कहते हैं-'जोडि़यां आसमान में बनती हैं।' फिर वीजा की क्या बिसात जो आड़े आ जाए। दूल्हा पाकिस्तान नहीं जा सका तो दुल्हन ही बारात लेकर हिंदुस्तान आ गई। पेशावर की अनीता सोमवार को अमृतसर के पवन के साथ सात फेरे लेगी।
अमृतसर पहुंचने के बाद अनीता ने बताया-मैं बारहवीं पास कर ली है। हिंदी फिल्में बहुत अच्छी लगती हैं। मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी शादी अमृतसर में होगी। अमृतसर के बारे में पिता जी से सुना था। अब देख लिया, बहुत अच्छा लगा।
अनीता के पिता इंद्र प्रकाश ने बताया कि अमृतसर में उनके रिश्तेदार रहते हैं। लेकिन यहां आने के लिए उन्हें वीजा जल्दी नहीं मिल पाता। उन्होंने बताया कि बेटी अनीता की शादी अमृतसर के पवन से तय की। लेकिन दूल्हे को वीजा नहीं मिल सका। काफी मशक्कत के बाद उन्हें और कुछ रिश्तेदारों को अमृतसर आने के लिए 45 दिन का वीजा मिल सका है।
इंद्र प्रकाश ने बताया कि अनीता के वीजा की अवधि बढ़ाने के लिए अर्जी दे दी गई है। उम्मीद है कि कामयाबी मिल जाएगी। पवन और उसके घर वाले भी प्रार्थना कर रहे हैं कि वीजा बढ़ जाए। इंद्र प्रकाश का कहना है कि दोनों देशों की सरकारों को वीजा देने की प्रक्रिया को सरल करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वे पाकिस्तान से प्यार लेकर आए हैं। ऊपर वाले से यही प्रार्थना है कि दोनों देशों में अमन-शांति बनी रहे। दूल्हे के पिता ध्यानंचद का कहना है कि मीडिया की मदद से शायद उनकी बहू का वीजा बढ़ाने के लिए दोनों देशों की सरकारों से मंजूरी मिल जाए।
अमृतसर के खंडवाला में स्थित पिशौरी नगर में भारत विभाजन के बाद पेशावर से आए हिंदू परिवारों को रहने के लिए जगह दी गई थी। पूरे मुहल्ले में हिंदू परिवार ही रहते हैं। यहां के लोग अब भी पेशावरी बोली ही बोलते हैं। इनको पंजाबी भी आती है, लेकिन आपसी बातचीत में ये लोग पेशावरी बोली का ही प्रयोग करते हैं। इनके रिश्तेदार अब भी पाकिस्तान में हैं। लेकिन वीजा आसानी से नहीं मिलने के कारण मुलाकातें नहीं हो पाती।
मुहल्ला निवासी ध्यान चंद का कहना है कि हिंदू त्योहार हो या मुस्लिम सभी को यहां पर लोग मिलजुल कर मनाते हैं।
पाकिस्तान से बारात लेकर आई दुल्हन अनीता सोमवार को अमृतसर के पवन की हो गई। यहां दोस्तों-रिश्तेदारों की मौजूदगी में वैदिक विधि-विधान के साथ दोनों ने सात फेरे लिए। हाथों में मेहंदी, कलाई में सुहाग का चूड़ा और चेहरे पर शर्मीली मुस्कान के साथ जब दुल्हन अनीता ने मैरिज पैलेस में कदम रखा तो मानो पूरा पेशावर उतर आया हो।
अनीता और पवन ने एक-दूसरे के गले में माला पहना कर अपनी जिंदगी की नई पारी शुरू की। पेशावरी पोशाक पहने अधिकांश बाराती समारोह में चार चांद लगा रहे थे। दूल्हे पक्ष के लोगों ने भी बारातियों की खूब खातिरदारी की। पाकिस्तान से आए बलवंत राम, जय गोपाल, रचना कुमारी और दुल्हन के परिजनों खुशी झलक रही थी। लेकिन उनकी जुबां पर यह सवाल भी था कि क्या दुल्हन को वीजा के 45 दिन बीतने के बाद भी भारत में रहने के लिए इजाजत मिल पाएगी?
शादी के बाद पत्रकारों से बातचीत में दुल्हन अनीता ने कहा कि उसने तो पाकिस्तान से आकर पर अपनी जिंदगी की नई पारी की शुरू कर ली है, लेकिन भारत और पाकिस्तान की सरकारों से गुजारिश है कि वह शादी करने वालों के लिए वीजा प्रणाली सरल करें।
दूल्हे के पिता ध्यानचंद ने कहा कि उसने शादी के लिए तो हामी भर दी, लेकिन उन्हें पेशावर जाने के लिए वीजा नहीं मिल पाया। दूल्हे की बहन परवीन और नीना उसकी भाभी के वीजा की तिथि बढ़ाने की मांग की है।
1 comment:
बस इसमें एक दिक्कत है कि सिर्फ ४५ दिन का वीजा मिला है दुल्हन को। और मजे की बात ये कि दूल्हे के घर बारात आई।
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