Wednesday, August 11, 2010

जूते पॉलिश कर भाई के इलाज के पैसे जुटा रही हैं बहनें


गंभीर बीमारी से पीडि़त अपने भाई के इलाज के लिए उत्तर प्रदेश के कानपुर की दो बहनें जो कर रही हैं, वह दुनिया की हर बहन के लिए एक नजीर है।
सृष्टि [15] और मुस्कान [9] नाम की दो बहनें अविकासी रक्ताल्पता [अप्लास्टिक एनीमिया] से पीडि़त अपने भाई अनज [14] के इलाज का पैसा जुटाने के लिए पिछले कुछ समय से शहर के विभिन्न इलाकों में लोगों के जूतों में पॉलिश करने का काम कर रही हैं।
कानपुर शहर के खलासी लाइन इलाके में रहने वाली इन बहनों के पिता पेशे से एक स्कूटर मैकनिक हैं, जो बेटे के इलाज के लिए अपना सब कुछ गिरवी रख चुके हैं।
पिता मनीष बहल [43] ने कहा कि 'चिकित्सकों का कहना है कि मेरे बेटे का अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण [बोन मैरो ट्रांसप्लांट] करना पड़ेगा, जिसमें करीब 20 लाख रुपये का खर्च आएगा। मेरी बेटियों को यह बात पता है कि उनके पिता अकेले इलाज के लिए इतने सारे पैसे नहीं जुटा सकते हैं। इसलिए वे कठिन मेहनत से पैसे इकट्ठा करके अपने पिता का सहारा देने की कोशिश कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि वैसे तो मुझे पता है कि मेरी बेटियां जूते पॉलिश करके कभी भी 20 लाख रुपये नहीं जुटा सकती हैं, लेकिन उनका जज्बा और कठिन परिश्रम मुझमें सकारात्मक सोच का संचार करता हैं। मुझे ऐसी बेटियों का पिता होने पर गर्व महसूस होता है।
अविकासी रक्ताल्पता एक असाध्य रक्त विकार होता है, जिसमें अस्थि मज्जा पर्याप्त नई रक्त कणिकाओं का निर्माण नहीं कर पाता है। यह रक्त विकार, गंभीर होने पर जानलेवा हो जाता है।
दोनों बहनें हाथ में 'मेरे भाई को बचाओ' लिखी तख्ती लेकर शहर के अलग-अलग मुहल्लों, बाजारों, बस स्टेशन और रेलवे स्टेशन जैसे भीड़-भाड़ वाले जगहों पर जाकर लोगों से जूते-चप्पल पॉलिश कराने का अनुरोध करती हैं।
कक्षा पांच में पढ़ने वाली मासूम मुस्कान कहती हैं कि मैं अपने भाई को जल्द से जल्द घर ले जाना चाहती हूं। भाई के इलाज के पैसे जुटाने के लिए मै कठिन परिश्रम करूंगी। मेहनत से इकट्ठा किये पैसे हम चिकित्सकों के देंगे जो हमारे भाई का इलाज करेंगे।
हर दिन सृष्टि और मुस्कान स्कूल से वापस लौटने के बाद अपने काम पर निकल पड़ती हैं।
बहल के मुताबिक दोनों बेटियों ने उन्हें बताया कि कई लोग उनके गले में तख्ती देखकर उनके भाई के बारे में पूछते हैं। हमारे परिवार के हालात सुनकर कुछ लोग 50 से 100 रुपये की मदद कर देते हैं।
उन्होंने कहा कि हम मददगार लोगों की भावनाओं का दिल से सम्मान करते हैं। वैसे ये बड़ा सत्य है कि हमें अनुज को बचाने के लिए एक बड़ी धनराशि की जरूरत है।
फिलहाल कानपुर के आर एल रोहतगी अस्पताल में अनुज का उपचार चल रहा है, जहां उसकी हालत बिगड़ने के बाद भर्ती कराया गया था।
बहल कहते हैं कि असल में जन्म के दो महीने बाद ही अनुज अविकासी रक्ताल्पता से ग्रसित हो गया था। किसी तरह पूर्वजों द्वारा छोड़ा गया कीमती सामान और गहने गिरवी रखकर मैं उसका उपचार करवा रहा हूं।
उन्होंने कहा कि अपने बेटे के उपचार के लिए मैंने उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बाहर के कई चिकित्सकों से परामर्श किया। बाद में मुंबई के एक चिकित्सक की देखरेख में अनुज की हालत बेहतर होने लगी। चिकित्सक ने कहा कि अनुज का हर छह माह में रक्त आधान [ब्लड ट्रांसफ्यूजन] करवाना पड़ेगा। साथ ही उसे कुछ दवाइयों की भी आवश्यकता होगी।
उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे 1998 के बाद अनुज के सामान्य जीवन जीना शुरू कर दिया, लेकिन जुलाई 2009 में एक बार फिर उसकी हालत बिगड़ गई।
अपने बेटे के उपचार पर करीब 15 लाख रुपये खर्च कर चुके बहल को चिकित्सकों ने बताया कि अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण से ही उनके बेटे की जान बच सकती है।
फिलहाल अनुज का इलाज कर रहे आर एल रोहतगी अस्पताल के चिकित्सक ए के पांडे ने कहा कि मैंने अनुज की जांच रिपोर्ट का अध्ययन किया है। उसे अतिविशिष्ट चिकित्सीय सुविधाओं वाले अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता है, जहां पर उसका अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण हो सके।

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