राष्ट्रीय राजधानी के कनाट प्लेस इलाके में घूमते समय आपके पास फटे चीथड़े कपड़ों में भीख मांगते हुए कुछ लोग आ सकते हैं लेकिन कमाल की बात तो यह है कि यह लोग प्रभावी तरीके से आपसे अंग्रेजी में बात करें।
अंग्रेजी बोलने वाले ये आधुनिक भिखारी आपसे धन या खाना नहीं बल्कि अपने लिए दवाएं खरीदने को कहेंगे। कुछ लोग तो पैसे देकर छुटकारा पा लेते हैं तो कुछ लोग भावनात्मक तौर पर उन पर तरस खाकर वास्तव में उन्हें दवाई दिलाने के लिए तैयार हो जाते हैं।
केमिस्ट की दुकान पर लोगों को ले जाकर वे दवाई खरीदते हैं। लेकिन दूसरों की मदद करके आत्मसंतुष्ट लोगों को यह पता ही नहीं चलता कि वह भिखारियों के झांसे में फंस चुके हैं। एक कंपनी में मार्केटिंग एक्सिक्यूटिव और इसी तरह की घटना के शिकार अजीत दुबे ने बताया कि मुझे लगता था कि कुछ गड़बड़ है। जब मैंने पड़ताल की तो पता चला कि दुकानदारों ने भिखारियों के साथ सौदा कर रखा है। भिखारी बिकी हुई दवाओं को सही सलामत वापस दुकान पर लाते हैं और कीमत का आधा हिस्सा ले जाते हैं।
दुबे ने कहा कि मैंने 270 रुपये खर्च करके एक व्यक्ति को इन्हेलर दिलाया। लेकिन बाद में पास के गार्डो ने कहा कि भिखारी अपनी दुखभरी कहानियों से विदेशियों को मूर्ख बनाते रहते हैं और कुछ लोग तो उन्हें पैसे देने के लिए एटीएम से भी पैसा निकालते हैं।
2 comments:
अफसोसजनक!!!
'hotta to yhee hai jo aapne likha hai, or aise mey ye decide kerna bhee mushkil ho jata hai kee kaun jruretmand begger hai or kaun fraud...'
regards
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