Sunday, January 24, 2010

लिव-इन-रिलेशनशिप ज्यादा दिनों तक कायम नहीं


महानगरों में आजकल काफी रफ्तार पकड़ चुकी लिव-इन-रिलेशनशिप के बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि ये रिश्ते ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रहते। गौरतलब है कि चंद दशक पहले तक समाज में अमान्य लिव-इन-रिलेशनशिप आज की एक सचाई और फैशन बन चुकी है। बहरहाल, विशेषज्ञ मानते हैं कि कम ही सही, लेकिन समाज ने आज जिंदगी जीने के पश्चिमी तरीकों को अपनी रजामंदी दी है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी शादी की तरह ही लिव-इन-रिलेशनशिप को भी मान्यता दी है बशर्ते रिश्ते में शामिल जोड़ी लंबे समय से साथ रह रही हो। हालांकि विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि ये सिर्फ अस्थाई इंतजामात हैं। लिव-इन-रिलेशनशिप के बाबत विशेषज्ञ परामर्शदाता डॉ. गीतांजलि शर्मा कहती हैं कि पारिवारिक जिंदगी के मामले में भारत पश्चिमी देशों के तौर-तरीकों का अनुसरण कर रहा है और कुछ ही पीढि़यों पहले भारतीय विवाह प्रणाली और पश्चिमी दुनिया के बीच का बड़ा फर्क धीरे-धीरे मिटता जा रहा है। शर्मा कहती हैं कि घर से दूर रहने वाले ज्यादातर जोड़े महज आकर्षण की वजह से बड़े शहरों में एक साथ रहने का विकल्प चुनते हैं। प्यार और समर्थन की तलाश में वे सांस्कृतिक फर्क, पारिवारिक पृष्ठभूमि और वित्तीय अवरोध जैसी चीजों की अनदेखी करते हैं। वह कहती हैं कि शुरूआत में ये जोड़े जिन चीजों की अनदेखी करते हैं वे बाद में बार-बार उभर कर आते हैं जिससे उनके रिश्ते में दरार पड़ जाती हैं। सिर्फ यही नहीं, एक बार प्यार का सुरूर खत्म होने पर दोनों के रिश्ते में प्रतिबद्धता और आदर की कमी हो जाती है जिससे रिश्ते का मजा किरकिरा हो जाता है। लिव-इन-रिलेशनशिप में रह चुकीं सरकारी कर्मचारी नीलिमा कहती हैं कि समीर के साथ मैं पिछले पांच साल से रह रही थी और शादी की योजना बना रही थी, लेकिन एक दिन जब मैं काम से कुछ जल्दी ही घर वापस लौटी तो मैंने देखा कि समीर मकान मालिक की बेटी के साथ हमबिस्तर था और वह आखिरी दिन था जब मैंने उसे देखा। परामर्शदाता और मशहूर मनोवैज्ञानिक डॉ. धर्मेन्द्र कुमार का कहना है कि आम तौर पर लिव-इन में रह रहे जोडे़ में एक-दूसरे के प्रति कोई नैतिक जवाबदेही नहीं होती। इसके अलावा माता-पिता की ओर से भी किसी दबाव के अभाव में इनमें से ज्यादातर मामले परिवार से छुपे हुए होते हैं और इनका अंजाम ब्रेक-अप के तौर पर सामने आता है। वह कहते हैं कि शादीशुदा जोड़े की तरह लिव-इन में रह रहे जोड़े अपने साथी के प्रति प्रतिबद्ध और जिम्मेदार नहीं होते। वे खुद को इन सब चीजों से मुक्त रखकर किसी और की तलाश में भी रहते हैं। बहरहाल, विशेषज्ञों का कहना है कि ये रिश्ते आमतौर पर पुरुषों की वजह से नाकाम होते हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि उनकी माशूका या बीवी को उनका आदेश मानना चाहिए।

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