Monday, September 22, 2008

वियाग्रा ने बचाई बच्ची की जान


वैसे तो वियाग्रा का इस्तेमाल आदमी की नपुंसकता को दूर करने के लिए किया जाता है। मगर यहां डाक्टर एक सात साल की बच्ची को वियाग्रा खिला रहे हैं। मगर असहज होने की कोई जरूरत नहीं है। दरअसल ऐसा उस बच्ची की जिंदगी बचाने के लिए किया जा रहा है।

सात साल की नताली ठीक क्रिसमस के दिन सात अचानक बेहोश हो गई। घबराए हुए नताली के मां-बाप उसे लेकर अस्पताल पहुंचे। डाक्टरों ने इसे घबराहट का सामान्य मामला बताया और कुछ दवाएं दीं। वह घर आ गई। लेकिन इसके बाद नताली की हालत दिनों दिन बिगड़ने लगी। वह कमजोर होती चली गई। उसे श्वास संबंधी परेशानियां भी हो गईं। नताली को फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया।

उसकी मां जेनीस ने बताया कि वह लगभग दो साल तक हम यह सब झेलते रहे। हम सभी उसकी हालत देखकर बहुत दुखी थे। यही पता नहीं चल रहा था कि उसकी बीमारी क्या है। फिर हम पहुंचे ग्रेट ओरमंड स्ट्रीट अस्पताल। यहां डाक्टरों ने नताली का पूरा चेकअप किया। पता चला कि उसके फेफड़े की समस्या पल्मोनरी हाइपरटेंशन है। डाक्टरों ने नताली को वियाग्रा खिलाने की सलाह दी। वियाग्रा ने उसके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला दिए।

जेनीस ने बताया कि मेरी बच्ची की जिंदगी बदल गई। हम सभी बहुत खुश हैं। नताली अब एक सामान्य लड़की की तरह दौड़ती है और खेलती है। डाक्टरों के मुताबिक हाईब्लड प्रेशर की वजह से नताली के फेफड़े में सही ढंग से आक्सीजन नहीं जा रहा था। इस कारण वह सुस्त रहती थी और उसे सांस संबंधी समस्याएं भी हो गईं। लेकिन वियाग्रा से उसके शरीर में रक्त प्रवाह तेज हो गया और अब वह बिल्कुल स्वस्थ है।

1 comment:

Udan Tashtari said...

यह भी खूब रही.