Sunday, February 15, 2009

बोझिल होती शादीशुदा जिंदगी में कारगर सेकेंड हनीमून


'उस दौर से शुरू करें फिर-ए-जिंदगी, हर शह जहां हसीन थी हम तुम थे अजनबी...' कुछ इसी तरह 'सेकेंड हनीमून डे' जैसे अवसर बोझिल होती शादीशुदा जिंदगी में रवानगी डालने के लिए कारगर हो सकता है। पश्चिम में 'सेकेंड हनीमून' मनाने का प्रचलन है। इसी आधार पर इसका प्रचलन कब से शुरू हुआ, इस बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता।

हालांकि इस तरह के छोटे-मोटे अवसर रिश्तों को न केवल तरोताजा कर देते हैं बल्कि उनमें नई ऊर्जा का संचार भी करने में सक्षम होते हैं। वरिष्ठ मनोचिकित्सक एस। सुदर्शन के अनुसार बीते कुछ समय में तेज रफ्तार जिंदगी के साथ ही खास कर नवविवाहित महिलाओं के मनोरोग की चपेट में आने की प्रवृत्ति काफी बढ़ी है। इसके पीछे वह तर्क देते हैं कि भाग-दौड़ भरी शहरी जिंदगी में नवविवाहित जोड़ों के पास एक-दूसरे के लिए काफी कम समय रहता है और अकसर दोनों के कामकाजी होने के कारण दोनों काफी कम वक्त साथ गुजारते हैं।

उन्होंने कहा कि वैवाहिक जिंदगी को लेकर लड़की कुछ सपने संजोए रहती है और जब उसकी ख्वाहिशें पूरी नहीं हो पाती हैं तो वह डिप्रेशन का शिकार हो जाती है। इससे बचने के बारे में मनौवैज्ञानिकों का मानना है कि शहरी जिंदगी के बीच पति-पत्नी दोनों को एक दूसरे के लिए फिक्रमंद रहना चाहिए और समय निकालना चाहिए। इससे आपसी प्रेम बढ़ेगा और शादीशुदा जिंदगी की समस्याएं दूर होंगी।डा. सुदर्शन के मुताबिक सेकेंड हनीमून जैसी सोच बेहतर होती है, क्योंकि पहले हनीमून के वक्त युगल एक दूसरे की अपेक्षाओं से अनजान रहते हैं, जबकि दूसरे हनीमून के समय एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझ चुके होते हैं ।

डाट काम के मैरिज गाइड शैरी स्ट्रीट्फ का कहना है कि हमने छह दफा हनीमून मनाया। हम जहां गए वहां की यादें हमारे लिए पहली दफा से अधिक महत्वपूर्ण रही। हकीकत यह है कि जब भी हम एक दूसरे के लिए वक्त निकालते हैं,वह अहम होता है।

पहले हनीमून के बजाय दूसरा हनीमून ज्यादा अहम होता है क्योंकि पहले हनीमून के वक्त अमूमन दोनों एक दूसरे से अंजान होते हैं और एक दूसरे की सोच को लेकर जेहन में तस्वीर साफ नहीं होती है। लेकिन दूसरे हनीमून के मौके पर दोनों न केवल एक दूसरे को समझ लेते हैं बल्कि दोनों का प्रेम एक नया आयाम ले चुका होता है।

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि हर दिन व्यक्ति अपना और अपने परिवार का कई तरीकों से ख्याल रखता है। लेकिन क्या वह अपनी जिंदगी के सबसे महत्वपूर्ण रिश्ते का ध्यान रख पाता है। उनका मानना है कि व्यक्ति चाहे पति हो या पत्नी व्यस्त जिंदगी और जिम्मेदारियों के कारण एक दूसरे की भावनाओं का दमन करता रहता है। रोज-ब-रोज की जिंदगी की जिम्मेदारियों से दूर सेकेंड हनीमून दोनों का एक साथ गुजारा गया यादगार वक्त साबित हो सकता है।

Sunday, January 18, 2009

लड़की ने रचाई मेंढक से शादी


दुनियां में कैसी-कैसी घटनाएं होती रहती है और लोग कैसे अंधविश्वासी होते हैं इसका ताजा उदाहरण हमें देखने को मिल रहा है, तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले में पुडुचेरी सीमा पर स्थित पल्लुपुथूपट्टु गांव में एक आठ वर्षीय लड़की ने मेंढक से शादी रचा ली है। सुनने में यह घटना भले ही अजीब लगती हो। लेकिन सच है। यहां हर साल पूरे रीति-रिवाज के साथ इस तरह की शादी का आयोजन होता है।

मान्यता है कि इससे गांव वाले बीमारियों से मुक्त हो जाते हैं और साल भर बुरी शक्तियों के प्रभाव से बचे रहते हैं। इस साल आर विज्ञानेश्वरी नाम की लड़की से मेंढक की शादी हुई है। परंपरा के अनुसार तमिल महीने के पहले दिन विवाह का मुहूर्त निकलता है। बीते शुक्रवार को भी ऐसा ही मुहूर्त था।

इस दिन गांव के मुथुमेरियम्मन मंदिर के तालाब से मेंढक निकाला गया और विज्ञानेश्वरी से उसकी शादी कर दी गई।मंदिर के पश्चिम क्षेत्र में रहने वाले लोग मेंढक की तरफ से विज्ञानेश्वरी के घर गए और उसकी शादी के लिए उसके माता-पिता से अनुमति ली। इसके बाद भजन और ढोल नगाड़ों के शोर के बीच मंदिर के पुजारी ने लड़की और मेंढक की शादी करा दी।

Monday, January 5, 2009

सच्चा प्यार हमेंशा के लिए


यूं तो सच्चा प्यार होना ही मुश्किल है। लेकिन यदि एक बार हो जाए तो यह वर्षो तक खुशी और ऊर्जा प्रदान करता है। कवियों और साहित्यकारों के इन दावों की पुष्टि अब वैज्ञानिकों ने भी कर दी है।

ब्रिटेन में हाल में हुए शोध में दावा किया गया है कि सच्चा प्यार हमेशा के लिए होता है। इस संबंध में अभी तक हुए अध्ययन में कहा गया था कि प्यार का भूत 15 महीनों के भीतर उतर जाता है। जैसे-जैसे समय गुजरता जाता है प्यार की तीव्रता भी घटती जाती है।स्टोनी ब्रूक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि सच्चे प्रेम में डूबे लोग ताउम्र प्यार को लेकर उतना ही उत्साहित रहते हैं जितना शुरू में थे। शीर्ष वैज्ञानिक अर्थर अरन ने बताया कि उनकी खोज रोमांस की उस पारंपरिक धारणा के विरुद्ध जिसमें दावा किया गया है कि एक दशक बीतते-बीतते प्यार फीका पड़ जाता है।

सच्चे प्यार में डूबे लोगों के साथ ऐसा नहीं होता।अध्ययन के दौरान 20 साल पुराने प्रेमियों और हाल ही में प्रेम में पड़े जोड़ों को शामिल किया गया। उन्हें उनके प्रेमी की फोटो दिखाई गई और उनके दिमाग की स्कैनिंग की गई। तुलनात्मक अध्ययन से पता चला कि हर दस में एक पुराने जोड़े के दिमाग में वहीं रसायनिक प्रतिक्रिया हो रही थी जो हाल ही में प्यार में पड़े लोगों में होती है।