मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान को भला कौन भुला सकता है। आइये आपको मिलवाते हैं 'इंडियन मोनालिसा' से। बीएचयू स्थित भारत कला भवन में कुषाण काल की सर्वाधिक सुंदर स्त्री की मूर्ति है जिसका नाम 'प्रसाधिका' है।
मोनालिसा की पेंटिंग की तरह ही इस प्रसाधिका की खासियत भी यह है कि चाहे जिस कोण से इसे निहारें, लगेगा वह आपको देखकर ही मुस्करा रही है। यही वजह है कि कला भवन आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक इस मूर्ति के आगे न सिर्फ ठिठक जाते हैं बल्कि देर तक अवलोकन भी करते हैं।
कलाविदें ने काफी पहले ही इस प्रसाधिका को 'इंडियन मोनालिसा' का खिताब दे दिया है। प्रख्यात कलाविद् व कला भवन के निदेशक डॉ. डीपी शर्मा स्पष्ट कहते हैं कि कुषाण काल की अब तक मिली स्ति्रयों की मूर्तियों में से प्रसाधिका की यह मूर्ति नि:संदेह सर्वाधिक सुंदर है।
दरअसल यह 'सौम्य सौंदर्य' की अद्वितीय मिसाल है। मथुरा की खोदाई में कई दशक पहले मिली इस मूर्ति को फैजाबाद (दियारा) के कौशलेंद्र साही ने कई वर्ष पहले कला भवन को दान दिया था। इस अद्भुत सुंदरता व मुस्कान वाली धरोहर की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई बार लंदन म्यूजियम व अमेरिका की प्रदर्शनी के लिए इसकी मांग की गई। बावजूद इसके सिर्फ इसको क्षति पहुंचने की आशंका में कहीं नहीं भेजा गया।
सोमवार को कला भवन का अवलोकन करने आये लंदन म्यूजियम के राबर्ट्स ब्रेसी ने कहा कि वाकई यह कुषाण काल की सर्वाधिक सुंदर स्त्री की मूर्ति है जो उस काल के सुंदरता की पराकाष्ठा की द्योतक है। कला भवन के सहायक संग्रहाध्यक्ष डॉ. आरपी सिंह का कहना है कि अक्सर ही यहां आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक प्रसाधिका को देखने के बाद इसकी अद्वितीय मुस्कारहट व भव्य सुंदरता की चर्चा करने से खुद को रोक नहीं पाते।
इस प्रसाधिका के बायें हाथ में आभूषणों से भरी टोकरी है जबकि दाहिने हाथ में पानी का पात्र है। यह इस बात का द्योतक है कि तब काफी संपन्नता थी।
4 comments:
jaankaari ke lie shukruyaa
मोनालिसा मशहूर हो गईं वरना ऐसी कितनी सुंदर मुस्कानों को हम अपने आजूबाजू भी देखते हैं। प्रसाधिका के बारे में जानकर और अच्छा लगा।
सौँदर्य प्रसाधन लेकर निकली पाषाण मूर्ति " प्रसाधिका " की मुस्कान से पथ्थर भी जीवित हुआ सा लगता है -
-लावण्या
बहुत आभार इस जानकारी को यहाँ लाने का मित्र.
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