Monday, September 15, 2008

बेदर्द मां ने छुड़ाया बच्चियों से पीछा


मां छुड़ा न 'आंचल' जमाना क्या कहेगा। कुछ ऐसा ही दर्द है मां की ममता के आंचल से दूर होकर 'गुरु घर' पहुंची बच्चियों का है। इन्हें कोई और नहीं बल्कि खुद इनकी मां ही यहां छोड़कर गईं है।

हालांकि कहते हैं एक महिला के लिए मां बनना उसकी जिंदगी सबसे बड़ी खुशी होती है। इसका दर्द बेऔलाद महिला से बेहतर और कौन जान सकता है लेकिन अब मां ही ममता का गला घोंट रही है। बेटे की चाहत में बेटियों की दुश्मन बन बैठी मां न सिर्फ भ्रूण हत्या में बराबरी की भागेदारी निभा रही है बल्कि साल दो साल अपनी ममता का आंचल में पालने के बाद भी बेटियों को बेसहारा करने का गुनाह कर रही है।

गत छह माह में अमृतसर में श्री हरिमंदिर साहिब की परिक्रमा में पालन पोषण में अरुचि रखने वाले मां-बाप आठ बच्चों को छोड़ गए। इन सात लड़कियां व एक लड़का शामिल है। गत सात सितंबर को भी एक दंपति अपनी दो बच्चियों को परिक्रमा में छोड़ कर चला गया। तीन से पांच साल की इन बच्चियों को एसजीपीसी ने अपने संरक्षण में ले लिया है। श्री गुरु रामदास निवास के महिला वार्ड में इन बच्चियों के रहने की व्यवस्था की गई है। पांच दिन बीत जाने के बावजूद इन बच्चियों को कोई लेने नहीं आया।

इससे स्पष्ट है कि इन बच्चियों को बेदर्द मां-बाप ही पालन-पोषण से मुक्ति पाने के लिए यहां छोड़ गए है।

एसजीपीसी द्वारा संचालित सराय के मैनेजर कुलदीप सिंह बावा ने कहा कि गत छह माह में अभिभावकों ने परिक्रमा में आठ बच्चियों को छोड़ा है। काफी तलाश करने के बाद भी जब अभिभावक इन बच्चियों को लेने के लिए नहीं पहुंचे तो इन बच्चियों को ऐसे परिवारों को सौपा गया है, जिनके कोई औलाद नहीं है। सौपने से पहले संबंधित परिवार की सारी जानकारी व कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई है।

उन्होंने कहा कि गत कुछ माह से श्री दरबार साहिब की परिक्रमा में बच्चियों को छोड़ने की घटनाएं बढ़ी हैं । अब ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि एसजीपीसी के कर्मचारी बच्चों के साथ आने वाले अभिभावकों पर निगाह रखेंगे। उन्होंने कहा कि सामाजिक ताने बाने के चलते जो परिवार बच्चों का पालन पोषण नहीं कर पाते, वह परिवार यहां पर बच्चे छोड़ जाते हैं ताकि उनका बच्चा किसी समृद्ध परिवार द्वारा अडॉप्ट किया जाए व उसका पालन पोषण हो सके।

हालांकि पंजाब में बच्चियों के प्रति अभिभावकों की बढ़ रही अरुचि से सामाजिक ताना बाना बिखर रहा है। यही कारण है कि लिंग अनुपात में भी भारी अंतर आ गया है। यहीं हाल रहा तो समस्या और गंभीर हो जाएगी।

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