Thursday, October 21, 2010
अयोध्या में सालभर होती है रामलीला
रामजन्म, सीताहरण, रावणवध और भरत मिलाप जैसे रामलीला के विभिन्न प्रसंगों का मंचन देखने के लिए आपको हर साल नवरात्रि का इंतजार करना पड़ता है, लेकिन अयोध्या में पूरे साल चलने वाली अनवरत रामलीला में प्रतिदिन राम की लीलाओं को देखा जा सकता है।
अयोध्या के तुलसी स्मारक भवन में पिछले छह साल से अनवरत रामलीला का मंचन हो रहा है। अनवरत रामलीला के नियमित दर्शकों में से एक 65 वर्षीय स्थानीय गोकरन प्रसाद वाजपेयी ने कहा कि पिछले छह साल में शायद ही कोई ऐसा दिन रहा हो, जब मैंने अनवरत रामलीला नहीं देखी हो। यहां नित्य रामलीला देखना अब मेरे जीवन की एक महत्वपूर्ण दिनचर्या में शामिल हो गया है।
वह कहते हैं कि रामलीला में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन के विभिन्न पहलुओं को देखकर हम नित्य कुछ न कुछ सीखते हैं।
यह अनवरत रामलीला अयोध्या शोध संस्थान के द्वारा कराई जाती है जो उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के अधीन है। संस्थान के निदेशक वी पी सिंह कहते हैं कि 14 मई 2004 को इस रामलीला की शुरुआत की गई। उसके बाद से कोई ऐसा दिन नहीं बीता जिस दिन दर्शकों ने रामलीला न देखी हो।
अनवरत रामलीला के शुरू होने से अब तक यहां पर देशभर के विभिन्न राज्यों से करीब 150 मंडलियां द्वारा 40 विभिन्न शैलियों में रामलीलाओं का मंचन किया जा चुका है।
सिंह कहते हैं कि यहां प्रदेश की वाराणसी, बरेली, मथुरा, बुंदेलखंड, वृंदावन और इलाहाबाद की मंडलियों के अलावा उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, झारखंड और कर्नाटक से मंडलियां रामलीला करने आती हैं।
एक मंडली को 15 दिन तक रामलीला करनी होता है। महीने में दो मंडली और साल में 24 मंडलियों द्वारा अनवरत रामलीला मंचित की जाती है। मंडलियों का चयन अयोध्या शोध संस्थान द्वारा किया जाता है।
सिंह कहते हैं कि हर साल नवंबर में हम लोग अनवरत रामलीला के लिए विज्ञापन देते हैं। दिसंबर तक आवेदन मांगे जाते हैं और जनवरी में अनवरत रामलीला में शामिल होने वाली मंडलियों के नाम फाइनल किए जाते हैं।
यहां आने वाली रामलीला मंडलियों को 75 हजार रुपये से एक लाख रुपये तक का भुगतान किया जाता है। इस समय मध्य प्रदेश के सतना की शारदा मंडली द्वारा रामलीला का मंचन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि 500 सीटों वाले तुलसी स्मारक भवन के थियेटर में हर रोज सैकड़ों लोग शाम 6 बजे से रात बजे तक रामलीला का आनंद लेते हैं। अनवरत रामलीला देखने के लिए लोगों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
प्रतिदिन रामलीला देखने आने वाले महंत नृत्य गोपाल दास ने संस्थान के इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि अनवरत रामलीला केवल स्थानीय ही नहीं, देश-विदेश के लोग साल में किसी भी समय यहां आकर राम की लीलाएं देख और सुन सकते हैं।
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