राजपूताना की लाज रखने के लिए चित्तौड़ की महारानी कर्णावती ने मुगल शासक हुमायूं को धागा भेज कर राज्य की सुरक्षा की मांग की थी। हुमायूं ने भी धागे की लाज रखी और तुरंत चित्तौड़ की रक्षा के लिए फौज भेज दी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और चित्तौड़ पर गुजरात के शासक बहादुर शाह ने आक्रमण कर जीत लिया। बस इसी धागा ने आज रक्षाबंधन या राखी के त्यौहार का रूप ले लिया है।
रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ ही है कि रक्षा करने का बंधन और यह बंधन धागा होता है जिसे हाथ की कलाई पर बहनें अपने भाई को बांधती है।
भाई-बहनों के पवित्र प्रेम की प्रतीक राखी अब विदेशी बहनों को भी भाने लगी है। जहां भारत में रह रहीं विदेशी युवतियां अपने भाइयों को राखियां भेज रही हैं। वहीं अब कुछ युवतियों ने भारत में भी अपने भाई बना लिए हैं, वे इस वर्ष रक्षाबंधन पर्व पर अपने भाईयों को राखी बांधने की तैयारियां कर रही हैं।
भारतीय सभ्यता अनूठी है, इसे विदेशी भी स्वीकारते हैं। लेकिन भारतीय समाज अपनी सभ्यता को भूलते हुए पश्चिमी सभ्यता को अपनाने की भूल कर रहा है। यहां समाज और परिवार को आपस में बांधे रखने के लिए कई पर्व हैं, इन्हीं पर्वो में शामिल है भाई-बहन के अटूट प्यार का रिश्ता और विश्र्वास का प्रतीक रक्षाबंधन है।
यूं तो विदेशी लंबे समय से भारतीय पर्व देखते आ रहे हैं, लेकिन अब विदेशी खुद भी इन पर्वो का महत्व भी समझने लगे हैं। यही वजह है, कि विदेशियों में रक्षाबंधन का महत्व बढ़ रहा है।
पिछले डेढ़ वर्ष से भारत में रह रही ब्रिटेन की युवती एलिना भारतीय सभ्यता की कायल है। एलिना ने अपना नाम ही बदलकर अनुराधा रख लिया है। अनुराधा ने पिछले वर्ष भी रक्षाबंधन का पर्व देखा। कई घरों में अनुराधा को रक्षाबंधन पर आमंत्रित किया गया था। भाई बहन के इस पर्व के बारे में तब वह अधिक नहीं जान पायी थी। इस वर्ष उसने रक्षाबंधन के बारे में स्थानीय लोगों से पूरी जानकारी जुटाई।
पर्व से बेहद प्रभावित अनुराधा ने ब्रिटेन में रह रहे अपने भाइयों को इंटनरेट पर पर्व की पूरी जानकारी भेजने के साथ ही उसने कई राखियां भी भाइयों को पार्सल की हैं। अनुराधा तो एक बानगी है, ऐसी कई विदेशी युवतियां हैं जिन्होंने राखी का अपने त्योहारों की सूची में जोड़ लिया है।
पिथौरागढ़ में एक प्रोजेक्ट के तहत अंग्रेजी सिखाने वाली एलिना ने नगर में भी कई युवाओं को अपना भाई बनाया है, जिन्हें वह रक्षाबंधन के दिन राखी बांधेगी। उसका कहना है कि पश्चिमी देशों में भाई-बहन के प्रेम को दर्शाने वाला ऐसा कोई पर्व नहीं है। उन्होंने इसे अनूठा बताते हुए कहा राखी की डोर भाई-बहन के आपसी प्रेम को बांधे रखने में महत्वपूर्ण है।
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