धान की खेती में बढ़ोतरी करने के लिए उसने आत्मा के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर डाक्टर अमरीक सिंह से धान की नई तकनीक एसआरआई की तकनीक की जानकारी हासिल कर रही है। उसके अतिरिक्त सहायक धंधे के तौर पर डेयरी फार्मिग का धंधा शुरू करने के लिए डेयरी फार्मिग की सिखलाई लेनी शुरू की है।

उसके पिता अजीत सिंह ने बताया कि बलबीर कौर ने खेती का काम इस तरह अच्छे तरीके से संभाला हुआ है कि कभी पुत्र के अलग रहने की कमी महसूस नहीं हुई। उसने कहा कि यदि वह कहीं बाहर जाता है तो उसे उसके बाद किसी काम की फिक्र नहीं होती। उसने बड़े गर्व से कहा कि बलबीर कौर जैसी लड़कियां हो तो बेटों से क्या लेना। लोग तो ऐसे ही बेटों की इच्छा में पागल हुए फिरते है।

बलवीर कौर की मां भजन कौर ने बताया कि उसी बेटी ने कभी भी आम लड़कियों की तरह अच्छे कपड़े, गहने या कोई और वस्तु की मांग नहीं की। घर में जो भी रुखा-सूखा बना होता है चुपचाप खा लेती है। बेटी को कठिन मेहनत करते देख उसका दिल रो पड़ता है। परमात्मा से एक ही अरदास करती है कि उसको आगे अच्छा ससुराल परिवार मिले। उनकी आस है कि कोई सरकारी नौकरी पेशे वाला लड़का मिल जाए ताकि आगे जाकर खेतीबाड़ी के धंधे से राहत मिल सके।

इस मौके पर सरपंच सुरजीत कौर के बडे़ लड़के तरसेम सिंह ने बताया कि शुरू-शुरू में गांव के लोगों की तरफ से उनको बलबीर कौर को खेतीबाड़ी के धंधे से हटाने के लिए दबाव डाला जाता रहा है परंतु आज पूरे गांव वाले बलबीर कौर पर मान महसूस करते हुए गांव की बेटी का दर्जा देते हैं।

Friday, October 3, 2008

शर्त में हारी जिंदगी


शोहरत और दुस्साहसी बनने के चक्कर में लोग कई बार ऐसी शर्त लगा बैठते हैं जिसमें जान तक चली जाती है। लंदन के 33 वर्षीय शेफ एंड्रयू ली के साथ कुछ ऐसा ही हुआ।

ली और उसकी प्रेमिका सामंथा बेली के भाई के बीच सुपर हाट चिली सास खाने की शर्त लगी। लेकिन सास खाते ही ली को बेचैनी और खुजली की शिकायत शुरू हो गई। हालत बिगड़ने पर उसे डाक्टर के पास ले जाया गया। लेकिन सुबह तक ली की मौत हो गई। फूड रिएक्शन की जांच करने के लिए सास का टेस्ट कराया जाएगा।

ली की बहन क्लेयर चैडबोर्न ने कहा कि किसने सोचा था कि सास खाने से ली की जान चली जाएगी? खुद ली बेली के घर से हाट सास लेकर आया था। माइकल को चुनौती भी उसी ने दी थी।

Thursday, October 2, 2008

जीवन साथी को गले लगाकर जिंदगी को खुशहाल बनाए


किसी ने खूब कहा है कि प्यार का कोई मोल नहीं होता। महंगे तोहफे देने या शाम को किसी आलीशान होटल में डिनर करने से ही शादीशुदा जिंदगी खुशहाल नहीं होती। शोधकर्ताओं ने खुशहाल शादीशुदा जिंदगी का गैरखर्चीला राज ढूंढ निकाला है। इसके मुताबिक दिन में चार बार अपने साथी को गले लगाकर शादीशुदा जिंदगी को खुशहाल बनाए रखा जा सकता है।

अध्ययन के मुताबिक हर महीने अपने साथी के साथ कम से कम 22 बार पर्याप्त समय बिताकर आप अपने रिश्ते मधुर बनाए रख सकते हैं। इसमें साथ टहलना या रोमांटिक डिनर करना जैसी बातें भी शामिल हैं। 'द डेली टेलीग्राफ' में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि इसके लिए चार हजार जोड़ों पर एक अध्ययन किया गया।

अध्ययन के नतीजों से खुलासा हुआ कि अपनी शादीशुदा जिंदगी में खुशी तलाश रहे लोगों को महीने में कम से कम सात शाम एक-दूसरे के नाम करनी चाहिए। महीने में दो बार अपने साथी के साथ लांग ड्राइव पर जाने या या फिल्म देखने से भी बात बन सकती है। शोध में पतियों को महीने में एक बार अपनी पत्नी को उपहार देने की भी बात कही गई है। यही नहीं, इसमें महीने में एक शाम अपने साथी से अलग बिताने की भी सलाह दी गई है।

मनोचिकित्सक लुडविग लोवेनस्टीन कहते हैं कि दांपत्य जीवन में प्यार भरे शब्द और हाव-भाव काफी मायने रखते हैं। कामकाज और परिवार पालने के चक्कर में लोग अक्सर अपने साथी को नजरअंदाज करते हैं। यहां तक कि लोग गले लगना सरीखी छोटी-छोटी बातों की अहमियत भी भूल जाते हैं।