Sunday, January 31, 2010

नन्हें फरिश्ते को देर से बुलाते हैं कामकाजी दंपति


'डबल इनकम नो किड्स' की श्रेणी में आने वाले महानगरों के कामकाजी दंपति अब ज्यादा उम्र में बच्चों को जन्म देने का विकल्प चुन रहे हैं।
'डबल इनकम नो किड्स' यानी 'डिंक' बने रहने के पीछे सबसे बड़ा कारण करियर विकसित करना है। इसके अलावा एक तरह का रुझान, आर्थिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत आजादी भी परिवार बढ़ाने में देरी होने का एक कारण है। 'इंडियन इंस्टीट्यूट आफ काउंसलिंग' के अध्यक्ष डॉ. वसंत आर पत्री ने बताया कि शुरुआत में ये दंपति बच्चों के महत्व को नहीं पहचानते, लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरता जाता है, उनमें अकेलेपन की भावना बढ़ती जाती है। इस तन्हाई को दूर करने के लिए फिर वे बच्चे को जन्म देने का फैसला करते हैं।
शहर के अपोलो अस्पताल स्थित भू्रण चिकित्सा विभाग की प्रमुख डॉ. अनिता कौल ने बताया कि मैं हर दिन जिन अभिभावकों का परीक्षण करती हूं, उनमें करीब 50 फीसदी 35 वर्ष से अधिक की उम्र के होते हैं। कभी-कभी 40 वर्ष की होने जा रही महिलाएं भी पहले बच्चे को जन्म देने वाली होती हैं।
डॉ. अनिता के मुताबिक, ऐसी लगभग सभी महिलाएं कामकाजी होती हैं। ऐसे अधिकतर दंपति शुरुआत में बच्चे को जन्म नहीं देने की योजना बनाते हैं, लेकिन जब वे अपने संबंधित पेशे में सफलता पा लेते हैं तो फिर वे परिवार बढ़ाने का फैसला करते हैं।
समान तरह के विचार जाहिर करते हुए दिल्ली स्त्री रोग विशेषज्ञ और एंडोस्कोपी विशेषज्ञ सोसायटी की सदस्य डॉ. वीथिका भट्टाचार्य ने बताया कि ज्यादा उम्र में गर्भावस्था के जितने मामले मैं देखती हूं, वे अधिकतर कामकाजी दंपतियों से जुड़े होते हैं जो अपने करियर के लिए देर से बच्चे को जन्म देने का फैसला करते हैं। उन्होंने कहा कि कभी-कभी 30 से 40 वर्ष के बीच की उम्र की महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान गंभीर जटिलताएं पैदा हो जाती हैं।
डॉ. अनिता ने कहा कि बढ़ी हुई उम्र में गर्भावस्था के कारण होने वाली समस्याओं का बच्चे पर भी असर पड़ सकता है। ऐसे मामलों में बच्चा डाउन सिंड्रोम या गुणसूत्र संबंधी विकारों से पीडि़त हो सकता है। मां में भी मधुमेह या हाइपर टेंशन की समस्या विकसित होने का खतरा होता है।
समाजशास्त्री शालिनी ग्रोवर ने बताया कि महानगरों में रहने वाले कामकाजी दंपति अन्य शहरों से ताल्लुक रखते हैं। लिहाजा, उनके पास नौकरी पर जाने के दौरान बच्चों की देखभाल करने के लिए परिवार नहीं होता। ऐसे दंपति उन नौकरों के भरोसे अपने बच्चों को नहीं छोड़ना चाहते जो शिशुओं की देखभाल करने की दक्षता नहीं रखते।
'फैमिली काउंसलर' निशा खन्ना ने कहा कि करियर विकसित करने की सोच रखने वाले दंपतियों में 'अच्छा' अभिभावक बनने की चाह बढ़ती जा रही है। कई मामलों में खासकर महिलाएं विवाह के कुछ साल बाद बच्चे को जन्म देने के बारे में सोचने लग जाती हैं, जबकि अन्य मामलों में दंपति परिवार को नहीं बढ़ाने के अपने निर्णय पर टिके रहते हैं।

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