Tuesday, May 25, 2010
हृदयाघात व कैंसर का खतरा घटाती हैं चेरियां
चटख लाल रंग की खट्टी-मीठी रस भरी चेरी देख कर भला किसके मुंह में पानी नहीं आएगा। प्रकृति की देन यह खूबसूरत नन्हीं चेरी सूरत के साथ-साथ सीरत भी रखती हैं। इन्हें खाने से हृदयाघात और कैंसर होने का खतरा 25 फीसदी कम हो जाता है।
प्राकृतिक चिकित्सक के सी गर्ग ने बताया कि चेरी में मेलाटोनिन नामक तत्व पाया जाता है जो हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के लिए महत्वपूर्ण होता है। चेरी में एन्थोसाइनिन नामक लाल पिगमेंट पाया जाता है। यह एन्टीआक्सीडेंट की तरह काम करता है। विटामिन सी और एन्थोसाइनिन से हमारे शरीर में पाया जाने वाला कैलोजन मजबूत होता है।
डा गर्ग ने बताया कि चेरियां हृदयघात और कैंसर का खतरा 50 फीसदी कम कर देती हैं। यह अर्थराइटिस, गठिया और सिरदर्द के उपचार में भी सहायक है और दर्द कम कर देती हैं। इसके अलावा जी मिचलाने और उल्टी की शिकायत इन नन्हें फलों से दूर हो जाती है। ब्रांकाइटिस, अस्थमा और हैजे के इलाज में भी चेरियां उपयोगी हैं।
ताजी चेरियां खाने का मजा ही कुछ और है। चेरी वाला कस्टर्ड या चेरी से सजी आइसक्रीम अथवा केक को कभी ध्यान से देखा है आपने। ऐसा लगता है मानों चेरियों से सज कप ये इठलाने लगते हैं।
आहार विशेषज्ञ शीला सहरावत ने बताया कि चेरी विटामिन सी और विटामिन के का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इनमें थायमीन, राइबोफ्लैविन, विटामिन बी6 और पैंटोथेनिक अम्ल भी भरपूर पाया जाता है। इसमें नायसिन, फोलेट और विटामिन ए की संक्षिप्त मात्रा पाई जाती है।
सहरावत ने बताया कि पोटेशियम और मैगनीज जैसे खनिजों से भरपूर चेरी में कॉपर, आयरन, कैल्शियम और फास्फोरस भी संक्षिप्त मात्रा में पाए जाते हैं।
बेहद नन्हीं सी एक गुठली अपने अंदर समेटने वाली इस चेरी की खूबियों के चलते ही हर साल 26 मई को चेरी डेजर्ट डे मनाया जाता है। कुल 100 ग्राम चेरी में कैलोरी की मात्रा 63 होती है। रेशे की स्रोत चेरी में मुख्यत: पानी और कार्बोहाइड्रेट होता है और इसमें संतृप्त वसा [सैचुरेटेड फैट], कोलेस्ट्रॉल और सोडियम की मात्रा कम होती है।
चेरी से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य भी हैं। इंग्लैंड में बहुतायत में पाई जाने वाली चेरी अचानक वहां से नदारद हो गई। वहां के राजा हेनरी अष्टम ने फ्लैंडर्स में चेरी खाई और केंट में सिटिंगबर्न के समीप इसके बागान लगाने का आदेश दिया। तब एक बार फिर ब्रिटेन में चेरी की बहार आ गई।
आस्ट्रेलिया के न्यूसाउथ वेल्स का यंग शहर चेरी कैपिटल आफ आस्ट्रेलिया कहलाता है। यहां राष्ट्रीय चेरी महोत्सव हर साल आयोजित होता है।
अमेरिका के मिशीगन को चेरी कैपिटल आफ वर्ल्ड कहा जाता है। यहां भी राष्ट्रीय चेरी महोत्सव आयोजित किया जाता है जिसकी ख्याति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है।
कृषि वैज्ञानिक सी एस ठाकुर ने रायपुर [छत्तीसगढ़] से बताया कि चेरी के पौधों की बहुत देखभाल करनी पड़ती है। समय पर इनकी सिंचाई, उर्वरक, इनकी देखभाल, बारिश तथा ओलावृष्टि के कारण नुकसान की आशंका के चलते इसका उत्पादन बहुत खर्चीला होता है। इसके बावजूद चटख लाल चेरी की मांग में कमी नहीं आती।
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