Tuesday, July 6, 2010

रिश्तों में गर्माहट लाती है एक साथ सैर


दो पीढि़यों के बीच संवादहीनता या कंयुनिकेशन गैप हमेशा से परिवारों के लिए एक समस्या बनता आया है। इस समस्या को कुछ छोटे-छोटे उपाय करके सुलझाया जा सकता है, जिनमें से एक उपाय है, साथ में सैर करना। समाज से जुड़े कई अध्ययन बताते हैं कि परिवार के सदस्यों के बीच सार्थक बातचीत जीवन में सफलता लाने में अहम भूमिका निभाती है।
पिता और पुत्री के रिश्तों में और गर्माहट लाने के लिए ब्रिटेन में मनाया जाने वाला यह दिवस अब परिवार के सभी सदस्यों के बीच का संवाद कायम करने का प्रतीक बनता जा रहा है। परिवार के सदस्य इस दिन साथ में सैर पर जाते हैं।
फिल्म अभिनेत्री और निर्देशिका पूजा भट्ट कई साक्षात्कारों में इस बात को स्वीकार करती हैं कि उन्हें न केवल कहीं जाने के लिए, बल्कि सैर के लिए भी अपने पिता महेश भट्ट का साथ चाहिए।
समाज शास्त्री अलका आर्य बताती हैं कि परिवार के सदस्यों का साथ में घूमना या सैर पर जाना उनके बीच संवादहीनता जैसी समस्याओं को खत्म करने में मददगार साबित हो सकता है।
अलका कहती हैं कि कहीं भी सैर पर जाना हो, तो कोशिश यही की जानी चाहिए कि पूरा परिवार ही एक साथ जाए, लेकिन आजकल की व्यस्त दिनचर्या में ऐसा नहीं हो पाता। यही कारण है कि रिश्तों में दूरियां और संवादहीनता जैसी समस्याओं ने समाज में पैठ बना ली है। रिश्तों की इन गांठों को खोलने के लिए साथ में सैर करना अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
वहीं मनोवैज्ञानिक इसके पीछे एक मनोविज्ञान के काम करने का तर्क देते हैं। मनोवैज्ञानिक डॉ. अरूण रसगांवकर का मानना है कि सैर के दौरान दिमाग में किसी तरह का तनाव नहीं होता और इसलिए यह समय आपस में बातचीत कर रिश्तों की गुत्थियां सुलझाने और शिकवे-शिकायत दूर करने के लिए उपयुक्त होता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ ओकलाहोमा ने भी अपने एक शोध में इस बात को प्रमाणित किया है कि वे बच्चे अपने माता-पिता के ज्यादा करीबी होते हैं, जो उनके साथ सप्ताह में कम से कम एक बार लांग वॉक पर जाते हैं।
मुख्य शोधकर्ता डॉ. यांग क्सी झू ने अपने शोध में कहा था कि लगभग 739 युवाओं पर किए शोध से पता चलता है कि ऐसे बच्चे जो अपने अभिभावकों के साथ सैर पर जाते हैं, उनके ज्यादा करीबी होते हैं। ऐसे बच्चों में अपने माता-पिता से बातें शेयर करने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है।

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